हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए सोमवार का पंचांग
*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है । *वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। * नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है। * योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है । *करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
सोमवार का पंचांग17 फरवरी , 2020
रुद्र गायत्री मंत्र : ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ॥
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) - सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।
जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर आचार्यचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है ।
*विक्रम संवत् 2076 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य*शक संवत - 1941 *अयन - उत्तरायण *ऋतु - शरद ऋतु *मास - फाल्गुन माह *पक्ष - कृष्ण पक्ष
तिथि (Tithi)- नवमी - 14:35 तक तदुपरांत दशमी
तिथि का स्वामी - नवमी तिथि के स्वामी दुर्गाजी जी है तथा दशमी तिथि के स्वामी यमराज जी है ।
नवमी तिथि की स्वामिनी माँ दुर्गा हैं। नवमी तिथि को दुर्गा माता का पूजन किया जाना बहुत शुभ रहता है। नवमी तिथि में माँ दुर्गा को गुड़हल या लाल गुलाब अर्पित करते हुए दुर्गा जी के किसी भी सिद्द मन्त्र का जाप करने से जीवन के सभी मनोरथ पूर्ण होते है । नवमी तिथि को उग्रा कहा गया है और यह एक रिक्ता तिथि भी है इसलिए नए और मांगलिक कार्यों की शुरुआत इस तिथि में किए जाना शास्त्रों में शुभ नहीं माना जाता है। नवमी तिथि में लौकी और कद्दू का सेवन नहीं करें। नवमी तिथि में वाद विवाद करना, जुआ खेलना, शस्त्र निर्माण , मद्यपान आदि सभी प्रकार के क्रूर कर्म किए जाते हैं।
नक्षत्र (Nakshatra)- ज्येष्ठा - 29:14+ तक तदुपरांत मूल
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इन्द्र है एवं मूल नक्षत्र के देवता निर्रुती (राक्षस) है ।
योग(Yog) - व्याघात - 10:03 तक हर्षण
प्रथम करण : - गर - 14:35 तक
द्वितीय करण : - वणिज - 18 फरवरी 02:29 तक
गुलिक काल : - दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।
दिशाशूल (Dishashool)- सोमवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दर्पण देखकर, दूध पीकर जाएँ ।
राहुकाल (Rahukaal)-सुबह -7:30 से 9:00 तक।
सूर्योदय - प्रातः 07:01
सूर्यास्त - सायं 18:06
विशेष - नवमी को लौकी नहीं खानी चाहिए ।
मुहूर्त (Muhurt) - नवमी तिथि रिक्ता तिथि है इसलिए इस दिन कोई भी नया, मांगलिक कार्य वर्जित है ।
"हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचाग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो "।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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