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पंचांग

सोमवार का पंचांग: 21 अक्तूबर 2019; जानिए आज का शुभमहूर्त

October 21, 2019 07:05 AM

हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

जानिए सोमवार का पंचांग

*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है । *वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। * नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है। * योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है । *करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

सोमवार का पंचांग

21 अक्टूबर , सोमवार 2019

रुद्र गायत्री मंत्र : ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ॥

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

दिन (वार) - सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।

जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है ।

*विक्रम संवत् 2076 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य*शक संवत - 1941 *अयन - उत्तरायण *ऋतु - शरद ऋतु *मास - कार्तिक माह *पक्ष - कृष्ण पक्ष

तिथि (Tithi)- अष्टमी - 22 अक्टूबर 05:25 तक तदुपरांत नवमी

तिथि का स्वामी - अष्टमी तिथि के स्वामी शिव जी है तथा नवमी तिथि के स्वामी दुर्गा जी है ।

अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव कहे गए है। अष्टमी तिथि को भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करने से समस्त सिद्धियां प्राप्त होती है , पूजा में उन्हें नारियल का भोग अर्पित करें अथवा शिवजी भगवान के लिए बनाए जाने वाले प्रसाद में नारियल का उपयोग करें लेकिन अष्टमी को नारियल का सेवन ना करें। अष्टमी तिथि का नाम कलावती कहा गया है। मंगलवार को छोड़कर अष्टमी तिथि सभी प्रकार के कार्यो के शुभ है । अष्टमी तिथि में किसी भी प्रकार की ललित कला और विद्याएं सीखना अत्यन्त शुभ माना गया है।

नक्षत्र (Nakshatra)- पुनर्वसु - 17:33 तक तदुपरांत पुष्य

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- पुनर्वसु नक्षत्र के देवता आदिती (देवमाता ) है एवं पुष्य नक्षत्र के देवता वृहस्पति है ।

योग(Yog) - सिद्ध - 22:28 तक साध्य

प्रथम करण : - बालव - 18:09 तक

द्वितीय करण : - कौलव - 22 अक्टूबर 05:25 तक

गुलिक काल : - दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।

दिशाशूल (Dishashool)- सोमवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दर्पण देखकर, दूध पीकर जाएँ ।

राहुकाल (Rahukaal)-सुबह -7:30 से 9:00 तक।

सूर्योदय - प्रातः 06:27

सूर्यास्त - सायं 17:43

विशेष - अष्टमी को नारियल नहीं खाना चाहिए (अष्टमी नारियल खाने से बुद्धि कमजोर होती है । )

 

मुहूर्त (Muhurt) - अष्टमी तिथि संग्राम, वास्तु, शिल्प, लेखन, स्त्री, रत्न धारण, आभूषण खरीदना ये सब अष्टमी को शुभ हैं।

"हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो "।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

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