आज का राशिफल: 03 मई 2024; आज इन राशि के जातकों की चमकेगी किस्मत, धन का मिलेगा बंपर लाभ, जानें आपकी राशि में क्या लिखा है       आज का राशिफ़ल: 02 मई 2024; आज भगवान विष्णु खोलेंगे इन राशियों के भाग्य का द्वार, धन-संपदा में होगी वृद्धि, जानिए कैसा रहेगा आपका दिन..       हिमाचल में बर्फबारी : किन्नौर के ऊंचे इलाकों में भारी बर्फबारी , बागवानों की धुकधुकी बढ़ी, करोड़ों के सेब पर खतरा मंडराया, पढ़ें पूरी खबर..       शिमला रिज पर हॉजरी और फूड के स्टाल लगाने पर लगी रोक, हॉजरी या फिर फूड का स्टॉल लगाया तो होगा सारा सामान जब्त, पढ़ें पूरी खबर..       हिमाचल के DGP बने अतुल वर्मा:साल 1991 बैच के IPS; कुंडू की रिटायरमेंट के बाद ताजपोशी, पदभार संभाला       हिमाचल उपचुनाव : आज घोषित हो सकते हैं कांग्रेस के विधानसभा उपचुनाव प्रत्याशी.. पढ़ें पूरी खबर..       आज का राशिफल : 27 अप्रैल 2024; आज इन राशियों पर रहेगी शनि देव की टेढ़ी नजर, पूरे दिन इन मामलों में रहना होगा सावधान, पढ़ें आज का राशिफल..       हिमाचल कांग्रेस ने तीन विधानसभा सीटों पर उतारे उम्‍मीदवार, इन प्रत्‍याशियों को मिला मौका, पढ़ें पूरी खबर..       हिमाचल कांग्रेस ने तीन विधानसभा सीटों पर उतारे उम्‍मीदवार, इन प्रत्‍याशियों को मिला मौका, पढ़ें पूरी खबर..       राजधानी शिमला में 25 वर्षीय युवक ने की आत्महत्या, घर की तीसरी मंजिल में लगाई फांसी, पुलिस जांच में जुटी, पढ़ें पूरी खबर..      

धार्मिक स्थान

जानें श्रावण मास की कैसे हुई शुरुआत, क्यों भोले नाथ का नाम पड़ा नीलकंठ?

July 10, 2020 07:27 AM

भगवान शिव को सावन का महीना यानी श्रावण मास अत्यंत प्रिय है। सावन के महीने में महादेव की अराधना करने का बड़ा महत्व होता है। सावन में भक्त अपनी मनोकामनाओं के लिए महादेव की उपासना करते हैं, क्योंकि सावन में भगवान शिव की कृपा जल्दी प्राप्त हो जाती है। श्रावण मास शुरू होने के पीछे एक पौराणिक कथा है।

पौराणिक कथा के अनुसार जब देवता और दानवों ने मिलकर समुंद्र मंथन किया तो हलाहल विष निकला था। विष के प्रभाव से संपूर्ण सृष्टि में हलचल मच गई थी। ऐसे में सृष्टि की रक्षा के लिए महादेव ने विष का पान कर लिया और शिव जी ने विष को अपने कंठ में धारण कर लिया था। विष के प्रभाव से भगवान भोले का कंठ नीला पड़ गया और उनका एक नाम नीलकंठ पड़ गया।

विष का ताप शिव जी के ऊपर बढ़ने लगा तो तब विष का प्रभाव कम करने के लिए पूरे महीने घनघोर वर्षा हुई और विष का प्रभाव कुछ कम हुआ। लेकिन अत्यधिक वर्षा से सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने अपने मस्तक पर चन्द्र धारण किया क्योंकि चन्द्रमा शीतलता का प्रतीक है और भगवान शिव को इससे शीतलता मिली।

ये घटना सावन मास में घटी थी, इसीलिए इस महीने का इतना महत्व है और इसीलिए इस पौराणिक कथा के अनुसार तब से हर वर्ष सावन में भगवान शिव को जल चढ़ाने की परम्परा की शुरुआत हुई थी। 

Have something to say? Post your comment

धार्मिक स्थान में और

माता के दरबार में चढ़ा 28 क्विंटल मक्खन, मिटेंगे बड़े-बड़े रोग

शिमला के कालीबाड़ी मन्दिर में धूमधाम से मनाया गया दुर्गापूजा, महिलाओं ने खेली सिंदूर की होली

7 अक्टूबर से शुरू हो रही शारदीय नवरात्रि, जानें- कलश स्थापना का मुहूर्त, पूजा विधि और सभी जरूरी बातें, पढ़े विस्तार से..

बगलामुखी मंदिर बनखंडी में दी जाए हवन करवाने की अनुमति, पुजारी वर्ग ने सौंपा ज्ञापन, पढ़े पूरी खबर

हनुमान मन्दिर में किया गया विशाल भण्डारे का आयोजन, भक्तों का लगा तांता

हनुमान मंदिर में कल भंडारे का आयोजन, आप सभी सादर आमंत्रित..

जानिए नवरात्रि में कलश स्थापना का क्या है शुभ मुहूर्त? इन बातों का रखें ध्यान

पर्स में जरूर रखनी चाहिए ये 5 चीजें, कभी नहीं रहेगी जेब खाली

अयोध्या में शुरू हुआ राम मंदिर निर्माण

जन्माष्टमी के दिन घर लायें ये चीजें कभी नही होगी धन की कमी