पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए गुरुवार का पंचांग
*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है । *वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। * नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है। * योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है । *करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
गुरुवार का पंचांग
बृहस्पतिवार, 26 दिसम्बर, 2019
विष्णु रूपं पूजन मंत्र :
शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम। लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म ।वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकैकनाथम।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) - गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए । गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
*विक्रम संवत् 2076 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य *शक संवत - 1941 *अयन - उत्तरायण *ऋतु - शरद ऋतु *मास - पौष माह *पक्ष - कृष्ण पक्ष
तिथि (Tithi)- अमावस्या - 10:43 तक तदुपरांत प्रतिपदा
तिथि का स्वामी - अमावस्या तिथि के स्वामी पित्रदेव जी है तदुपरांत प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि जी है
26 दिसंबर को सुबह 8:17 से यह ग्रहण शुरू होगा जिसका परम ग्रास 9:31 पर होगा इसके साथ ही 10:57 में समाप्त होगा।
इसी कारण इस बार सूर्य ग्रहण की अवधि 2 घंटे 40 मिनट और 60 सेकंड है ।
हर अमावस्या को गहरे गड्ढे या कुएं में एक चम्मच दूध डालें इससे कार्यों में बाधाओं का निवारण होता है । इसके अतिरिक्त अमावस्या को आजीवन जौ दूध में धोकर बहाएं, आपका भाग्य सदैव आपका साथ देगा ।
नक्षत्र (Nakshatra)- मूल - 16:51 तक तदुपरांत पूर्वाषाढा
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- मूल नक्षत्र के देवता निर्रुती (राक्षस) है एवं पूर्वाषाढा नक्षत्र के देवता क्षीर (जल ) है ।
योग(Yog) - वृद्धि - 22:08 तक
प्रथम करण : - नाग - 10:43 तक
द्वितीय करण : - किंस्तुघ्न - 22:37 तक
गुलिक काल : - बृहस्पतिवार को शुभ गुलिक दिन 9:00 से 10:30 तक ।
दिशाशूल (Dishashool)- बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
राहुकाल (Rahukaal)-दिन - 1:30 से 3:00 तक।
सूर्योदय - प्रातः 07:17
सूर्यास्त - सायं 17:25
विशेष - अमावस्या के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना मना है।
पर्व त्यौहार- सूर्य ग्रहण
मुहूर्त (Muhurt) -
"हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो "।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।