आप सभी को शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।
हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए रविवार का पंचांग
*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है । *वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। * नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है। * योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है । *करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है । रविवार का पंचांग
रविवार, 13 अक्टूबर , 2019
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) रविवार को भगवान सूर्य को प्रात: ताम्बे के बर्तन में लाल चन्दन, गुड़, और लाल पुष्प डाल कर अर्घ्य देना चाहिए, एवं आदित्यहृदयस्तोत्रम् का पाठ करना चाहिए।
*विक्रम संवत् 2076 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य *शक संवत - 1941 *अयन - उत्तरायण *ऋतु - वर्षा ऋतु *मास - आश्विन माह *पक्ष - शुक्ल पक्ष
तिथि (Tithi)- पूर्णिमा - 14 अक्टूबर 02:38 तक तदुपरांत प्रतिपदा
तिथि का स्वामी - पूर्णिमा तिथि के स्वामी शिव जी है तथा प्रतिपदा तिथि के स्वामी दुर्गा जी है ।
आज अति पूर्ण दायक शरद पूर्णिमा है। शरद पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी अवतरित हुई थी। इस दिन लक्ष्मी सहस्त्रनाम, सिद्धिलक्ष्मी कवच, श्रीसूक्त, लक्ष्मी सूक्त, महालक्ष्मी कवच, कनकधारा के पाठ में जो भी कर सके उसे अधिक से अधिक अवश्य ही करें । इससे आने वाली पीढ़ियों पर भी माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
इस दिन तांबे के बरतन में देशी घी भरकर किसी ब्राह्मण को दान करने और साथ में दक्षिणा भी देने से बहुत पुण्य की प्राप्ति होती है और धन लाभ की प्रबल सम्भावना बनती है। इस दिन ब्राह्मण को खीर, कपड़े आदि का दान भी करना बहुत शुभ रहता है ।
नक्षत्र (Nakshatra)- उत्तर भाद्रपद - 07:54 तक तदुपरांत रेवती पूर्व भाद्रपद
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- उत्तर भाद्रपद नक्षत्र के देवता क्षीर (जल ) है एवं रेवती नक्षत्र के देवता विश्वदेव (अभिजित-विधि विधाता) है ।
योग(Yog) - व्याघात - 14 अक्टूबर 04:44 तक हर्षण
प्रथम करण : - विष्टि - 13:39 तक
द्वितीय करण : - बव - 14 अक्टूबर 04:38 तक
गुलिक काल : - अपराह्न - 3:00 से 4:30 तक ।
दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ
राहुकाल (Rahukaal)-सायं - 4:30 से 6:00 तक ।
सूर्योदय - प्रातः 06:22
सूर्यास्त - सायं 17: 52
विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना मना है।
पर्व त्यौहार- शरद पूर्णिमा
मुहूर्त (Muhurt) - पूर्णिमा तिथि को विवाह, शिल्प, मंगल कार्य, संग्राम, वास्तु कर्म, यज्ञ क्रिया, प्रतिष्ठा आदि कार्य कर सकते हैं।
"हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो "।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो।