हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए गुरुवार का पंचांग
*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है । *वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। * नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है। * योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है । *करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचाग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
आज का पंचांग
16 जनवरी, 2020
विष्णु रूआचार्य पूजन मंत्र :
शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम। लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म ।वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकैकनाथम।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) - गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए । गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
*विक्रम संवत् 2076 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य *शक संवत - 1941 *अयन - उत्तरायण *ऋतु - शरद ऋतु *मास - पौष माह *पक्ष - शुक्ल पक्ष
तिथि (Tithi)- षष्ठी - 09:41 तक Krishna Saptamiसप्तमी तदुपरांत पूर्णिमा
तिथि का स्वामी - चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव जी है तदुपरांत पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्रमा जी है
आप सभी को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं। मकर सक्रांति के दिन स्नान के बाद भगवान सूर्यदेव की अवश्य ही पूजा करनी चाहिए। ज्योतिष के अनुसार यदि इस दिन प्रभु सूर्यदेव को प्रसन्न करने पर विशेष फल मिलता है और भगवान सूर्यदेव को प्रसन्न करने के उपाय करने से व्यक्ति के किस्मत के दरवाजे निसंदेह ही खुल जाते हैं।
मकर संक्रांति के दिन साफ लाल कपड़े में गेहूं व गुड़ बांधकर किसी जरूरतमंद अथवा ब्राह्मण को दान देने से भी व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है।
नक्षत्र (Nakshatra)- हस्त - 26:31+ तक Chitraचित्रा तदुपरांत आर्द्रा
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- मॄगशिरा नक्षत्र के देवता शशम्रत ( चन्द्रमा ) है तदुपरांत आर्द्रा नक्षत्र के देवता रूद्र ( शिवजी ) है ।
योग(Yog) - अतिगण्ड - 18:03 तक
प्रथम करण : - वणिज - 09:41 तक
द्वितीय करण : - विष्टि - 20:32 तक
गुलिक काल : - बृहस्पतिवार को शुभ गुलिक दिन 9:00 से 10:30 तक ।
दिशाशूल (Dishashool)- बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
राहुकाल (Rahukaal)-दिन - 1:30 से 3:00 तक।
सूर्योदय - प्रातः 07:20
सूर्यास्त - सायं 17:41
विशेष - षष्ठी को नीम का सेवन नहीं करना चाहिए ।
मुहूर्त (Muhurt) - चतुर्दशी तिथि रिक्ता तिथि है इसलिए इस दिन भी कोई भी नया, मांगलिक कार्य वर्जित है ।
"हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचाग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो "।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।