शिमला: हिमाचल प्रदेश में निजी कंपनियों में महंगी गाड़ियां लगवाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ हैै। इस मामले मेंं स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने 3 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह लोन पर गाड़ियां खरीदवाता था और बाद में गाड़ी और दस्तावेज लेकर फरार हो जाता था।प्रदेश भर में साठ से ज्यादा लोगों को ठगकर यह गिरोह छह करोड़ से ज्यादा की चपत लगा चुका है। विजिलेंस ने शिमला और सोलन में मामले दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार तीन दिन पहले विजिलेंस ब्यूरो ने शिमला और सोलन विजिलेंस थानोें में लोगों की शिकायत पर धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज किए। इन मामलों की जांच के दौरान अधिकारियों को पता चला कि ठगों का यह गिरोह गरीब व सामान्य परिवार के लोगों को अपना निशाना बनाता था। लोगों को फाइनेंस कंपनियों से लोन पर गाड़ी दिलाने और निजी कंपनी में प्रति माह पैसे दिलाने के नाम पर झांसा देकर राजी करता था।
गिरोह के सदस्य गाड़ी खरीदने के दौरान सारे दस्तावेजों पर लोगों से साइन कराते और फिर गाड़ी खरीदने के बाद यह कहकर अपने पास रख लेते कि गाड़ी दफ्तर में लगने तक उनके पास रहेगी। इस दौरान वह लोगों का भरोसा जीतने के लिए शुरुआती एक या दो किस्त के पैसे भी दे देते थे। लेकिन इसके बाद वह गाड़ियां लेकर फरार हो जाते। निजी कंपनियों में महंगी गाड़ियां लगवाने के नाम पर ठगों का निशाना बनने और फाइनेंस कंपनियों की धमकियां झेल रहे पीड़ितों ने स्थानीय पुलिस थानों में मदद की गुहार लगाई लेकिन पुलिस ने लेनदेन का मामला बताकर उन्हें बेरंग लौटा दिया। इसके बाद पीड़ितों ने सीएम कार्यालय से संपर्क किया।
सीएम कार्यालय के निर्देश के बाद विजिलेंस हरकत में आई और अब इस बड़े खेल का पर्दाफाश हुआ है। उधर, मामला दर्ज होने के बाद आरोपियों की तलाश के लिए डीएसपी विजिलेंस सोलन संतोष कुमार के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। टीम ने मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया जिनमें कालका निवासी सुशील कुमार, पटियाला निवासी सुखवीर और मोहाली का हरदीप ब्रार शामिल है।इनके पास से ठगी के शिकार लोगों के नाम पर खरीदी गई एक फॉक्सवोगन कंपनी की एमियो कार, एक ब्रीजा और एक बलीनो कार बरामद हुई है। एडीजी विजिलेंस अनुराग गर्ग ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी फर्जी नाम से ठगी का गोरखधंधा चला रहे थे।
सुखबीर का असली नाम विमल कालरा है वह धोखधड़ी के कई मामलों में हिमाचल समेत कई राज्यों की पुलिस के निशाने पर था और बचने के लिए सुखबीर नाम से लोगों से मिलता था। वहीं, एक अन्य आरोपी सुशील का भी असली नाम अमित बताया जा रहा है। एडीजी विजिलेंस ने कह कि मामले की जांच जारी है और कई अन्य लोगों की भी गिरफ्तारी हो सकती है। अब तक की जांच के अनुसार आरोपी ऐसे लोगों को अपना निशाना बनाते थे जो बेहद गरीब या कम पढ़े लिखे हो। इसके बाद इनके नाम पर फार्च्युनर, स्कॉर्पियो, सफारी जैसी लग्जरी गाड़ियों की खरीद करते थे। खास बात यह है कि यह गाड़ियां उनके नाम पर खरीदी जाती थी जिनमें से कई के सर पर अपनी छत तक नहीं थी।
न्यूज़ सोर्स : अमर उजाला /सोशल मीडिया