गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व और गुरु पर्व के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। गुरु नानक देव जी ने समाज से अज्ञानता का अंधेरा हटाकर चारों तरफ ज्ञान का प्रकाश फैलाया था, इसलिए गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है।
आइए इस शुभ दिन पर गुरु नानक के समानता और करुणा के संदेश को याद करें। आपको और आपके परिवार को गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएं।
गुरु नानक का आशीर्वाद आपके मार्ग को रोशन करे और आपको खुशी और धार्मिकता के जीवन की ओर ले जाए। गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएं। इस पवित्र दिन पर, मैं आपके लिए गुरु नानक की दिव्य कृपा और वाहेगुरु के आशीर्वाद से भरे जीवन की कामना करता हूं। मेरी तरफ से आप सभी को गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएं।
शिमला: (HD News); हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। इस साल गुरुपर्व 15 नवंबर, शुक्रवार को है। गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर मनाई जाने वाली गुरु नानक जयंती पर लोग गुरुद्वारे जाते हैं और नगर कीर्तन का आयोजन भी करते हैं। वहीं, रात के समय असंख्य दीयों से संसार प्रकाशमय हो जाता है। आइए, जानते हैं गुरु नानक जयंती की खास बातें।
गुरु नानक जयंती प्रभात बेला पर क्या करें
गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर आपको क्या करना चाहिए? सबसे पहले सुबह स्नान करके 'नित नेम' करें जिसमें पांच वाणी का पाठ होता है। फिर साफ कपड़े पहनकर गुरुद्वारा जाएं, मत्था टेकें और सात संगत के दर्शन करें। गुरुवाणी और कीर्तन सुनें और गुरुओं के इतिहास के बारे में जानें। दिल से अरदास सुनें, संगत और गुरुद्वारे में सेवा करें। गुरु के लंगर में जाकर सेवा करें और अपनी कमाई का दसवां हिस्सा धार्मिक कार्यों और गरीबों की मदद के लिए दान करें।
गुरु नानक जयंती पर नगर कीर्तन का महत्व
गुरु नानक देव जी की जयंती पर प्रभात फेरी का भी बहुत महत्व है। गुरु नानक जयंती से कुछ दिन पहले ही सुबह-सुबह प्रभात फेरियां निकालनी शुरू हो जाती है लेकिन गुरु नानक जयंती पर एक विशाल नगर कीर्तन भी निकाला जाता है जिसकी अगुवाई पंज प्यारे करते हैं। श्री गुरु ग्रंथ साहिब को फूलों से सजी पालकी में रखकर पूरे नगर में घुमाया जाता है और अंत में गुरुद्वारे वापस लाया जाता है। इन प्रभात फेरियों में श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते हुए गुरु नानक देव जी के उपदेशों का प्रचार करते हैं। रास्ते में जगह-जगह श्रद्धालुओं का स्वागत किया जाता है। प्रभात फेरियों के साथ-साथ घर-घर जाकर भी कीर्तन किया जाता है। लोगों के घरों में कीर्तन करने वालों का स्वागत फूलों और आतिशबाजी से किया जाता है।
गुरु नानक की प्रमुख शिक्षाएं
एक ओंकार: सिख धर्म के प्रथम गुरु, नानक देव जी ने सिखाया कि ईश्वर एक है, और वो हर जगह उपस्थित है। उनके “एक ओंकार” का संदेश बताता है कि जगत में जो भी कुछ है वो उस एक ईश्वर की ही देन है। हम सब उस एक परमात्मा की संतानें हैं। एक ओंकार के जरिये नानक देव जी हमें यह संदेश भी देते हैं कि हमें भेदभाव से दूर रहना चाहिए और हर मनुष्य में ईश्वर को देखना चाहिए।
नाम जप: नानक देव जी ने ईश्वर का नाम सुमिरन करने का संदेश भी दिया है। उनका मानना था कि, प्रभु का नाम सुमिरन करने से व्यक्ति के जीवन का अंधकार मिटता है और जीवन में सुख-शांति आती है। नाम जप करने से व्यक्ति दया और प्रेम का पाठ भी सीखता है।
ईमानदारी से काम करना: गुरु नानक जी का मानना था कि हर व्यक्ति को किसी भी कार्य को ईमानदारी के साथ करना चाहिए। ईमानदारी और मेहनत से अर्जित किया गया धन उपयोग करने से हमेशा बरकत होती है। इसके साथ ही ईमानदारी से काम करने से व्यक्ति के अंदर संतोष और आत्म विश्वास की भावना भी जागृत होती है। इसलिए हमेशा काम के प्रति ईमानदार रहना चाहिए।
वंड छको: गुरु नानक जी की महत्वपूर्ण शिक्षाओं में से एक ये भी है कि हमें हमेशा दूसरों की सेवा करनी चाहिए और अर्जित धन में से कुछ दान करना चाहिए। “वंड छको” का अर्थ होता है कि अपने कमाई का कुछ हिस्सा जरूरतमंद लोगों को दिया जाए। ऐसा करने से समाज में समानता बढ़ती है।
भाईचारा: गुरु नानक जी ने आजीवन इस बात पर जोर दिया कि, कोई भी किसी के साथ भेदभाव न करे। सब लोगों के बीच समानता हो। जाति, धर्म, और वर्ग के आधार पर समाज न बंटे। उन्होंने कहा कि सभी मनुष्य समान हैं और ईश्वर की दृष्टि में सभी को एक समान प्रेम और सम्मान मिलना चाहिए।
माया-मोह से मुक्ति: नानक देव जी का मानना था कि हमें कभी भी भौतिक वस्तुओं के प्रति आसक्त नहीं होना चाहिए। हमें आत्मा का विकास करना चाहिए और भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए। तभी एक आदर्श समाज की स्थापना हो सकती है।
महिलाओं का हमेशा करें सम्मान: गुरु नानक देव जी ने महिलाओं को सम्मान और उन्हें समानता देने की बात पर जोर दिया है। गुरु नानक देव जी चाहते थे कि, कभी भी स्त्रियों को निम्न दृष्टि से न देखा जाए और जैसा सम्मान पुरुषों का किया जाता है वैसा ही महिलाओं का होना चाहिए। यानि नानक देव लिंग भेद के भी खिलाफ थे।
आज भी अगर गुरु नानक देव की इन बातों पर अमल किया जाए तो समाज में कई अच्छे परिवर्तन देखने को हमें मिल सकते हैं। इसीलिए नानक देव जी की शिक्षाओं को वर्तमान समय में भी प्रासंगिक कहना गलत नहीं होगा