नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में तेजी लाने और दिवाली का तोहफा देने के लिए शुक्रवार को लगातार पांचवीं बार रेपो रेट में कटौती का ऐलान किया है। आरबीआई ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती करने की घोषणा की है। नई रेपो रेट घटकर अब 5.15 प्रतिशत हो गई है, जो कि पहले 5.40 प्रतिशत थी।
आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट भी घटाकर 4.90 प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी एमएसएफ) रेट और बैंक रेट घटाकर 5.40 प्रतिशत कर दिया है।
जानिए क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों को आरबीआई से लिए गए कर्ज पर ब्याज देना पड़ता है। इसके उलट बैंक आरबीआई के पास अपना जो पैसा रखते हैं, उस पर उन्हें रिवर्स रेपो रेट के हिसाब से ब्याज मिलता है। रेपो रेट में कमी या वृद्धि बैंकों के लिए बहुत मायने रखती है। रेपो रेट बढ़ने पर वे कर्ज पर ब्याज की दर बढ़ा देते हैं, ठीक इसके उलट रेपो रेट घटने पर वे कर्ज पर ब्याज की दर घटा देते हैं। इससे कर्ज लेना सस्ता हो जाता है। रेपो रेट कम होने का आम लोगों से जुड़ा सीधा सा मतलब यह है कि बैंक से मिलने वाले लोन सस्ते हो जाएंगे। रेपो रेट कम होने से होम लोन, ऑटो लोन समेत सभी के लोन सस्ते हो जाते हैं।
जिस रेट पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी को नियंत्रित करने में काम आती है। बहुत ज्यादा नकदी होने पर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देती है।