हिमाचल प्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता लाने को लेकर दावे हर सरकार में किए जाते हैं, लेकिन धरातल में सरकारी शिक्षण संस्थान कुछ और ही बयां करते हैं। यह सारे दावे अर्की उपमंडल के शहरोल स्कूल में खोखले साबित हो रहें हैं, पढ़ें पूरी खबर..
सोलन: (हिमदर्शन समाचार); सरकार के दावों के विपरीत अर्की उपमंडल की राजकीय उच्च विद्या शहरोल में लगभग 10 सालों से कला अध्यापक का पद खाली चल रहा है। साथ ही एक लिपिक का पद भी करीब दस साल से खाली चल रहा है। सरकार बेशक हर मंच और कार्यक्रम में शिक्षा के बड़े-बड़े दावे करती हाे कि शिक्षा की गुणवत्ता से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है। बच्चों को सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवाई जाएगी, लेकिन यह सारे दावे अर्की उपमंडल के शहरोल स्कूल में खोखले साबित हो रहें हैं।
शहरोल स्कूल में छठी कक्षा से दशवीं कक्षा तक 44 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जबकि कला अध्यापक के इलावा 6 शिक्षक स्कूल में सेवाएं दे रहे हैं। पहले इस स्कूल में सैकड़ों बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे थे लेकिन 10 वर्षों से कला अध्यापक न होने के कारण अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इससे साल दर साल बच्चों की संख्या में निरंतर कमी हो रही है।
महेश दत्त : प्रधान स्कूल प्रबंधन समिति शहरोल (SMC)
शहरोल स्कूल के एसएमसी प्रधान महेश दत्त ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि उन्होंने कई बार इस संदर्भ में उपनिदेशक शिक्षा विभाग सोलन से बात की तो उनकी तरफ से हर बार आश्वासन मिलता रहा है कि शीघ्र कला अध्यापक की तैनाती हो जाएगी, लेकिन अब 10 वर्ष बीत चुके है आज तक कला अध्यापक की तैनाती नहीं हुई है। महेश दत्त ने कहा कि शहरोल स्कूल में एक पद क्लर्क का भी करीब 10 सालों से खाली पड़ा हुआ है। तथा TGT आर्ट का एक पद पिछले 6 महीने से खाली है। पाठशाला में इन पदों को भरने के लिए पाठशाला प्रबंधन समिति शिक्षा मंत्री और प्रशासन से आग्रह करती है कि उपरोक्त पदों को जल्दी से जल्दी भरा जाए ताकि बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो ।