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Himachal

फर्जी पत्रकारों और फेसबुक न्यूज़ चैनलों की बढ़ती फौज ने असली पत्रकारिता को किया शर्मसार

June 04, 2025 09:10 PM

हिमदर्शन न्यूज़ डेस्क | विशेष रिपोर्ट

शिमला: "कैमरा उठाया, माइक बनाया और फेसबुक पेज पर ‘न्यूज़ चैनल’ लिख दिया" — क्या यही पत्रकारिता रह गई है? भारत में इन दिनों एक अजीब चलन चल पड़ा है — बिना किसी पंजीकरण, बिना किसी वैध पहचान और बिना संपादकीय जिम्मेदारी के हजारों फर्जी पत्रकार और फेसबुक न्यूज़ चैनल खुलेआम सक्रिय हैं।

और चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें से कई खुद को “चीफ एडिटर”, “फाउंडर”, “ब्यूरो चीफ” तक लिखते हैं, जबकि असल में इनके पास न कोई मान्यता है, न कोई लाइसेंस, और न ही पत्रकारिता का कोई अनुभव।


📉 क्या है सच्चाई? कौन है असली पत्रकार?

भारत का संविधान पत्रकारों को कोई अलग दर्जा नहीं देता, लेकिन अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूर देता है। एक असली पत्रकार:

  • किसी मान्यता प्राप्त मीडिया संस्था से जुड़ा होता है
  • संपादकीय जिम्मेदारियों को समझता है
  • तथ्यात्मक और जनहित की रिपोर्टिंग करता है
  • प्रेस काउंसिल या MIB के नियमों का पालन करता है

🔍 फर्जी पत्रकार कैसे बनते हैं?

फर्जी पत्रकारों का नेटवर्क आमतौर पर ऐसे चलता है:

  • खुद का “प्रेस कार्ड” छपवाते हैं
  • फेसबुक या यूट्यूब पर ‘XYZ News’ नाम से चैनल बनाते हैं
  • अफसरों, व्यापारियों, नेताओं को डराकर पैसे ऐंठते हैं
  • सोशल मीडिया पर किसी के खिलाफ वीडियो डालकर ‘डिलीट करने के बदले पैसे’ मांगते हैं

इनका मकसद सिर्फ और सिर्फ धौंस दिखाकर धन कमाना होता है।


📲 फर्जी फेसबुक चैनलों का बढ़ता जाल

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में हजारों फेसबुक पेज ऐसे हैं जो खुद को न्यूज़ चैनल कहते हैं — लेकिन:

  • उनके पास MIB का पंजीकरण नहीं है
  • कोई संपादकीय टीम नहीं है
  • कोई कंटेंट गाइडलाइन फॉलो नहीं होती
  • सिर्फ सनसनी और अफवाहें फैलाना ही उद्देश्य होता है

🚨 ये पेज लोगों की भावनाओं से खेलते हैं और लोकतंत्र की बुनियाद — सच्ची पत्रकारिता — को कमजोर करते हैं।


📑 क्या कहता है कानून?

सरकार ने 2021 में IT Rules लागू किए, जिनके तहत डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को:

  • MIB में Self-Declaration देना होता है
  • कंपनी/संस्थान के रूप में पंजीकरण कराना होता है
  • शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करना होता है

लेकिन अधिकांश फर्जी चैनल इन नियमों का पालन नहीं करते। उन पर IPC की धाराएं भी लग सकती हैं:

  • IPC 419/420 – जालसाजी
  • IPC 384/506 – ब्लैकमेल
  • IT Act – ऑनलाइन अफवाह और डेटा दुरुपयोग

🗣️ क्या बोले वरिष्ठ पत्रकार?

वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है:

“पत्रकारिता लोकतंत्र की आत्मा है, उसे नकली पहचानधारियों से बचाना अब जनता की भी ज़िम्मेदारी है।”


⚠️ जनता कैसे करे पहचान?

  • किसी पत्रकार का प्रेस कार्ड देखें – क्या वैध संस्थान से है?
  • न्यूज़ चैनल का पंजीकरण नंबर या कंपनी नाम जांचें
  • उनके पेज/चैनल पर दिख रहे कंटेंट की गंभीरता और भाषा पर ध्यान दें
  • ब्लैकमेल या अफवाह की स्थिति में तुरंत साइबर सेल या थाना में शिकायत दर्ज करें

✍️ निष्कर्ष:

"पत्रकार बनना ज़िम्मेदारी है, धंधा नहीं।" आज जरूरत है कि हम पत्रकार और फर्जी पत्रकार के बीच के फर्क को समझें। वरना कल को कोई भी माइक लेकर लोकतंत्र के इस पवित्र स्तंभ को व्यापार बना देगा।

✍️ रिपोर्ट: ओम प्रकाश ठाकुर 🌐 HimDarshan.com


 

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