हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए रविवार का पंचांग
*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है । *वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। * नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है। *योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है । *करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
रविवार का पंचाग
रविवार, 09 फरवरी, 2020
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) रविवार को भगवान सूर्य को प्रात: ताम्बे के बर्तन में लाल चन्दन, गुड़, और लाल पुष्प डाल कर अर्घ्य देना चाहिए, एवं आदित्यहृदयस्तोत्रम् का पाठ करना चाहिए।
*विक्रम संवत् 2076 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य *शक संवत - 1941 *अयन - उत्तरायण *ऋतु - शरद ऋतु *मास - माघ माह *पक्ष - शुक्ल पक्ष
तिथि (Tithi)- पूर्णिमा - 13:02 तक तदुपरांत प्रतिपदा
तिथि का स्वामी - पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्रमा जी है तथा प्रतिपदा तिथि के अग्नि जी है ।
आज अति पूर्ण दायक माघ पूर्णिमा है। माघ पूर्णिमा के दिन प्रात: सूर्योदय से पूर्व किसी प्रयाग में गंगा नदी / पवित्र नदी या घर में जल में गंगा जल डालकर स्नान करने से जो पुण्य मिलता है वह इस पृथ्वी पर 10 हज़ार अश्वमेघ यज्ञो के पुण्य से भी अधिक होता है।
नक्षत्र (Nakshatra)- अश्लेशा - 19:43 तक तदुपरांत मघा पूर्व भाद्रपद
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- अश्लेशा नक्षत्र के देवता सूर्य है एवं मघा नक्षत्र के देवता पितर है ।
योग(Yog) - सौभाग्य - 15:29 तक शोभन
प्रथम करण : - बव - 13:02 तक
द्वितीय करण : - बालव - 23:25 तक
गुलिक काल : - अपराह्न - 3:00 से 4:30 तक ।
दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
राहुकाल (Rahukaal)-सायं - 4:30 से 6:00 तक ।सूर्योदय - प्रातः 07:08सूर्यास्त - सायं 18:03
विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना मना है।
मुहूर्त (Muhurt) - पूर्णिमा को विवाह, शिल्प, मंगल कार्य, संग्राम, वास्तु कर्म, यज्ञ क्रिया, प्रतिष्ठा आदि कार्य कर सकते हैं।
"हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचाग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो "।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।