हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग
*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है । *वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। * नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है। *योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है । *करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए । शनिवार का पंचांग
7 सितम्बर 2019 (शनिवार)
शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए
शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का चतुर्मुखी दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।
शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की एक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
*विक्रम संवत् 2076 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य*शक संवत - 1941 *अयन - उत्तरायण *ऋतु - ग्रीष्म ऋतु *मास - भाद्रपद माह *पक्ष - शुक्ल पक्ष
तिथि (Tithi)- नवमी - 21:22 तक तदुपरांत दशमी
तिथि का स्वामी - नवमी तिथि के स्वामी दुर्गा जी है तथा दशमी तिथि के स्वामी यमराज जी है ।
नवमी तिथि की स्वामिनी माँ दुर्गा हैं। नवमी तिथि को दुर्गा माता का पूजन किया जाना बहुत शुभ रहता है। नवमी तिथि में माँ दुर्गा को गुड़हल या लाल गुलाब अर्पित करते हुए दुर्गा जी के किसी भी सिद्द मन्त्र का जाप करने से जीवन के सभी मनोरथ पूर्ण होते है । नवमी तिथि को उग्रा कहा गया है और यह एक रिक्ता तिथि भी है इसलिए नए और मांगलिक कार्यों की शुरुआत इस तिथि में किए जाना शास्त्रों में शुभ नहीं माना जाता है। नवमी तिथि में लौकी और कद्दू का सेवन नहीं करें। नवमी तिथि में वाद विवाद करना, जुआ खेलना, शस्त्र निर्माण , मद्यपान आदि सभी प्रकार के क्रूर कर्म किए जाते हैं।
नक्षत्र (Nakshatra)- मूल - पूर्ण रात्रि तक
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- मूल नक्षत्र के देवता भग्र है ।
योग(Yog) - प्रीति - 16:51 तक तदुपरांत आयुष्मान्
प्रथम करण : - बालव - 08:57 तक
द्वितीय करण : - कौलव - 21:22 तक
गुलिक काल : - शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
राहुकाल (Rahukaal)-सुबह - 9:00 से 10:30 तक।
सूर्योदय - प्रातः 06:00
सूर्यास्त - सायं 18:37
विशेष - नवमी को लौकी नहीं खानी चाहिए ।
मुहूर्त (Muhurt) - नवमी तिथि रिक्ता तिथि है इसलिए इस दिन कोई भी नया, मांगलिक कार्य वर्जित है ।
"हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो "।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।