हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :- 1:- तिथि (Tithi) 2:- वार (Day) 3:- नक्षत्र (Nakshatra) 4:- योग (Yog) 5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए गुरुवार का पंचांग
*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है । *वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। * नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है। * योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है । *करण के पठन व श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
गुरुवार का पंचांग
बृहस्पतिवार, 31 अक्टूबर , 2019
विष्णु रूपं पूजन मंत्र :
शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम। लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म ।वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकैकनाथम।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) - गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)
गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए । गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
*विक्रम संवत् 2076 संवत्सर कीलक तदुपरि सौम्य *शक संवत - 1941 *अयन - उत्तरायण *ऋतु - शरद ऋतु *मास - कार्तिक माह *पक्ष - शुक्ल पक्ष
तिथि (Tithi)- चतुर्थी - 1 नवम्बर 01:01 तक तदुपरांत पञ्चमी
तिथि का स्वामी - चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी है तदुपरांत पञ्चमी तिथि के स्वामी सर्पदेव(नाग ) जी है
चतुर्थी तिथि के स्वामी विघ्नविनाशक गणपति गणेश जी है । इस तिथि का एक नाम खला भी है खला जिसका अर्थ है किसी विशेष परिणाम / सफलता का प्राप्त ना होना। इसलिए चतुर्थी तिथि में प्रारम्भ किए गए कार्यों के विशेष परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं। इस तिथि के स्वामी विघ्नविनाशक श्री गणेश जी की आराधना से जीवन के सारे विघ्न दूर हो जाते हैं। चतुर्थी को भगवान गणेश जी के मन्त्र "ॐ गं गणपतये नमः" का अवश्य ही जाप करें । इस दिन ज्यादा से ज्यादा इस मन्त्र का उच्चारण करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते है , कर्ज मिटता है । जीवन में धन, यश और बुद्दि की प्राप्ति होती है ।
नक्षत्र (Nakshatra)- ज्येष्ठा - 21:32 तक तदुपरांत मूल
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इन्द्र है एवं मूल नक्षत्र के देवता निर्रुती (राक्षस) है ।
योग(Yog) - शोभन - 09:44 तक
प्रथम करण : - वणिज - 13:25 तक
द्वितीय करण : - विष्टि - 1 नवम्बर 01:01+ तक
गुलिक काल : - बृहस्पतिवार को शुभ गुलिक दिन 9:00 से 10:30 तक ।
दिशाशूल (Dishashool)- बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
राहुकाल (Rahukaal)-दिन - 1:30 से 3:00 तक।
सूर्योदय - प्रातः 06:35
सूर्यास्त - सायं 17:34
विशेष - चतुर्थी को मूली नहीं खानी चाहिए । (चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है । )
मुहूर्त (Muhurt) - चतुर्थी तिथि रिक्ता तिथि है इसलिए इस दिन कोई भी नया, मांगलिक कार्य वर्जित है ।
"हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो "।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।