आप सभी को देव प्रबोधनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं।
हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए शुक्रवार का पंचांग
*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है । *वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। * नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है। *योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है । *करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए । शुक्रवार का पंचांग
8 नवम्बर शुक्रवार 2019
महालक्ष्मी मन्त्र :
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) - शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं। धन लाभ के लिए इस दिन शाम के समय घर के ईशान कोण / मंदिर में गाय के घी का दीपक लगाएं। इसमें रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे से बनी बत्ती का उपयोग करें और दिये में थोड़ी केसर भी डाल दें।
*विक्रम संवत् 2076 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य*शक संवत - 1941 *अयन - उत्तरायण *ऋतु - शरद ऋतु *मास - कार्तिक माह *पक्ष - शुक्ल पक्ष
तिथि (Tithi)- एकादशी - 12:24 तक तदुपरांत द्वादशी
तिथि का स्वामी - एकादशी तिथि के स्वामी सर्पदेव(नाग ) जी है एवं द्वादशी तिथि के स्वामी कार्तिकेय जी है ।
आज अति पूर्ण दायक देव प्रबोधनी एकादशी है। देव उत्थान का तात्पर्य है देव का उठना या जागना।' शास्त्रों के अनुसार एक समय भगवान श्री विष्णु का शंखचूर नामक महाअसुर से घोर युद्ध हुआ, अंत में विष्णु जी ने उसे परास्त करके यमपुरी भेज दिया।
एकादशी के दिन भगवान श्रीविष्णु का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करने से भगवान अपने भक्त से शीघ्र प्रसन्न हो जाते है, जातक को जीवन में कभी भी आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता है , उसका घर सदैव धन धान्य से भरा रहता है ।
नक्षत्र (Nakshatra)- पूर्व भाद्रपद - 12:13 तक तदुपरांत उत्तर भाद्रपद
नक्षत्र के देवता- पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के देवता भग्र है एवं उत्तर भाद्रपद नक्षत्र के देवता अहिर्बुध्न्य (नाम का सूर्य ) है ।
योग(Yog) - व्याघात - 09:35 तक
प्रथम करण : - विष्टि - 12:24 तक
द्वितीय करण : - बव - 23:34 तक
गुलिक काल : - शुक्रवार को शुभ गुलिक दिन 7:30 से 9:00 तक ।
दिशाशूल (Dishashool)- शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही खाकर जाएँ ।
राहुकाल (Rahukaal)-दिन - 10:30 से 12:00 तक।
सूर्योदय -प्रातः 06:41
सूर्यास्त - सायं 05: 27
विशेष - एकादशी में चावल और सेम की फली नहीं खानी चाहिए , इस दिन इनके सेवन से पाप और रोग बढ़ता है ।
पर्व त्यौहार- देव प्रबोधनी एकादशी
मुहूर्त (Muhurt) - एकादशी तिथि व्रत, उपवास, धार्मिक कृत्य, देवोत्सव, उद्यापन तथा कथा एकादशी में शुभ है।
"हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो "।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।