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हिमाचल

भारत वर्ष के शक्तिपीठों में से एक शिमला का तारा देवी मंदिर का है एक रोचक इतिहास और विशेष महत्व

July 25, 2019 10:18 AM

 

शिमला: ( हिमदर्शन समाचार ) : हिमाचल प्रदेश देव भूमी के नाम से विश्व भर में विख्यात है। हिमाचल प्रदेश , देश का एक ऐसा हिस्सा है जहां बड़े पैमाने पर देवी और देवता वास करते हैं । मान्यता है कि जहाँ देवी देवताओं और शक्तिपीठ का स्थान हैं वहीँ सदैव सुख समृद्धि अपने आप बनी रहती हैं । ऐसा ही एक पावन स्थल है प्रदेश की राजधानी शिमला में बना तारा माता का प्राचीन मंदिर जो भारत वर्ष के प्रसिद्व शक्तिपीठो में से एक है। मां तारा का यह मंदिर शिमला शहर से करीब 13 किलोमीटर की दूरी पर एक उंची चोटी पर बसा है। यह मंदिर करीब 100 साल से भी ज़्यादा प्राचीन मंदिर है।

तारा देवी मां क्योंथल रियासत के राजपरिवार की कुलदेवी है। क्योंथल रियासत के राज परिवार सेनवंश का है। धार्मिक जानकारों के अनुसार राजा भूपेंद्र सेन जुन्गा से गांव जुग्गर शिलगांव के जंगल में आखेट करने निकले थे जहां पर मां भगवती तारा के सिंह की गर्जना झाड़ियों से राजा को सुनाई दी । फिर एक स्त्री की आवाज गूंजी , राजन मैं तुम्हारी कुलदेवी हूं, जिसे तुम्हारे पूर्वज बंगाल में ही भूल से छोड़कर आ गए थे राजन। तुम यहीं मेरा मंदिर बनवाकर मेरी तारा मूर्ति स्थापित करो। मैं तुम्हारे कुल एवं पूजा की रक्षा करूंगी राजा ने तत्काल ही गांव जुग्गर में दृष्टांत वाली जगह पर मंदिर बनवाकर एवं चतुर्भुजा तारा मूर्ति बनवाकर विधिवत प्रतिष्ठा की , जिससे यह तारा देवी का उत्तर भारत का मूल स्थान बन गया।जानकार बताते है कि मां तारा जुन्गा समेत चार परगनो की कुल देवी है। इसके बाद से ही हिन्दू धर्म के हर त्यौहार औऱ खास अवसर पर मां तारा के दर्शन के लिए श्रंद्वालू मां के दर्शन के लिए मां के दरबार पंहुचते है। समय समय पर माँ के दर्शन के लिए पहुँचने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर कमेटी द्वारा अब भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। इस मंदिर की विशेषता यह भी है कि की शिमला और आस पास के इलाकों से माँ तारा का मंदिर नज़र आता है और कहीं से भी श्रद्धालु माँ को नत मस्तक होकर दर्शन कर लेते हैं। कुल मिलाकर मान्यता है कि माँ तारा देवी हर श्रद्धालु की रक्षक हैं।

सौ साल से भी प्रचीन तारा मां के इस मंदिर के जीर्णोद्वार का काम इन दिनों प्रगति पर है। लगभग सवा चार करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है। .मां तारा के नए मंदिर को माता के मूल स्थान पर ही बनाया जा रहा है। मंदिर का निर्माण पहाड़ी शैली में किया जा रहा है। मंदिर के निर्माण में लकड़ी का और मंडी के रिवाल्सर से मंगवाए पत्थरो से किया जा रहा है। इसके लिए नक्शा विशेष आर्किटेक्टों से तैयार करवाया गया है। नए मंदिर के निर्माण से मंदिर में एक समय में 500 से अधिक श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था होगी। रोहडू के चिढ़गांव से मंदिर के निर्माण के लिए विशेष कारीगर बुलाए गए हैं। मंदिर में दुर्लभ नक्काशी भी की जा रही है। मंदिर के अंदर छतों दीवारों पर लकड़ी पर विशेष नक्काशी होगी। मंदिर के भीतर लोगों को माता की परिक्रमा करने के लिए भी विशेष प्रबंध किया जा रहा है। तारा देवीमंदिर 45 से 50 फुट ऊंचा बनाया जाएगा। जाखू हनुमान मंदिर की तरह शिमला के चारों तरफ से यह भव्य मंदिर दिखाई देगा। मंदिर के दरवाजे तारा चंद्रिका मॉडल में बनाए जाएंगे, इसके ऊपर चांदी की परत लगाई जाएगी। आपको बता दे कि मां तारा के दरबार में प्रदेश से ही नहीं बल्कि देश के अलग अलग हिस्सों से श्रंद्वालू मां के दर्शन के लिए पंहुचते है । चाहे बात दिल्ली की हो या पंजाब की या फिर देश के किसी भी राज्य की, दूर दूर से मां के दरबार में श्रंद्वालू शीश झुकाते है।

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