राजधानी शिमला में पेयजल सप्लाई व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। शहर को रोजाना 44 एमएलडी पानी मिलने के बावजूद कई इलाकों में लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं, जबकि दूसरी ओर कुछ टंकियां लगातार ओवरफ्लो हो रही हैं। खलीनी क्षेत्र से सामने आया यह विरोधाभासी दृश्य बताता है कि पानी का वितरण सिस्टम संतुलन खो चुका है और इसकी मॉनिटरिंग पर अब गंभीरता से पुनर्विचार की जरूरत है। पढ़ें पूरी खबर..
शिमला: (HD News); राजधानी शिमला में प्रतिदिन 44 एमएलडी पानी की आपूर्ति के बावजूद पेयजल व्यवस्था चरमराई हुई है। शहर के बड़े हिस्से आज भी पानी की भारी किल्लत झेल रहे हैं, जिससे यह साफ हो गया है कि सप्लाई सिस्टम सिर्फ कागज़ों पर सुचारू है, जमीन पर नहीं।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कई इलाकों में पानी की टंकियां ओवरफ्लो होकर लगातार बह रही हैं, जबकि इसी शहर में हजारों लोग सूखे नलों और खाली टंकियों के सहारे अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने को मजबूर हैं। यह विरोधाभास सीधे तौर पर विभागीय लापरवाही और असंतुलित जल प्रबंधन की ओर इशारा करता है।
"शिमला में पानी की बड़ी लापरवाही! कहीं टंकियां ओवरफ्लो, कहीं लोग बूंद-बूंद को तरसे — सच देखिए वीडियो में"
वीडियो में दिखाई दे रही ओवरफ्लो टंकी खलीनी क्षेत्र की है -जहां पानी की इतनी भरमार है कि टंकी से बाहर बह रहा है, लेकिन कुछ ही दूरी पर स्थित अन्य टंकियां पूरी तरह सूखी पड़ी हैं। यह स्थिति प्रशासन की मॉनिटरिंग, वितरण और नियंत्रण प्रणाली की गंभीर खामियों को उजागर करती है।

स्थानीय निवासियों के सवाल बेहद तीखे और वाजिब हैं -
जब 44 एमएलडी पानी शहर को मिल रहा है, तो फिर सप्लाई कुछ चुनिंदा टंकियों तक ही क्यों सीमित है ? क्यों कुछ मोहल्लों में पानी हर दिन बह रहा है, जबकि कुछ क्षेत्रों में लोग 2 - 3 दिन तक एक बाल्टी पानी को तरसते हैं ? यह असमानता अब लोगों के गुस्से को खुलकर हवा देने लगी है।
महापौर का सख्त एक्शन: सप्लाई अव्यवस्था पर अधिकारियों से सीधे सवाल, व्यवस्था दुरुस्त करने के सख्त निर्देश -
पेयजल संकट पर महापौर सुरेंद्र चौहान ने शनिवार को कड़ा रुख अपनाते हुए एसजेपीएनएल और बिजली बोर्ड के अधिकारियों को तत्काल टाउन हाल तलब किया। उन्होंने तीखे सवालों के साथ पूछा कि जब शिमला को पर्याप्त पानी मिल रहा है, तो फिर नियमित सप्लाई क्यों नहीं दी जा रही? कुछ इलाकों में छह-छह दिन बाद पानी और कहीं रोजाना सप्लाई - यह असमानता क्यों ? महापौर ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यह बंदरबांट अब बर्दाश्त नहीं होगी और शहर में हर तीसरे दिन नियमित सप्लाई अनिवार्य की जाएगी।
कम वोल्टेज और पंपिंग क्षमता में कमी को लेकर बिजली बोर्ड ने पीक ऑवर में लोड बढ़ने की दलील दी, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया कि सुबह 7:30 से 10:30 बजे तक पंप 30% कम क्षमता पर चलेंगे। गुम्मा में सात में से पांच, जबकि गिरि में चार में से केवल दो पंप ही संचालित किए जाएंगे। बैठक में शहर को 24 घंटे पानी सप्लाई देने की संभावना पर भी चर्चा हुई, जिसमें कंपनी ने दावा किया कि अगले महीने से सप्लाई व्यवस्था सुधारी जाएगी, और सतलुज पेयजल योजना शुरू होने के बाद शहर में संकट काफी हद तक खत्म होने की उम्मीद है।
बता दें कि शिमला में पानी की सप्लाई का मौजूदा हाल सिर्फ तकनीकी खामी नहीं, बल्कि जल प्रबंधन की गंभीर विफलता का स्पष्ट संकेत है। ओवरफ्लो टंकियों और सूखी सप्लाई लाइनों का तीखा विरोधाभास बताता है कि निगरानी, वितरण और समन्वय - तीनों स्तरों पर सिस्टम लड़खड़ा चुका है। यही वजह है कि पर्याप्त पानी उपलब्ध होने के बावजूद लोग किल्लत झेलने को मजबूर हैं। जल प्रबंधन की इस अव्यवस्था ने स्थानीय लोगों में गहरी नाराज़गी और अविश्वास पैदा कर दिया है।
