🙏🌹जय श्री महाकाल 🌹🙏 श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का आज का भस्म आरती श्रृंगार दर्शन 🔱 चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी, स.2080 (सोमवार) 27 मार्च 2023 🔱🌹ॐ नमः शिवाय*🌹🙏💐
हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय एवं काल की सटीक गणना की जाती है। पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है।
ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है।
तिथि : हिन्दू काल गणना के अनुसार 'चन्द्र रेखांक' को 'सूर्य रेखांक' से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। एक माह में तीस तिथियां होती हैं और ये तिथियां दो पक्षों में विभाजित होती हैं। शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। तिथि के नाम - प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या/पूर्णिमा।
नक्षत्र: आकाश मंडल में एक तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। 27 नक्षत्रों के नाम- अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र।
वार: वार का आशय दिन से है। एक सप्ताह में सात वार होते हैं। ये सात वार ग्रहों के नाम से रखे गए हैं - सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार।
योग: नक्षत्र की भांति योग भी 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम - विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।
करण: एक तिथि में दो करण होते हैं। एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक तिथि के उत्तरार्ध में। ऐसे कुल 11 करण होते हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं - बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं और भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए, सोमवार का पंचांग,
* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
*वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
*नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदूमास एवं पक्ष आदि की जानकारी देते हैं। आइए जानते हैं आज का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय।
सोमवार का पंचांग
महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं । सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है। सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।
जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है। सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।
*विक्रम संवत् 2079, * शक संवत – 1944, *कलि संवत 5124* अयन – उत्तरायण, * ऋतु – बसंत ऋतु, * मास – चैत्र माह, * पक्ष – शुक्ल पक्ष*चंद्र बल – मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर,
सोमवार को चन्द्रमा की होरा :
प्रात: 6.17 AM से 7.19 AM तक,
दोपहर 13.28 PM से 2.29 PM तक
रात्रि 20.32 PM से 9.31 PM तक
सोमवार को चन्द्रमा की होरा में अधिक से अधिक चन्द्र देव के मन्त्र का जाप करें। यात्रा, प्रेम, प्रसन्नता, कला सम्बन्धी कार्यो के लिए चन्द्रमा की होरा अति उत्तम मानी जाती है। सोमवार के दिन चन्द्रमा की होरा में चंद्रदेव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में चंद्र देव मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है।
तिथि (Tithi)- षष्टी 17.27 PM तक तत्पश्चात सप्तमी
तिथि का स्वामी – षष्टी तिथि के स्वामी भगवान कार्तिकेय जी और सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य देव जी है। षष्ठी (छठ) के देवता भगवान भोलेनाथ के पुत्र और देवताओं के सेनापति कार्तिकेय जी है। कार्तिकेय जी को युवा और बाल्य रूप में ही पूजा जाता है। भगवान कार्तिकेय जी को सदेव युवा रहने का वरदान प्राप्त है ।
इस तिथि में कार्तिकेय जी की पूजा करने से मनुष्य श्रेष्ठ मेधावी, रूपवान, दीर्घायु और कीर्ति को बढ़ाने वाला हो जाता है। यह यशप्रदा अर्थात सिद्धि देने वाली तिथि हैं। भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से भक्तो को बल और साहस की प्राप्ति होती है, विवाद, मुक़दमो में सफलता मिलती है, शत्रु परास्त होते है।
कार्तिकेय गायत्री मंत्र : – ‘ॐ तत्पुरुषाय विद्महे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोदयात’. यह मंत्र हर प्रकार के दुख एवं कष्टों का नाश करने के लिए प्रभावशाली है ।
आज नवरात्रि का छठा दिन है यह मां कात्यायनी को समर्पित है। मां कात्यायनी ने महिषासुर नाम के असुर का वध किया था, जिस कारण मां कात्यायनी को असुरों और पापियों का संहार करने वाली देवी कहा जाता है। इनकी सवारी सिंह है। मां कात्यायनी की चार भुजा हैं इनके एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल तथा अन्य दोनों हाथों में वरमुद्रा और अभयमुद्रा है। माता कात्यायनी की पूजा से विवाह में हो रही बाधाएं दूर होती है, देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं और कन्याओं को अच्छा मिलने के योग बनते हैं, दाम्पत्य जीवन में प्रेम और सहयोग बनता है। मां कात्यायनी की पूजा शाम के समय माता को लाल या पीले फूल, कच्ची हल्दी की गांठ एवं चांदी के या मिटटी के पात्र में शहद अर्पित करके गोधुलि बेला में करनी चाहिए।
।।ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा ।।
नक्षत्र (Nakshatra)- रोहिणी 15.27 PM तक तत्पश्चात मृगशिरा।
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- रोहिणी नक्षत्र के देवता ब्रम्हा और स्वामी चंद्र देव जी है । रोहिणी नक्षत्र, नक्षत्रों के क्रम में चौथे स्थान पर है तथा चंद्रमा का केंद्र माना जाता है। ‘रोहिणी’ का अर्थ ‘लाल’ होता है। इसे आकाश में सबसे चमकीले सितारों में से एक माना जाता है। यह 5 तारों का समूह है, जो धरती से किसी भूसा गाड़ी की तरह दिखाई देता है।रोहिणी नक्षत्र का आराध्य वृक्ष जामुन और स्वभाव शुभ माना गया है ।
पुराण कथा के अनुसार रोहिणी चंद्र की सत्ताईस पत्नियों में सबसे सुंदर, तेजस्वी, सुंदर वस्त्र धारण करने वाली है। ज्यों-ज्यों चंद्र रोहिणी के पास जाता है, त्यों-त्यों उसका रूप अधिक खिल उठता है। रोहिणी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 1, 2, 3, 6 और 9, भाग्यशाली रंग सफेद, पीला और नीला तथा भाग्यशाली दिन शनिवार, शुक्रवार और बुधवार है।
आज रोहिणी नक्षत्र के बीज मंत्र “ऊँ ऋं ऊँ लृं” अथवा “ॐ रौहिण्यै नमः” l का 108 बार जाप करें इससे रोहिणी नक्षत्र को बल मिलेगा।
रोहिणी नक्षत्र में घी, दूध, का दान करना चाहिए।
योग(Yog) – आयुष्मान 23.20 PM तक तत्पश्चात सौभाग्य
योग के स्वामी :- आयुष्मान योग के स्वामी चंद्र देव एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है।
प्रथम करण : – तैतिल 15. 27 PM तक
करण के स्वामी, स्वभाव :- तैतिल करण के स्वामी विश्वकर्मा जी और स्वभाव सौम्य है।
द्वितीय करण : – गर
करण के स्वामी, स्वभाव :- गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है।
गुलिक काल : – दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।दिशाशूल (Dishashool)- सोमवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है। यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दर्पण देखकर, दूध पीकर जाएँ ।
राहुकाल (Rahukaal)-सुबह -7:30 से 9:00 तक।
* सूर्योदय – प्रातः 06:17
* सूर्यास्त – सायं 18:36
विशेष – षष्टी को नीम का सेवन नहीं करना चाहिए । षष्टी को नीम का सेवन करने से नीच योनि मिलती है।
आज का शुभ मुहूर्त 27 मार्च 2023 : अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 2 मिनट से 12 बजकर 51 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से 3 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्यरात्रि 12 बजकर 3 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 6 बजकर 35 मिनट से 6 बजकर 58 मिनट तक। अमृत काल दोपहर 12 बजकर 4 मिनट से 1 बजकर 46 मिनट तक। अमृत सिद्धि योग दोपहर 3 बजकर 27 मिनट से अगली सुबह 6 बजकर 16 मिनट तक। रवि योग सुबह 6 बजकर 18 मिनट से दोपहर 3 बजकर 27 मिनट तक। सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा।
आज का अशुभ मुहूर्त 27 मार्च 2023 : राहुकाल सुबह 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक। सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक यमगंड रहेगा। दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक गुलिक काल रहेगा। दुर्मुहूर्त काल दोपहर 12 बजकर 51 मिनट से 1 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। इसके बाद दोपहर 3 बजकर 19 मिनट से 4 बजकर 8 मिनट तक।
आज का उपाय : शिव पार्वती की पूजा करें, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
पर्व त्यौहार- नवरात्री का छठा दिन
“हे आज की तिथि ( तिथि के स्वामी ), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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