आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए रविवार का पंचांग -
*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है । *वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। * नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है। *योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है । *करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
रविवार का पंचांग
रविवार, 27 अक्टूबर , 2019
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) रविवार को भगवान सूर्य को प्रात: ताम्बे के बर्तन में लाल चन्दन, गुड़, और लाल पुष्प डाल कर अर्घ्य देना चाहिए, एवं आदित्यहृदयस्तोत्रम् का पाठ करना चाहिए।
*विक्रम संवत् 2076 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य *शक संवत - 1941 *अयन - उत्तरायण *ऋतु - शरद ऋतु *मास - कार्तिक माह *पक्ष - कृष्ण पक्ष
तिथि (Tithi)- चतुर्दशी - 12:23 तक तदुपरांत अमावस्या
तिथि का स्वामी - चतुर्दशी तिथि के स्वामी कार्तिकेय जी है तथा अमावस्या तिथि के स्वामी पित्रदेव जी है ।
दीपावली के दिन प्रातः पूजा के समय पीतल या तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें थोड़ी हल्दी घोल कर उसे पूजा में रखे , पूजा के उपरांत इस जल को पीले फूल से पूरे घर में थोड़ा थोड़ा छिड़क दें और बचा हुआ जल तुलसी या केले के पौधे में चड़ा दें अब इस क्रिया को नित्य पूजा के बाद किया करें घर पर माँ लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहेगी ।
दीपावली के दिन किसी भी लक्ष्मी मंदिर में माँ को सुगन्धित धूप अगरबत्ती अर्पित कर दें , ( उन पैकेट में से कुछ धूप / अगरबत्ती वहीँ पर जला कर माँ को प्रणाम करें )।
चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं। अतः प्रत्येक मास की चतुर्दशी विशेषकर कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन शिव जी की पूजा, अर्चना एवं रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं, भक्तो के सभी संकट दूर होते है । चतुर्दशी को सभी शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए शास्त्रों में मना किया गया।
नक्षत्र (Nakshatra)- चित्रा - 28 अक्टूबर 03:18 तक स्वाती पूर्व भाद्रपद
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- चित्रा नक्षत्र के देवता विश्वकर्मा है एवं स्वाती नक्षत्र के देवता समीर है ।
योग(Yog) - विष्कम्भ - 22:12 तक
प्रथम करण : - शकुनि - 12:23 तक
द्वितीय करण : - विष्टि - 07:11 तक
गुलिक काल : - अपराह्न - 3:00 से 4:30 तक ।
दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
राहुकाल - सायं - 4:30 से 6:00 तक ।
सूर्योदय - प्रातः 06 : 32
सूर्यास्त - सायं 17: 37
विशेष - चतुर्दशी के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना मना है।
पर्व त्यौहार- दीपावली
आज का मुहूर्त - पंच मुहूर्त में शुभ मुहूर्त, या शुभ समय, वह समय अवधि जिसमें ग्रह और नक्षत्र मूल निवासी के लिए अच्छे या फलदायक होते हैं। एक ही दिन में तीस शुभ मुहूर्त होते हैं, जिसके दौरान किसी व्यक्ति को शुभ परिणाम प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य शुरू करना चाहिए। शुभ मुहूर्त का आशय है महत्वपूर्ण कार्यों में सार्थक परिणाम प्राप्त करना है। सरल शब्दों में कहे तो, किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत शुभ समय पर करने को ही मुहूर्त कहा जाता है।
अभिजीत मुहूर्त - 11:59 से 12:45
"हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो "।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।