रक्षाबंधन का पावन पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। आज के दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, वहीं भाई जीवनभर उनकी रक्षा का संकल्प लेते हैं। अगर आप जानना चाहते हैं कि इस साल राखी बांधने का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और परंपराएं क्या हैं, तो यहाँ आपको एक ही जगह पूरी जानकारी मिलेगी।
शिमला: (HD News); सनातन परंपरा में भाई और बहन का रिश्ता केवल खून के रिश्ते तक सीमित नहीं, बल्कि यह प्रेम, विश्वास और त्याग की अनमोल डोर है। इस रिश्ते की पवित्रता और मजबूती को मनाने के लिए हर साल रक्षाबंधन का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष 09 अगस्त 2025, शनिवार को सावन महीने की पूर्णिमा तिथि पर यह पर्व पूरे भारतवर्ष में उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। इसे श्रावणी पर्व भी कहा जाता है, जिसका संबंध न केवल भाई-बहन के रिश्ते से है, बल्कि जनेऊ संस्कार और पूजा-विधि से भी जुड़ा हुआ है।

🪢 राखी का महत्व और स्वरूप
राखी केवल एक रंगीन धागा नहीं, बल्कि भाई की सुरक्षा और बहन के स्नेह का पवित्र प्रतीक है। प्राचीन काल में इसे रक्षासूत्र कहा जाता था, जो संकटों से रक्षा और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देने के लिए बांधा जाता था। पहले राखी सूत, ऊन या रेशम के पवित्र धागों से बनाई जाती थी, लेकिन समय के साथ इसमें विविधता आ गई है। आज बाजार में सोने-चांदी की राखियां, मोती जड़ी डिजाइन, फूलों की राखी और यहां तक कि धार्मिक महत्व वाली वैदिक राखियां या रक्षा पोटलियां भी खूब पसंद की जा रही हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं।

आज सभी को रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
🧭 राखी बांधने की सही दिशा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी भी मांगलिक कार्य की तरह राखी बांधने के समय भी पूर्व या उत्तर दिशा को ही शुभ माना गया है। कई लोग अनजाने में भाई को दक्षिण दिशा की ओर बैठाकर राखी बांधते हैं, जो कि शास्त्रसम्मत नहीं है। इसलिए बहनों को चाहिए कि राखी बांधते समय भाई को केवल पूर्व या उत्तर दिशा में बिठाएं।
⏰ रक्षाबंधन 2025 का शुभ मुहूर्त
मुख्य मुहूर्त : सुबह 5:35 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:00 बजे से 12:53 बजे तक
प्रदोष काल : शाम 7:19 बजे से रात 9:24 बजे तक
इन मुहूर्तों में राखी बांधना अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है। यदि इन समयों में राखी बांधने का अवसर मिले, तो इसका फल और भी अधिक शुभकारी होता है।
📜 राखी बांधने की पारंपरिक विधि
राखी बांधने से पहले स्नान-ध्यान कर स्वयं को पवित्र कर लें और भगवान की पूजा करें। सबसे पहले भगवान को राखी अर्पित करें, फिर भाई को पूर्व या उत्तर दिशा में बैठाएं। रोली और चंदन से तिलक करें, अक्षत छिड़कें और भाई के दाएं हाथ में राखी बांधते हुए मिठाई खिलाएं। दीपक से आरती उतारें और भाई के सुख-समृद्धि की मंगलकामना करें। भाई, बहन के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद ले और उपहार स्वरूप अपनी बहन को प्रेम का प्रतीक दे।
🔮 राखी बांधने के मंत्र
पौराणिक मंत्र :
ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥
वैदिक मंत्र :
ॐ यदा बध्नन् दाक्षायणा हिरण्यं शतानीकाय सुमनस्यमाना:। तन्मऽआबघ्नामि शत शारदायायुष्माञ्जरदृष्टिर्यथासम्॥
इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए राखी बांधना, सुरक्षा और दीर्घायु का आशीर्वाद देता है।
🎨 भाई की राशि के अनुसार राखी का रंग
- मेष – लाल
- वृषभ – सफेद/नीला
- मिथुन – हरा
- कर्क – सफेद
- सिंह – नारंगी/केसरी
- कन्या – हल्का हरा/पीला
- तुला – नीला/गुलाबी
- वृश्चिक – लाल/मरून
- धनु – केसरी/पीला
- मकर – नीला/स्लेटी
- कुंभ – बैंगनी
- मीन – हल्का नीला/समुद्री
सही रंग की राखी बांधने से ग्रहों का संतुलन और शुभ प्रभाव बढ़ता है।
🙏 अगर भाई न हो तो किसे बांधें राखी
यदि किसी महिला का भाई नहीं है, तो वह भाई समान किसी व्यक्ति, अपने गुरु, सैनिक, पुरोहित या अपने आराध्य देवता को राखी बांध सकती है। भगवान श्रीकृष्ण, भगवान शिव, गणेशजी, हनुमानजी और नाग देवता को राखी अर्पित करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। साथ ही, पीपल, बरगद और तुलसी जैसे पूजनीय वृक्षों को रक्षा सूत्र बांधना भी परंपरा का हिस्सा है।
भाई अगर शुभ मुहूर्त में उपस्थित न हो सके तो क्या करें.?
यदि भाई शुभ मुहूर्त में उपस्थित न हो सके, तो पहले राखी भगवान को अर्पित करें। जब भाई आए, तो उसे वही राखी ईश्वर के प्रसाद के रूप में बांधें। इससे शुभता और रक्षा का प्रभाव बरकरार रहता है।
💬 हिमदर्शन समाचार की ओर से शुभकामनाएं – इस रक्षाबंधन पर भाई-बहन के प्रेम, विश्वास और सुरक्षा का यह बंधन सदा अटूट रहे। रिश्तों में स्नेह, सम्मान और अपनापन हमेशा बना रहे।
रक्षाबंधन केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते में प्रेम, सम्मान और जिम्मेदारी को और गहरा करने का अवसर है। शुभ मुहूर्त में राखी बांधने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस पावन दिन पर अपने रिश्तों में विश्वास, अपनापन और खुशियां बनाए रखें, यही रक्षाबंधन का असली संदेश है।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी पारंपरिक मान्यताओं, धार्मिक ग्रंथों और सामान्य स्रोतों पर आधारित है। पाठक अपनी व्यक्तिगत आस्था और विश्वसनीय विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार निर्णय लें।