हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPPCL) में कार्यरत चीफ इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। एक कुशल और जिम्मेदार अधिकारी, जो कभी अपने परिवार और काम दोनों के प्रति समर्पित था, आखिर इतना टूट कैसे गया कि उसकी जिंदगी का अंत गोबिंदसागर झील में एक लाश के रूप में हुआ ? अब इस सवाल का जवाब सामने आया है। हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) ओंकार शर्मा द्वारा की गई फैक्ट-फाइंडिंग जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, नेगी को न केवल मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, बल्कि उन्हें ‘ब्रेनलेस’ जैसे अपमानजनक शब्दों से बुलाया गया, गालियां दी गईं और छुट्टी मांगने पर धमकियां दी जाती रहीं। जानिए हिमाचल के (ACS) ओंकार शर्मा द्वारा हाईकोर्ट को सौंपी गई फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट के अहम खुलासे..
शिमला | 29 मई 2025; (HD News); हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPPCL) के दिवंगत चीफ इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) ओंकार शर्मा द्वारा हाईकोर्ट को सौंपी गई फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि नेगी लंबे समय से मानसिक उत्पीड़न और दफ्तर के भीतर अमानवीय व्यवहार का शिकार थे। मामले की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपी जा चुकी है।
ब्रेनलेस, गालियां और छुट्टी न मिलने का दबाव :-
ACS की रिपोर्ट के अनुसार, HPPCL के डायरेक्टर देसराज शर्मा ने विमल नेगी को बार-बार "ब्रेनलेस पर्सन" कहकर अपमानित किया। देसराज न सिर्फ अपशब्दों का इस्तेमाल करते थे, बल्कि विमल नेगी को छुट्टी मांगने पर "एक्सप्लेनेशन कॉल" की धमकियां भी दी जाती थीं। रिपोर्ट में उल्लेख है कि नेगी को एक दिन की भी छुट्टी नहीं दी जाती थी और उनसे अक्सर देर रात तक काम करवाया जाता था।
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महिला कर्मचारियों पर भी दबाव :-
रिपोर्ट में कहा गया है कि न केवल नेगी, बल्कि अन्य कर्मचारी और महिला अधिकारी भी देर रात तक दफ्तर में काम करने के लिए मजबूर थे। एक महिला अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि जब से हरिकेश मीणा, देसराज शर्मा और शिवम प्रताप ने पदभार संभाला, तभी से दफ्तर का माहौल बिगड़ना शुरू हो गया था।
परिवार का आरोप: आत्महत्या के पीछे दफ्तर का उत्पीड़न:-
विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी ने रिपोर्ट में बताया कि जॉइनिंग के शुरुआती दो हफ्तों में वह खुश थे, लेकिन इसके बाद उनका व्यवहार पूरी तरह बदल गया। वे घर पर समय नहीं दे पाते थे और तनाव में रहने लगे। फरवरी 2025 में जब उन्होंने दो दिन की छुट्टी लेकर परिवार को ऊना से रिकांगपिओ छोड़ा, तब भी अधिकारियों के फोन लगातार आते रहे।
MD और अन्य अधिकारियों ने आरोपों से झाड़ा पल्ला:-
ACS के समक्ष दिए गए बयानों में HPPCL के तत्कालीन MD हरिकेश मीणा और डायरेक्टर शिवम प्रताप सिंह ने खुद को पूरी तरह से अनजान बताया। मीणा ने कहा कि उन्हें देसराज के गलत व्यवहार की जानकारी नहीं थी, जबकि शिवम प्रताप ने कहा कि वे विमल नेगी की मानसिक स्थिति या काम के दबाव से अवगत नहीं थे।
डायरेक्टर देसराज शर्मा ने भी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी असंसदीय भाषा का प्रयोग नहीं किया और विमल नेगी से उनके संबंध अच्छे थे।
CBI ने दर्ज किया मामला, परिजनों ने शव के साथ किया था प्रदर्शन :-
10 मार्च को लापता हुए विमल नेगी का शव 18 मार्च को गोबिंदसागर झील में मिला था। 19 मार्च को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों ने HPPCL के शिमला मुख्यालय के बाहर शव के साथ प्रदर्शन किया, जो रात 10 बजे तक चला। उसी दिन न्यू शिमला थाने में देसराज शर्मा, हरिकेश मीणा और शिवम प्रताप के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामले की जांच CBI को सौंप दी गई है और एजेंसी ने दिल्ली में मामला भी दर्ज कर लिया है।
विमल नेगी की मौत अब केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं रही, बल्कि यह पूरे HPPCL तंत्र की कार्यशैली और कर्मचारियों की मानसिक स्थिति पर बड़ा सवाल बन गई है। रिपोर्ट के खुलासे बताते हैं कि सीनियर अधिकारियों की ज़्यादती और असंवेदनशील व्यवहार ने इस दुखद घटना को जन्म दिया। अब यह देखना अहम होगा कि CBI की जांच इस मामले में कौन-कौन से और तथ्य उजागर करती है।
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यह रिपोर्ट फैक्ट फाइंडिंग जांच रिपोर्ट और परिजनों के बयानों पर आधारित है। आगे की जानकारी CBI जांच के बाद सामने आएगी।