नई दिल्ली: कैफे कॉफी डे एंटरप्राइजेज के संस्थापक वी. जी. सिद्धार्थ का शव मिल गया है। सिद्धार्थ का शव मंगलुरु में नेत्रावती नदी के नजदूक होइगे बाजार में मिला है। कर्नाटक के पूर्व सीएम एस एम कृष्णा के दामाद सिद्धार्थ सोमवार शाम से लापता थे और पुलिस उनकी तलाश में जुटी थी। लापता होने से पहले सिद्धार्थ ने एक पत्र लिखा था जिसमें उनके कर्ज में डूबे होने की बात थी। साथ ही उन्होंने पत्र में कर विभाग और कर्जदाताओं से भी दबाव का आरोप लगाया था। सिद्धार्थ ने अपने पत्र में खुदको एक कारोबारी के तौर पर असफल बताया था लेकिन उनके सफर पर नजर डालें तो इसमें सफलताओं की कमी नहीं है।
कॉफी डे एंटरप्राइजेज, कैफे कॉफी डे (सीसीडी) ब्रांड नाम से कॉफी रेस्तरां चलाने वाली कंपनी है। ये एक ऐसी कंपनी है जिसने नाम से ज्यादा अपने काम से सफलता हासिल की है। वी. जी. सिद्धार्थ का नाम भारत के सफल कारोबारियों में गिना जाता है। अपने काम से पहचान बनाने वाले सिद्धार्थ को 'कॉफी किंग' भी कहा जाता है। कॉफी किंग सिद्धार्थ ने अपने सफर की शुरुआत 5 लाख रुपये से की थी।
कौन थे वीजी सिद्धार्थ?
कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में जन्में वीजी सिद्धार्थ का परिवार करीब 140 साल से कॉफी प्लांटेशन से जुड़ा हुआ है। मैंगलुरु यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय से इकनॉमिक्स में मास्टर डिग्री लेने वाले सिद्धार्थ ने अपने दम पर शेयर बाजार में अपना दबदबा बनाया। वह चाहते तो विरासत में मिली खेती से आराम से जिंदगी निकाल सकते थे लेकिन सिद्धार्थ ने लोगों की भीड़ में अपनी एक अलग पहचान बनाने की सोची और वो पूरी तरह कामयाब हुए।
यूं आया टर्निंग पॉइंट
वीजी सिद्धार्थ ने अपने करियर की शुरुआत 1982 में मुंबई स्थित जेएम फाइनेंसियल लिमिटेड में बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी व इंटर्न के तौर पर की। उस समय वह महज 24 साल के थे। मुंबई में 2 साल रहने के बाद सिद्धार्थ ने 1984 में अपने पिता की सीख को याद करते हुए चिकमंगलूर लौटना सही समझा। मुंबई में उन्होंने शेयर बाजार की अच्छी समझ हासिल की। मुंबई जाने से पहले पिता के दिए 5 लाख रुपये में उन्होंने 3 लाख रुपये में जमीन खरीदी और 2 लाख रुपये बैंक में जमा कर लिए। इसके बाद उन्होंने वापस लौटकर बेंगलुरु में अपना कारोबार शुरू किया और वहीं उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट भी रहा।
छोटी कंपनी में दांव लगाकर की शुरुआत
वीजी सिद्धार्थ ने 30, 000 रुपये में सिवान सिक्योरिटीज नाम की एक छोटी सी कंपनी के साथ शेयर बाजार खरीदा। बाद में इस कंपनी को साल 2000 में ‘वे 2 वेल्थ सिक्यूरिटी लिमिटेड’ का नाम दिया गया। अपनी समझ से सिद्धार्थ ने इस कंपनी को बेहद सफल निवेश बैंकिंग और स्टॉक ब्रोकिंग फर्म बना दिया। इसके बाद 10 साल तक फाइनैंशल सर्विसेज में हाथ आजमाने के बाद उन्होंने यही पाया कि असली सोना तो उनकी पुश्तैनी विरासत कॉफी है। साल 1993 में उन्होंने अमाल्गमैटेड बीन कॉफी ट्रेडिंग कंपनी लिमिटेड (ABCTCL) की स्थापना की। उस वक्त इस कंपनी का सालाना रेवेन्यू 6 करोड़ रुपये था लेकिन दो साल में कंपनी भारत से दूसरी सबसे बड़ी निर्यातक बन गई और इसका टर्नओवर 25 अरब रुपये हो गया।
CCD से मिली पहचान और बने कॉफी किंग
1996 में सिद्धार्थ ने कॉफी कैफे डे की शुरुआत की। इससे ही उनके करियर की दिलचस्प कहानी की शुरुआत हुई। उनका यह कारोबार ऊंचाइयों को छूने लगा। भारत में कॉफी के बिजनस से उन्हें बेहद सफलता प्राप्त हुई। केवल भारत ही नहीं, बल्कि कंपनी के आउटलेट कई देशों में खुले।
भारत के बाहर पहला कैफे 2005 में ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में खोला गया था। ऑस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक, कराची और दुबई में भी कंपनी का बिजनेस है। आज के समय में कंपनी के पास 200 शहरों में सीसीडी के 1, 750 कैफे हैं। इसके साथ ही इसमें करीब 48, 000 वेंडिंग मशीनें, 532 कियोस्क और 403 ग्राउंड कॉफी बेचने वाले आउटलेट हैं। इस बिजनेस में 5 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। पहला कैफे बेंगलुरु में ब्रिगेड रोड पर खोला गया था।
कैफे कॉफी डे का सीधा मुकाबला टाटा ग्रुप की स्टारबक्स से है और इसके अलावा अपेक्षाकृत छोटी कैफे चेंस बरिस्ता और कोस्टा कॉफी से है। मौजूदा समय में वीजी सिद्धार्थ के पास 12 हजार एकड़ से ज्यादा की जमीन है। 2015 के फोर्ब्स की लिस्ट में सिद्धार्थ की कुल संपत्ति 1.2 बिलियन डॉलर है।
इन कारोबार में निवेश
सीसीडी के अलावा उन्होंने एक हॉस्पिटैलिटी चेन भी शुरु की थी, इस चेन को 7-स्टार रिसॉर्ट सीराई और सिकाडा चलाता है। वीजी सिद्धार्थ ने माइंड्री, ग्लोबल टेक्नॉलजी वेचर्स लिमिटेड, डार्क फॉरेस्ट फर्नीचर कंपनी, SICAL लॉजिलिस्टिक्स में अच्छा निवेश किया था। उन्होंने 3000 एकड़ जमीन पर केले के पेड़ लगाए और केले का निर्यात भी करने लगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले दो साल में सीसीडी की रफ्तार में कमी देखने को मिला और कर्ज में इजाफा हुआ। कॉफी डे ग्लोबल की होल्डिंग फर्म कॉफी डे एंटरप्राइजेज पर इस साल मार्च तक करीब 6, 550 करोड़ रुपये का कर्ज है। वहीं सिद्धार्थ ने पिछले दिनों आईटी कंपनी माइंडट्री में अपनी पूरी 20.4% हिस्सेदारी 3000 करोड़ रुपये में बेच दी थी।