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पंचांग

गुरुवार का पंचांग: 03 अक्टूबर 2018; जानिए शुभ मुहूर्त व राहुकाल का समय

October 03, 2019 05:00 AM

हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।

जानिए गुरुवार का पंचांग

*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

*वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।

* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।

* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।

*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

गुरुवार का पंचांग 

बृहस्पतिवार, 3 अक्टूबर , 2019

विष्णु रूपं पूजन मंत्र :

शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम। लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म ।वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकैकनाथम।।

।। आज का दिन मंगलमय हो ।।

दिन (वार) - गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)

गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए । गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।

*विक्रम संवत् 2076 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य *शक संवत - 1941 *अयन - उत्तरायण *ऋतु - ग्रीष्म ऋतु *मास - आश्विन माह *पक्ष - कृष्ण पक्ष

तिथि (Tithi)- पञ्चमी - 10:12 तक तदुपरांत षष्ठी

तिथि का स्वामी - पञ्चमी तिथि के स्वामी सर्पदेव(नाग ) जी है तदुपरांत षष्ठी तिथि के स्वामी कार्तिकेय जी है

आज नवरात्री का पांचवा दिन है। पांचवें नवरात्रि के दिन मां स्कंदमाता को केले का प्रसाद चढ़ाने से माता के भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है, उन्हें परम आनंद की प्राप्ति होती है ।

पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन नाग देव की पूजा करने से भय तथा कालसर्प दोष दूर होता है। पंचमी को नाग देवता का पूजन करने से घर में किसी की भी सांप काटने से मृत्यु नहीं होती है और अगर सांप काटने से किसी की मृत्यु हो भी गयी हो तो उसे मुक्ति मिलती है, जातक को निर्भयता प्राप्त होती है । पंचमी तिथि को पूर्णा भी कहते है। इस तिथि में कोई भी नया कार्य शुरू करने से उसमे सफलता मिलने की सम्भावना बहुत बढ़ जाती है वह कार्य बहुत लम्बे समय तक चलते है । लेकिन पौष माह की पंचमी को कोई भी नया कार्य नहीं करना चाहिए । शास्त्रों में पंचमी तिथि को कटहल, बिल्ब, और खटाई खाने को मना किया गया है ।

नक्षत्र (Nakshatra)- अनुराधा - 12:11 तक तदुपरांत ज्येष्ठा

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- अनुराधा नक्षत्र के देवता मित्र है एवं ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इन्द्र है ।

योग(Yog) - आयुष्मान् - 4 अक्टूबर 01:04+ तक सौभाग्य

प्रथम करण : - बालव - 10:12 तक

द्वितीय करण : - कौलव - 21:47 तक

गुलिक काल : - बृहस्पतिवार को शुभ गुलिक दिन 9:00 से 10:30 तक ।

दिशाशूल (Dishashool)- बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।

राहुकाल (Rahukaal)-दिन - 1:30 से 3:00 तक।

सूर्योदय - प्रातः 06:15

सूर्यास्त - सायं 06:04

विशेष - पंचमी को बिल्व का सेवन नही करना चाहिए ।

मुहूर्त (Muhurt) - पंचमी तिथि समस्त शुभ कार्यों के लिए उत्तम है परंतु इस दिन ऋण कतई नहीं देना चाहिए।

"हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो "।

आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।मंगल दायक हो ।

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