आप सभी को धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं..
आज का पंचांग
25 अक्टूबर 2019
हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शुक्रवार का पंचांग
*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है । *वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। * नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है। *योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है । *करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
शुक्रवार का पंचांग
25 अक्टूबर शुक्रवार 2019
महालक्ष्मी मन्त्र :
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) - शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
धन लाभ के लिए इस दिन शाम के समय घर के ईशान कोण / मंदिर में गाय के घी का दीपक लगाएं। इसमें रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे से बनी बत्ती का उपयोग करें और दिये में थोड़ी केसर भी डाल दें।
*विक्रम संवत् 2076 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य*शक संवत - 1941 *अयन - उत्तरायण *ऋतु - शरद ऋतु *मास - कार्तिक माह *पक्ष - कृष्ण पक्ष
तिथि (Tithi)- द्वादशी - 19:08 तक तदुपरांत त्रयोदशी
तिथि का स्वामी - द्वादशी तिथि के स्वामी विष्णु जी है एवं त्रयोदशी तिथि के स्वामी कामदेव जी है ।
धनतेरस के दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखने से परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि होती है। दीपावली के दिन इन बीजों को घर के बाग, गमलो, खेत खलिहानों में लागाया जाता है । ये बीज व्यक्ति की उन्नति व धन वृ्द्धि के प्रतीक होते है।
धनतेरस से अपने घर से सभी बेकार, खराब और टूटे-फूटे सामान निकाल कर उसे कबाड़ी को बेच दें। आप पूरे घर की अच्छी तरह सफाई अवश्य कर लें।
द्वादशी तिथि के स्वामी श्री हरि विष्णु जी हैं। द्वादशी को इनकी पूजा , अर्चना करने से मनुष्य को समस्त सुख और ऐश्वर्यों की प्राप्ति होती है, उसे समाज में सर्वत्र आदर मिलता है।
नक्षत्र (Nakshatra)- पूर्वाफाल्गुनी - 11:01 तक तदुपरांत उत्तराफाल्गुनी
नक्षत्र के देवता- पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के देवता भग्र है एवं उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के देवता अर्यमा है ।
योग(Yog) - ब्रह्म - 09:58 तक
प्रथम करण : - तैतिल - 19:08 तक
द्वितीय करण : - गर - 26 अक्टूबर 05:28 तक
गुलिक काल : - शुक्रवार को शुभ गुलिक दिन 7:30 से 9:00 तक ।
दिशाशूल (Dishashool)- शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही खाकर जाएँ ।
राहुकाल -दिन - 10:30 से 12:00 तक।
सूर्योदय -प्रातः 06:30 सूर्यास्त - सायं 17:39
विशेष - द्वादशी को पोई का सेवन नहीं करना चाहिए ।
पर्व त्यौहार- धनतेरस
मुहूर्त (Muhurt) - अभिजित मुहूर्त दिन का आठवां मुहूर्त होता है और यह मघ्याह्न ( दोपहर लगभग 12 बजे ) के समय आता है। और इसके 13 मिनट पहले और 13 मिनट बाद में (अर्थात 48 मिनट) इसका प्रारम्भ और अंत माना जाता है।अर्थात 11.36 से 12.13 तक |
"हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो "।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।