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धर्म/संस्कृति

भैया दूज 2019 : आज है भैया दूज, इस शुभ मुहूर्त में टीका करके बहनें भाइयों के लिए करेंगी लंबी उम्र की कामना

October 29, 2019 07:12 AM

भैया दूज 2019 : भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भाई दूज का पर्व आज यानी 29 अक्तूबर को मनाया जा रहा है। इस वर्ष सूर्योदय से सूर्यास्त तक बहनों को भाईदूज का टीका करने का अवसर मिलेगा। वैसे तो आप सुबह 6:13 से सायं 5:34 मिनट तक टीका कर सकते हैं लेकिन अति शुभ मुहूर्त के लिए आप नीचे लिखी द्वितीया तिथि चेक कर सकते हैं।

भाई दूज का शुभ मुहूर्त-

 भैयादूज / यम द्वितीया की तिथि: 29 अक्‍टूबर 2019 

द्वितीया तिथि प्रारंभ: 29 अक्‍टूबर 2019 को सुबह 06 बजकर 13 मिनट से 

द्व‍ितीया तिथि समाप्‍त: 30 अक्‍टूबर 2019 को सुबह 03 बजकर 48 मिनट तक 

भाई दूज अपराह्न समय: दोपहर 01 बजकर 11 मिनट से दोपहर 03 बजकर 23 मिनट तक 

कुल अवधि: 02 घंटे 12 मिनट 

 भाई दूज मनाने की विधि:

– भाई दूज के दिन सुबह स्नान कर यम देवता, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए।

– यम की पूजा करते हुए बहन प्रार्थना करें कि हे यमराज, श्री मार्कण्डेय, हनुमान, राजा बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी होने का वरदान दें।

– इसके बाद शुभ मुहूर्त में भाई को टीका लगाने की विधि शुरू करें।

– भाई को किसी चौकी या पटरी पर बिठाएं। उनके माथे पर चावल का तिलक लगाएं।

– इसके बाद भाई के हाथ में कलावा बांधे और उन्हें सूखा नारियल, फूल, पान, सुपारी, कुछ पैसे देकर उनके हाथ पर पानी छोड़ें।

– इसके बाद भाई का मुंह मीठा करें और उन्हें भोजन कराएं।

– इस दिन भाई का बहन के घर जाकर भोजन करना काफी शुभ माना जाता है। अगर बहन शादीशुदा न हो तो वह अपने भाई को अपने हाथों से बनाकर भोजन कराएं।

– भाई अपनी बहन को अपने सामर्थ्य अनुसार कुछ न कुछ भेंट अवश्य दें।

– कई जगह इस दिन बहन अपने घर के मुख्य द्वार पर यम के नाम का दीपक जलाती हैं।

– इस दिन बहन भाई का यमुना में स्नान करना भी शुभ माना जाता है।

भैया दूज का महत्‍व

हिन्‍दू धर्म में भैया दूज का विशेष महत्‍व है। इस पर्व को 'यम द्वितीया' और 'भ्रातृ द्वितीया' भी कहा जाता है. रक्षाबंधन के बाद भैया दूज दूसरा ऐसा त्‍योहार है जिसे भाई-बहन बेहद उत्‍साह के साथ मनाते हैं. जहां, रक्षाबंधन में भाई अपनी बहन को सदैव उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं वहीं भाई दूज के मौके पर बहन अपने भाई की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती है। कई जगहों पर इस दिन बहनें अपने भाइयों को तेल लगाकर उन्‍हें स्‍नान भी कराती हैं। यमुना नदी में स्‍नान कराना अत्‍यंत शुभ माना जाता है। अगर यमुना में स्‍नान संभव न हो तो भैया दूज के दिन भाई को अपनी बहन के घर नहाना चाहिए। अगर बहन विवाहित है तो उसे अपने भाई को आमंत्रित कर उसे घर पर बुलाकर यथा सामर्थ्‍य भोजन कराना चाहिए। इस दिन भाइयों को चावल खिलाना अच्‍छा माना जाता है। अगर सगी बहन नहीं है तो ममेरी या चचेरी बहन के साथ भी इस त्‍योहार को मनाया जा सकता है। इस त्‍योहार का संदेश यही है कि भाई-बहन के बीच प्‍यार हमेशा बना रहना चाहिए। चाहे दोनों अपनी-अपनी जिंदगी में कितने ही व्‍यस्‍त क्‍यों न हों लेकिन एक-दूसरे के साथ कुछ पल तसल्‍ली के जरूर गुजारने चाहिए।

शास्त्रों में भाई दूज से जुड़ी कथा का वर्णन नारी सम्मान के रूप में किया गया है। परंपरा का निर्वाह करते हुए भाई को अपनी बहनों के घर जाना चाहिए। टीका की रस्म के बाद बहनों के हाथ का पका हुआ भोजन ग्रहण करना चाहिए। फिर अपनी सामर्थ्य के अनुसार द्रव्य, वस्त्र, मिष्ठान आदि भेंट कर बहनों *का आदर करना चाहिए। इसका निर्वहन आज भी लोग पूरे मनोयोग से करते आ रहे हैं।

भाई दूज की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार सूर्यदेव और छाया की पुत्री यमुना ने अपने भाई यमराज को प्रेम पूर्वक उनके घर आने और भोजन करने का निमंत्रण देती है कि वे उनके घर आएं और भोजन ग्रहण करें। लेकिन यमराज अपनी व्यस्तता के कारण यमुना की बात को टाल देते हैं।

लेकिन कार्तिक माह के शुक्ल द्वितीया के दिन यमराज यमुना के घर अचानक पहुंच जाते हैं। अपने भाई को दरवाजे पर खड़ा देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। यमुना अपने भाई का स्वागत सत्कार करती हैं और प्रेम पूर्वक उन्हें भोजन कराती हैं।

यमराज अपनी बहन का स्नेह और प्रेम देखकर भाव- विभोर हो गए और उन्हें वर मांगने के लिए कहा। तब यमुना ने अपने भाई से वर की रूप में यह मांगा कि हर वर्ष वे इसी दिन वह उनके यहां भोजन के करने के लिए आएं और जो भी बहन इस दिन अपने भाई का टीका करके उसे भोजन खिलाए उसे आपसे किसी भी प्रकार का भय न हो।

जिसके बाद यमराज यमुना को 'तथास्तु' कहकर यमलोक लौट गए। उसी दिन सभी बहने अपने भाई का तिलक करके उन्हें प्रेम पूर्वक भोजन कराती हैं। जिससे भाई और बहन को यमदेव का किसी भी प्रकार का भय नही होता। 

नोट : भाई दूज पर यमुना माता की आरती उतारी जाती है। यमुना जी की आरती पढ़ने या सुनने मात्र से ही भगवान श्री कृष्ण जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यमुना जी की आरती सच्चे मन से करने से यम का भय खत्म हो जाता है।

भाई दूज की आरती /  यमुना जी की आरती

ॐ जय यमुना माता, हरि ॐ जय यमुना माता, नो नहावे फल पावे सुख सुख की दाता |ॐपावन श्रीयमुना जल शीतल अगम बहै धारा, जो जन शरण से कर दिया निस्तारा |ॐजो जन प्रातः ही उठकर नित्य स्नान करे, यम के त्रास न पावे जो नित्य ध्यान करे |ॐकलिकाल में महिमा तुम्हारी अटल रही, तुम्हारा बड़ा महातम चारों वेद कही |ॐआन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो, नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो |ॐनमो मात भय हरणी शुभ मंगल करणी, मन 'बेचैन' भय है तुम बिन वैतरणी |ॐॐ जय यमुना माता, हरि ॐ जय यमुना माता

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