हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग
*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है । *वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। * नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है। *योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है । *करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है । शनिवार का पंचांग
28 सितम्बर शनिवार 2019
शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए
शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का चतुर्मुखी दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।
शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की एक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
*विक्रम संवत् 2076 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य*शक संवत - 1941 *अयन - उत्तरायण *ऋतु - वर्षा ऋतु *मास - भाद्रपद माह *पक्ष - कृष्ण पक्ष
तिथि (Tithi)- अमावस्या - 23:56 तक तदुपरांत प्रतिपदा
तिथि का स्वामी - अमावस्या तिथि के स्वामी पित्रदेव जी है तथा प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव है ।
पित्र अमावस्या के दिन जल में काले तिल डालकर दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके अपने सभी ज्ञात अज्ञात पितरों को जल देकर उनसे अपनी समस्त भूलों के लिए क्षमा मांगते हुए अपने तथा अपने परिवार के ऊपर कृपा बनाये रखने की प्रार्थना करें ।
नक्षत्र (Nakshatra)- उत्तराफाल्गुनी - 22:03 तक तदुपरांत हस्त
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के देवता अर्यमा है तथा हस्त नक्षत्र के देवता रवि है ।
योग(Yog) - शुक्ल - 20:24 तक
प्रथम करण : - चतुष्पाद - 13:51 तक
द्वितीय करण : - नाग - 23:56 तक
गुलिक काल : - शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
राहुकाल (Rahukaal)-सुबह - 9:00 से 10:30 तक।
सूर्योदय - प्रातः 06:12 A.M
सूर्यास्त - सायं 06:11 P.M
विशेष - अमावस्या के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना मना है।
मुहूर्त (Muhurt) - अमावस्या को पितृ कार्य और शल्य क्रिया करके उनमे सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
"हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो "।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।