शिमला: (HD News); पहाड़ी क्षेत्रों में साफ़, स्वच्छ और ग्रीन पर्यावरण के लिए कार्य करने के लिए शिमला कलेक्टिव ग्रुप का गठन किया गया है। इस ग्रुप द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए अगले एक महीने तक जन जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसके बाद 21 से 23 मार्च तक शिमला में एक पर्यावरण मीट का आयोजन किया जाएगा जिसमें हिमाचल प्रदेश सहित उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और लद्दाख राज्यों के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञ द्वारा संवाद स्थापित किया जाएगा । इन कार्यक्रमों का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों और नागरिकों को साथ लेकर पर्यावरण सुधार और स्वच्छता की ओर कार्य करना है ।
शिमला कलेक्टिव की ओर से कल से एक महीने के लिए शिमला व आसपास के क्षेत्र में जन जागरूकता अभियान शुरू होगा जिसकी शुरुआत शहर के विभिन्न क्षेत्रों में नुक्कड नाटक और जनसभा के आयोजन से होगी। पर्यावरण संरक्षण के लिए जन जागरूकता फैलाने के लिए यह कार्यक्रम शारीरिक क्षेत्र के अलावा शिमला ग्रामीण में भी करवाए जाएंगे साथ ही युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों और कॉलेज में भी पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
कार्यक्रम की जानकारी देते हुए शिमला कलेक्टिव के संयोजक कैप्टन एन.पी.एस भुल्लर ने बताया कि जागरूकता अभियान के बाद 21 मार्च से 3 दिवसीय "शिमला पर्यावरण मीट" आयोजित की जाएगी। जिसमें हिमाचल, उत्तराखण्ड , जम्मू कश्मीर और लद्दाख इन चार राज्यों के वैज्ञानिक व विशेषज्ञ और नागरिक जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण पर संवाद करेंगे। इस संवाद से प्राप्त संदेशों को संग्रहित कर विभिन्न सरकारों और संबंधित विभागों से सांझा किया जाएगा ताकि पर्यावरण संरक्षण को लेकर आगामी नीतियां बनाने में सहयोगी सिद्ध हो।
कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर और पर्यावरणविद टिकेंद्र पंवर ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन ऐसे ज्वलंत मुद्दे हैं जिस पर समाज के हर वर्ग को जागृत करना जरूरी है साथ ही विकास और सरकार की नीतियां भी पर्यावरण संरक्षण के अनुरूप होनी चाहिए। इसीलिए शिमला के विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित लोगों ने सामूहिक रूप से शिमला कलेक्टिव की रचना की है जिसमें विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और आम जागरूकता के साथ ही पर्यावरण एक्सपर्ट, सरकारी विभाग , विभिन्न संगठन - हाईड्रो प्रोजेक्ट , उद्योग और विभिन्न प्रतिभागियों को शामिल किया जाएगा। जिससे आने वाले समय के लिए कुछ सही दिशाओं को निर्धारित किया जा सके और पर्यावरण को संरक्षित रखा जा सके।