शिमला: हिमाचल प्रदेश की सरकार ने हाल ही में आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की है। ऐसे में प्रदेशभर में इसको लेकर काफी बवाल मचा है। कोई कहता है कि राज्य सरकार का यह निर्णय सही नहीं है, इससे शराब सस्ती होगी जो सरासर गलत है... तो किसी का यह कहना है कि नई नीति के तहत बारों में रात 2 बजे तक शराब परोसी जाएगी..! लेकिन विडंबना यह है कि इन तमाम सवालों की असलियत कोई भी जानना नहीं चाहता है। ऐसे में विरोध करने वालों की परिपक्वता पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह नीति नुक्सानदायक नहीं बल्कि हिमाचल के लिए फायदेमंद है। अब आपके जहन में यह सवाल उठ रहा होगा कि यह किस तरह फायदेमंद है?
आपकी जानकारी के लिए हम बताना चाहेंगे कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2020-21 के लिए स्वीकृत की गई आबकारी नीति से हिमाचल के राजस्व में काफी बढ़ोतरी होगी। यही नहीं इस नीति के तहत शराब तस्करी पर भी अंकुश लगेगा। बता दें कि कुछेक राज्यों में शराब काफी सस्ती बिकती है, इसका फायदा शराब माफिया उठा रहे हैं। यही कारण है कि अन्य राज्यों से गैर कानून तरीके से प्रदेश में शराब की आपूर्ति होती है। इस तरह के मामले कई बार सामने आ चुके हैं। ऐसे में सोचने योग्य बात यह है कि जब प्रदेश में सस्ती शराब बिकेगी तो अन्य राज्यों से शराब की तस्करी पर विराम लगेगा और शराब माफिया पर भी शिकंजा कसा जाएगा।
इस पाॅलिसी के तहत प्रदेश में स्थित देसी शराब के कारखानों और बॉटलिंग प्लांटों को 30 फीसद कोटा प्रदेश के शराब कारोबारियों को मुहैया करवाना होगा। बाकि का 70 फीसद कोटा रिटेल कारोबारी अपनी इच्छा के शराब आपूर्तिकर्ता से ले सकेंगे। राज्य सरकार ने आबकारी नीति में 13 फीसद की बढ़ोतरी के साथ 215 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व जुटाने का लक्ष्य तय किया है। 2020-21 में सरकार आबकारी नीति के माध्यम से 1840 करोड़ का राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य है। यही नहीं नई नीति में राजस्व नुकसान को रोकने के लिए रिटेल शराब कारोबारियों को बैंक गारंटी के तौर पर एफडीआर सरकार को देनी होगी। आयातित शराब की बिक्री बढ़ाकर इससे खजाने में आने वाली आय को बढ़ाने के लिए सरकार ने आयातित शराब की बिक्री पब्लिक कस्टम बाउंडेड वेयर हाउस के माध्यम से करने का फैसला लिया है।
इसके अतिरिक्त, इस नीति में सभी सितारा संबंधी होटलों और विशेष पर्यटन क्षेत्रों में स्थित बारों के लिए बार की समयावधि दोपहर 12 बजे से मध्य रात्रि 2 बजे तक निर्धारित की गई है। यह बताना यह लाजमी होगा कि पर्यटक हिमाचल की वादियों में मौजमस्ती करने आते हैं। ऐसे में वे शराब का सेवन भी अवश्य करते हैं। इसके मद्देनजर पर्यटन क्षेत्रों में स्थित बारों में भी शराब की बिक्री बढ़ेगी।
आबकारी नीति पर एक नजर
- आबकारी नीति की वजह से इस वर्ष के दौरान 1, 840 करोड़ रुपये के राजस्व की परिकल्पना की गई है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 215 करोड़ रुपये अधिक है। इस वजह से हिमाचल सरकार का राजस्व बढ़ेगा और यह पैसा सरकार द्वारा प्रदेश एवं राज्य की जनता के हित के लिए ही व्यय करेगी।
- बॉर्डर एरिया में शराब सस्ती होने की वजह से प्रदेश में 40 प्रतिशत शराब की तस्करी होती है। शराब की तस्करी की वजह से प्रदेश के बॉर्डर एरिया में आपराधिक गतिविधियों में वृद्धि होती है। ऐसे में कानून व्यवस्था भी प्रभावित होती है।
- पर्यटन स्थलों पर बार खुले होते हैं तो उसके बंद होने का समय बढ़ाने से पर्यटकों को परेशानी नहीं होगी बल्कि फायदा होगा। पर्यटक अक्सर जब भी प्रदेश में आते हैं तो शराब अपने राज्य या बॉर्डर एरिया से खरीद कर लाते हैं क्योंकि वहां उन्हें सस्ते दामों में शराब मिलती है। बार के जल्दी बंद हो जाने की वजह से अक्सर पर्यटकों को सड़कों के किनारे शराब पीते हुए देखा जाता है जिससे स्थानीय जनता को परेशानी होती है। अब जब बार बंद होने का समय बढ़ाया गया है तो उससे स्थानीय जनता की परेशानी भी खत्म होगी और साथ में जो पर्यटक सड़कों पर शराब पीते हुए नजर आते हैं वो भी बंद हो जाएगा।
- शराब की जितनी बिक्री होती है उस हर एक बोतल से एक रुपए गौसेवा के लिए जाता है जिसे सरकार ने कुछ महीने पहले ही शुरू किया था। लेकिन शराब जो तस्करी करके लाई जाती थी और बिकती थी तो उसका फायदा सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना को नहीं मिल पाता था। अब इस आबकारी नीति की वजह से शराब की बिक्री में जो धांधली होती थी वो बंद होगी और उसका पूरा फायदा गौसेवा के लिए शुरू की गयी इस योजना को मिलेगा।सबसे बड़ी बात नई आबकारी नीति से शराब के मूल्यों में कोई बहुत बड़ा फेरबदल नहीं होने वाला है जिसका हल्ला प्रदेशभर मचा हुआ है। अक्सर आपने एक बात कई लोगों से सुनी होगी की एमआरपी के रेट से ज्यादा दाम बसूले जाते हैं। लेकिन अब इस आबकारी नीति की वजह से शराब बेचने वाले मनमर्जी के दाम वसूल नहीं कर पाएंगे।