मंडी : (पांगणा); गुग्गा जी की अमर कहानी-बहुत करुण बहुत सुहानी - चारों ओर से ऊंची-ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा पांगणा हिमाचल प्रदेश का एक उत्सव प्रिय अंचल है। इस गांव मे सालभर अनेक तीज-त्योहार हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं। लेकिन एक पखवाड़े से एक माह तक मनाई जाने वाले गुग्गा रथयात्रा पर्व की अपनी ही विशिष्ट पहचान है। पांगणा के रमणीक बाग गांव के नाथ बिरादरी के धार्मिक मंगलमुखी गायक जो स्वयं को गुरु गोरखनाथ जी की ज्ञान परंपरा से गौरवान्वित समझते हैं, आज भी अनेक लोकगाथाओं के प्रचार-प्रसार से अपनी अलग पहचान बनाए हुए लोक संस्कृति को नव जीवन प्रदान कर.रहे हैं। गुग्गा जी का गाथा गायन यूं तो पूरे हिमाचल में होता है लेकिन आज के बदलते परिवेश में सुकेत रियासत की राजधानी के रुप प्रसिद्ध पांगणा स्वराट है । सुकेत अधिष्ठात्री राज-राजेश्वरी महामाया पांगणा के दुर्ग मंदिर की छठी मंजिल पर स्थित गर्भगृह में वर्षभर पूजे जाने वाले सिंहासनी गुग्गा महाराज और गुग्गी जी वर्ष में केवल एक बार भादो माह में ही रथयात्रा पर निकलते हैं। क्षेत्र के हर घर-आंगन में पधार कर गुग्गा जी और गुग्गी जी जहां परिवार को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं वहीं गुग्गा-गुग्गी जी की जीवन गाथाएं परिजनों को आनंद विभोर कर देती हैं।