नई दिल्लीः दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के चारों दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. चारों दोषियों मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय सिंह (31) को एक फरवरी को दिल्ली की तिहाड़ जेल में सुबह छह बजे फांसी दी जानी थी.अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धमेंद्र राणा ने चारों दोषियों की अर्जी पर यह आदेश जारी किया. चारों दोषियों ने एक फरवरी को उन्हें फांसी देने पर रोक लगाने की मांग की थी. इससे पहले अदालत ने भोजनावकाश पूर्व सत्र में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
सुनवाई के दौरान दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में तिहाड़ जेल प्रशासन ने कहा था कि निर्भया के तीन दोषियों को एक फरवरी को फांसी देने के लिए उनकी तरफ से पूरी तैयारी है।
इस पर तिहाड़ जेल का प्रतिनिधित्व कर रहे लोक अभियोजक इरफान अहमद ने कहा कि केवल एक दोषी विनय शर्मा की दया याचिका लंबित है और अन्य को फांसी दी जा सकती है।
अदालत इस मामले में तिहाड़ जेल प्रशासन से सहमत नहीं हुआ जिसने तीन कैदियों द्वारा अपनी फांसी की तामील पर रोक लगाने की मांग वाली अर्जी को चुनौती दी थी. पवन कुमार गुप्ता, विनय कुमार मिश्रा, अक्षय कुमार और मुकेश कुमार सिंह की फांसी की सजा पर तामील के लिए 17 जनवरी को मृत्यु वारंट जारी किया गया था।
अभियुक्तों के वकील ने दलील दी कि नियम कहते हैं कि जब एक अभियुक्त की अर्जी लंबित हो तो दूसरे को फांसी पर नहीं चढ़ाया जा सकता है।
पवन, विनय और अक्षय के वकील एपी सिंह ने अदालत से फांसी पर अमल को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने की अपील की. विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है।
मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी. उसने दया याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील की थी, जिसे बुधवार को निरस्त कर दिया गया था।
निचली अदालत ने सभी चार दोषियों को एक फरवरी को तिहाड़ जेल में सुबह छह बजे फांसी देने के लिए 17 जनवरी को दूसरी बार मृत्यु वारंट जारी किया था. इससे पहले सात जनवरी को अदालत ने फांसी की तारीख 22 जनवरी तय की थी।
एपी सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि अदालत ने अक्षय, विनय, पवन और मुकेश के डेथ वारंट रद्द कर दिए हैं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों में से एक पवन गुप्ता की खुद को अपराध के समय नाबालिग बताने वाली याचिका खारिज कर दी।
वहीं, निर्भया की मां आशा देवी ने कहा, ‘दोषियों के वकील एपी सिंह ने मुझे चुनौती दी है कि दोषियों को अनंत काल तक फांसी नहीं होगी. मैं अपनी लड़ाई जारी रखूंगी. सरकार को दोषियों को फांसी देनी पड़ेगी.’
मालूम हो कि इन दोषियों को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी होनी थी. फांसी लगाने के लिए जल्लाद गुरुवार को दिल्ली की तिहाड़ जेल पहुंच गया था।
बता दें कि साल 2012 में 16 दिसंबर की रात राजधानी दिल्ली में 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा से एक चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था और उसे सड़क पर फेंकने से पहले बुरी तरह से घायल कर दिया था. दो हफ्ते बाद 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी।
चारों दोषियों- विनय शर्मा (26), मुकेश कुमार सिंह (32), अक्षय कुमार सिंह (31) और पवन गुप्ता (25) को सितंबर 2013 में ही फांसी की सजा दी गई थी और दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा।
इस घटना के विरोध में देशभर में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और बलात्कार के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करने की मांग उठी थी. लोगों के रोष के देखते हुए सरकार ने बलात्कार के खिलाफ नया कानून लागू किया था।
राजधानी में 16 दिसंबर, 2012 को हुए इस अपराध के लिए निचली अदालत (फास्ट ट्रैक कोर्ट) ने 13 सितंबर, 2013 को चार दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई थी. एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने चारों दोषियों को सामूहिक बलात्कार, अप्राकृतिक यौन हिंसा और हत्या और निर्भया के दोस्त की हत्या के प्रयास समेत 13 अपराधों में दोषी ठहराया था।
इस अपराध में एक आरोपी राम सिंह ने मुकदमा लंबित होने के दौरान ही जेल में आत्महत्या कर ली थी, जबकि छठा आरोपी एक किशोर था. उसे एक बालसुधार गृह में अधिकतम तीन साल की कैद की सजा दी गई. दिसंबर 2015 में उसे रिहा कर दिया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल नौ जुलाई को मामले के तीन दोषियों- मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की याचिकाएं खारिज कर दी थीं. उन्होंने 2017 के उस फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था, जिसके तहत दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले में निचली अदालत में उन्हें सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने एक दोषी अक्षय सिंह की भी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 13 मार्च, 2014 को दोषियों को मृत्युदंड देने के निचली अदालत के फैसले की पुष्टि कर दी थी. इसके बाद दोषियों ने शीर्ष अदालत में अपील दायर की थी।
इससे पहले कोर्ट ने सात जनवरी को डेथ वॉरंट जारी करते हुए चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी की सज़ा देने का आदेश दिया था, लेकिन चारों में से एक दोषी मुकेश कुमार सिंह ने अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर के माध्यम से ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी डेथ वॉरंट खारिज करने की अपील की थी।