हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने विधायक संजय अवस्थी से जुड़े जालसाजी और भ्रष्टाचार के आरोपों वाले मामले में सुनवाई आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार को विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। अदालत का यह कदम मामले की प्रगति पर करीबी निगरानी के संकेत देता है। संजय अवस्थी ने विशेष न्यायाधीश सोलन द्वारा उनके खिलाफ आरोप तय करने के आदेश को चुनौती दी है, वहीं सरकार ने साफ किया है कि इस आपराधिक मामले को वापस लेने का कोई इरादा नहीं है। अब कोर्ट में आगामी सुनवाई इस पूरे प्रकरण की कानूनी दिशा तय करेगी। जानिए क्या है पूरा मामला..
शिमला: (HD News); प्रदेश हाईकोर्ट ने विधायक संजय अवस्थी के खिलाफ भ्रष्टाचार और जालसाजी के आरोपों से जुड़े मामले में राज्य सरकार को ताज़ा स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी किए हैं। यह आदेश उस पृष्ठभूमि में आया है जब सरकार ने स्पष्ट रूप से कोर्ट को अवगत कराया था कि वह विधायक के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला वापस लेने के पक्ष में नहीं है। सरकार ने कहा था कि मामले को आगे बढ़ाने में ही विधि के अनुरूप न्यायिक प्रक्रिया की भावना निहित है।

विधायक संजय अवस्थी ने हाईकोर्ट में वह याचिका दायर की है जिसमें उन्होंने विशेष न्यायाधीश, सोलन द्वारा उनके खिलाफ आरोप तय करने के आदेश को चुनौती दी है। उन पर आरोप है कि पार्षद रहते हुए उन्होंने क्रिकेट खिलाड़ी विक्रमजीत सिंह मलिक, निवासी हरियाणा, को हिमाचली होने का कथित रूप से झूठा प्रमाण पत्र जारी किया। इस आधार पर मलिक ने बाद में तहसीलदार सोलन से बोनाफाइड हिमाचली प्रमाणपत्र हासिल किया, जबकि वह हिमाचल प्रदेश का स्थायी निवासी नहीं था।
अभियोजन के अनुसार, मलिक मूलतः गांव सींख, तहसील इसराना, जिला पानीपत (हरियाणा) का निवासी है और इस कारण वह हिमाचल प्रदेश के लिए खेल पात्रता मानकों को पूरा नहीं करता था।

कोर्ट ने रिकॉर्ड का निरीक्षण करते हुए 14 मई 2001 को अवस्थी द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्र को प्रथम दृष्टया गलत माना है। इसी दस्तावेज का इस्तेमाल विक्रमजीत मलिक ने वास्तविक हिमाचली प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए किया था। यह मामला वर्तमान में विशेष न्यायाधीश सोलन की अदालत में विचाराधीन है, और हाईकोर्ट ने सरकार से ताज़ा प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
हाईकोर्ट का यह रुख संकेत देता है कि मामला गंभीर प्रकृति का है और न्यायालय इसके कानूनी आयामों की गहन पड़ताल कर रहा है। सरकार द्वारा केस वापस न लेने का फैसला और अदालत द्वारा स्टेटस रिपोर्ट की मांग - दोनों इस बात के संकेत हैं कि मामला गंभीर कानूनी दिशा में आगे बढ़ रहा है। अब आने वाली रिपोर्ट और विशेष न्यायाधीश सोलन की अदालत में चल रही कार्यवाही ही तय करेगी कि आरोपों की सत्यता किस हद तक सिद्ध होती है और इसका भविष्य राजनीतिक व कानूनी दोनों स्तरों पर क्या प्रभाव छोड़ता है।
