लोकसभा में ऑनलाइन गेमिंग पर बड़ा फैसला लिया गया है। बहुमत से पास हुए नए बिल के बाद "खेलो और जीतो" के नाम पर चल रहे जुए और सट्टेबाज़ी के कारोबार पर सरकार ने सख्ती का ऐलान कर दिया है। अब सवाल उठ रहा है कि क्या Dream11 और इस तरह के फैंटेसी गेमिंग ऐप्स भी इस कानून के दायरे में आएंगे? खासकर तब जब लंबे समय से इस पर मैच फिक्सिंग और खिलाड़ियों से साठगांठ के आरोप लगते रहे हैं। पढ़ें विस्तार से..
नई दिल्ली : (HD News); लोकसभा में ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया को झकझोर देने वाला बड़ा फैसला लिया गया है। बहुमत से पास हुए नए बिल के बाद यह साफ हो गया है कि अब "खेलो और जीतो" के नाम पर जुए और सट्टेबाज़ी का धंधा नहीं चल पाएगा। सरकार ने साफ कर दिया है कि ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर अगर किसी भी ऐप या कंपनी ने पैसों का खेल रचा तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस बिल के बाद सीधे तौर पर उन ऐप्स पर असर पड़ेगा जो क्रिकेट, फुटबॉल, कसीनो या कार्ड गेम्स में दांव लगवाकर करोड़ों का धंधा कर रहे थे।
युवाओं को बचाने की कोशिश
इस कानून का मकसद युवाओं को जुए की लत और आर्थिक नुकसान से बचाना है। आए दिन ऐसी खबरें आती रही हैं कि लोग लालच में ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाज़ी के चक्कर में कर्ज़दार हो रहे हैं, घर-परिवार तबाह कर रहे हैं और कई मामलों में आत्महत्या तक कर रहे हैं। सरकार ने इन खतरनाक नतीजों को देखते हुए पैसों से जुड़ी ऑनलाइन गेमिंग पर सख्त बैन लगाने का निर्णय लिया है।
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क्या Dream11 भी आएगा निशाने पर ?
लेकिन इस बीच सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है - क्या इस बिल की जद में Dream11 और इस तरह के फैंटेसी गेमिंग ऐप्स भी आएंगे? Dream11 खुद को एक "कौशल आधारित गेम" बताता है और अदालतें भी इसे जुए की श्रेणी से बाहर मान चुकी हैं। इस ऐप पर लोग क्रिकेट और अन्य खेलों के खिलाड़ियों का चयन कर अपनी वर्चुअल टीम बनाते हैं और उनके असली मैदान पर प्रदर्शन के आधार पर अंक और पैसा जीतते हैं। यही वजह है कि इसे जुआ न मानकर "स्किल बेस्ड गेमिंग" कहा जाता है।
मैच फिक्सिंग पर उठते सवाल
हालांकि, विवाद यहीं खत्म नहीं होता। लंबे समय से Dream11 और इसी तरह के प्लेटफॉर्म्स पर आरोप लगते रहे हैं कि ये कंपनियां अपनी "फैंटेसी टीमों" के अनुसार असली खिलाड़ियों को प्रभावित करती हैं। कहा जाता है कि खिलाड़ियों को परफॉर्म करने या जानबूझकर खराब खेलने के लिए मोटी रकम दी जाती है, ताकि लाखों-करोड़ों रुपये का फायदा कंपनी और उससे जुड़े लोगों को हो सके। ऐसे आरोप खासकर आईपीएल और अन्य फ्रेंचाइज़ी लीग्स के दौरान सबसे ज्यादा सुनाई देते हैं। कई बार खिलाड़ियों के मैदान पर अजीबोगरीब प्रदर्शन ने इन शक़ों को और गहरा कर दिया है।
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कानूनी नजर से मामला
कानूनी दृष्टि से देखा जाए तो मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग पहले से ही गंभीर अपराध हैं। भारतीय दंड संहिता (IPC), भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के नियमों के तहत किसी भी खिलाड़ी या कंपनी का इस तरह की साजिश में शामिल होना सीधे-सीधे धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश की श्रेणी में आता है। अब नया बिल आने के बाद सरकार और जांच एजेंसियों के पास और अधिक शक्तियां होंगी, जिनके तहत वे ऐप कंपनियों के सभी वित्तीय लेन-देन की जांच कर सकेंगी और संदिग्ध गतिविधियों को पकड़ सकेंगी।
Dream11 का बचाव और जनता का शक
Dream11 और अन्य फैंटेसी ऐप्स ने हमेशा इन आरोपों को खारिज किया है। उनका दावा है कि यह पूरी तरह कानूनी, पारदर्शी और कौशल आधारित खेल है। लेकिन जनता के बीच संदेह बना हुआ है और सोशल मीडिया पर अक्सर यह बहस छिड़ जाती है कि आखिर खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस पर इन ऐप्स का कितना असर पड़ता है। खासकर तब जब कोई बड़ा खिलाड़ी अचानक आउट हो जाता है या बेवजह खराब खेलता हुआ नजर आता है।
नए बिल के बाद बढ़ी निगरानी
नया बिल पास होने के बाद अब Dream11 और अन्य ऐप्स पर निगरानी और सख्त हो जाएगी। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि युवाओं को जुए और सट्टेबाज़ी की आदत से बचाया जाए, साथ ही अगर खिलाड़ियों और कंपनियों के बीच किसी तरह की मिलीभगत होती है तो उसे तुरंत उजागर कर सख्त कार्रवाई की जाए। अगर भविष्य में यह साबित हो गया कि खिलाड़ियों को परफॉर्म करने या न करने के लिए पैसे दिए जा रहे थे, तो यह भारत का सबसे बड़ा खेल घोटाला बन सकता है।
खेल या जुए का नया रूप ?
माना जा रहा है कि नया कानून ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया को साफ करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। Dream11 और अन्य फैंटेसी ऐप्स पर अभी सीधा बैन नहीं लगेगा, लेकिन उन पर अब पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना जरूरी होगा। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह अरबों का फैंटेसी गेमिंग कारोबार सिर्फ "स्किल बेस्ड गेम" है, या इसके पीछे कहीं छुपा हुआ फिक्सिंग का जाल है।
डिस्क्लेमर (Disclaimer):
इस खबर में दी गई जानकारी विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स, सार्वजनिक चर्चाओं और सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं पर आधारित है। Dream11 और अन्य फैंटेसी गेमिंग कंपनियों द्वारा किसी भी तरह की मैच फिक्सिंग या खिलाड़ियों से साठगांठ के आरोपों की अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। वेबसाइट इस खबर को केवल सूचनात्मक और जनचर्चा के उद्देश्य से प्रकाशित कर रही है। पाठकों से आग्रह है कि वे इस विषय को तथ्यों और आधिकारिक घोषणाओं के आधार पर ही अंतिम मानें।
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