हिमाचल पुलिस ने सोशल मीडिया पर वर्दी के दुरुपयोग, संवेदनशील सूचनाओं के अनधिकृत प्रसार और निजी प्रचार की बढ़ती प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए अब एक व्यापक और कठोर SOP लागू कर दी है। नए नियमों के तहत पुलिस वर्दी में मनोरंजन, निजी प्रचार, धार्मिक-सामाजिक पोस्ट या किसी भी तरह की व्यक्तिगत कंटेंट अपलोड करना पूरी तरह निषिद्ध होगा, जबकि जांच, अपराध, आरोपी-पीड़ित की पहचान, ड्यूटी स्थल की वीडियो या किसी भी शासकीय दस्तावेज के निजी अकाउंट्स पर साझा करने पर भी सख्त रोक रहेगी। विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि एसओपी का उल्लंघन निलंबन से लेकर सेवा समाप्ति तक की कार्रवाई को आमंत्रित कर सकता है और आवश्यकता पड़ने पर आपराधिक मुकदमा भी चलाया जा सकता है - पढ़ें विस्तार से..
शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश पुलिस विभाग ने सोशल मीडिया पर पुलिस वर्दी के उपयोग को लेकर बड़ा और सख्त कदम उठाते हुए नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी कर दी है। इस एसओपी का मुख्य उद्देश्य पुलिस वर्दी की गरिमा की रक्षा, विभाग की सार्वजनिक छवि को सुरक्षित रखना, सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर रोक लगाना तथा गोपनीय सूचनाओं के अनधिकृत प्रसार को पूर्णतः प्रतिबंधित करना है।
नई गाइडलाइन के तहत अब कोई भी पुलिस अधिकारी या कर्मचारी पुलिस वर्दी पहनकर मनोरंजन, निजी प्रचार, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक या व्यक्तिगत प्रकृति की कोई भी रील, वीडियो, फोटो, स्टोरी या पोस्ट सोशल मीडिया पर अपलोड नहीं कर सकेगा।

इसके साथ ही निजी सोशल मीडिया अकाउंट्स पर पुलिसिंग से जुड़ी कोई भी संवेदनशील सामग्री—जैसे जांच की स्थिति, अपराध से संबंधित जानकारी, आरोपी या पीड़ित की पहचान, ड्यूटी स्थल की वीडियो, अथवा कोई भी शासकीय दस्तावेज, वायरलेस संदेश या विभागीय पत्राचार - साझा करना पूरी तरह निषिद्ध कर दिया गया है।
पुलिस कर्मियों को सरकारी नीतियों, पुलिस मुख्यालय के निर्णयों या पुलिसिंग से संबंधित किसी भी आधिकारिक कार्य पर निजी अकाउंट्स में टिप्पणी करने की भी अनुमति नहीं होगी। विभागीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कंटेंट केवल वही अधिकारी अपलोड कर सकेंगे जिन्हें सक्षम प्राधिकारी से लिखित अनुमति प्राप्त हो। सभी आधिकारिक पोस्टें अब केवल प्रेस नोट, जन-जागरूकता संदेश और कानून-व्यवस्था से संबंधित आधिकारिक सूचनाओं तक सीमित रहेंगी।
एसओपी का उल्लंघन करने वालों पर विभाग ने बेहद कठोर कार्रवाई का संकेत दिया है। दोषी पाए जाने पर विभागीय जांच, निलंबन, वेतन वृद्धि रोकना, पदावनति से लेकर सेवा समाप्ति तक की कार्रवाई संभव है। यदि मामले में आपराधिक तत्व पाया गया तो आपराधिक अभियोजन भी चलाया जाएगा।

प्रत्येक जिला पुलिस अधीक्षक, कमांडेंट और इकाई प्रमुख को निर्देशित किया गया है कि वे अपने अधीनस्थों को इस एसओपी की पूरी जानकारी दें। थाना प्रभारियों को समय-समय पर समीक्षा कर उल्लंघन की सूचना तत्काल उच्चाधिकारियों को भेजने को कहा गया है। राज्य स्तर पर पुलिस मुख्यालय एक विशेष निगरानी तंत्र विकसित करेगा, जो नियमों के अनुपालन पर नजर रखेगा।
नई एसओपी के लागू होने से उम्मीद है कि पुलिस बल की गरिमा और भरोसे को बनाए रखते हुए सोशल मीडिया के अनियंत्रित एवं गलत उपयोग पर प्रभावी अंकुश लगेगा।
सोशल मीडिया के युग में जहां पलभर में जानकारी वायरल हो जाती है, ऐसे समय में हिमाचल पुलिस की यह नई एसओपी विभागीय अनुशासन, विश्वसनीयता और गोपनीयता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यह कदम स्पष्ट संदेश देता है कि वर्दी केवल सम्मान का प्रतीक नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का दायित्व भी है। नए नियमों से न केवल पुलिस बल की पेशेवर छवि मजबूत होगी, बल्कि जनता का विश्वास भी बढ़ेगा। डिजिटल स्पेस में पारदर्शिता, नियंत्रण और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए यह एसओपी हिमाचल पुलिस की एक निर्णायक और दूरगामी पहल के रूप में देखी जा रही है।
