आज रविवार, 7 सितंबर 2025 को साल का अंतिम चंद्र ग्रहण लग रहा है। यह ग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा पर घटित होगा और इसकी अवधि कुल 3 घंटे 28 मिनट 2 सेकेंड रहेगी। इस बार का ग्रहण कुंभ राशि और पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में पड़ेगा। विशेष बात यह है कि इस दौरान धृति योग भी बन रहा है। भारत में यह ग्रहण प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी लागू होगा।
🕰️ चंद्र ग्रहण कब लगेगा?
दृक पंचांग के अनुसार चंद्र ग्रहण का उपच्छाया से पहला स्पर्श रात 08:59 बजे होगा, जबकि प्रच्छाया से पहला स्पर्श रात 09:58 बजे पर होगा। इसी समय से चंद्र ग्रहण की वास्तविक शुरुआत होगी।
🌑 खग्रास चंद्र ग्रहण का समय
- खग्रास की शुरुआत : 11:01 PM
- परमग्रास (चरम समय) : 11:42 PM
- खग्रास का समापन : 12:22 AM

🔔 ग्रहण कब खत्म होगा?
- प्रच्छाया से अंतिम स्पर्श : 01:26 AM
- उपच्छाया से अंतिम स्पर्श : 02:24 AM
इस प्रकार ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 28 मिनट रहेगी।
⏳ सूतक काल कब से शुरू होगा?
- सूतक काल आरंभ : 12:57 PM
- सूतक काल समाप्ति : 01:26 AM (ग्रहण समाप्ति तक)
👉 विशेष छूट : छोटे बच्चों, वृद्धजनों, गर्भवती और अस्वस्थ व्यक्तियों के लिए सूतक काल का आरंभ आज शाम 06:36 PM से माना जाएगा।
🚫 सूतक काल में क्या न करें
- भोजन पकाना और करना वर्जित है।
- सोना, दान-पुण्य और शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।
- पूजा-पाठ और मंदिर दर्शन से बचना चाहिए।
🌍 कहां दिखाई देगा ग्रहण?
यह चंद्र ग्रहण भारत, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी अफ्रीका और यूरोप से दिखाई देगा। लेकिन उत्तर और दक्षिण अमेरिका में यह ग्रहण प्रत्यक्ष रूप से नहीं दिखेगा।
🛕 चंद्र ग्रहण के बाद क्या करें?
- ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
- घर और पूजा स्थल की शुद्धि करें।
- भगवान की पूजा-अर्चना करें और भोग लगाएं।
- ग्रहण के दौरान रखे भोजन, दूध, पानी या जूस में तुलसी पत्र डालें और ग्रहण के बाद ही सेवन करें।
✅ चंद्र ग्रहण में उपाय और सावधानियां
- मंत्र जाप और ध्यान – ग्रहण काल में भगवान शिव, भगवान विष्णु या इष्टदेव के मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- दान-पुण्य – ग्रहण समाप्त होने के बाद गरीबों, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का
- दान करें।
- गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानी – उन्हें तेज़ धार वाले औजारों का उपयोग नहीं करना चाहिए। सिलाई-कढ़ाई और धारदार वस्तुओं से बचना चाहिए।
- तुलसी और कुश का महत्व – ग्रहण काल में खाने-पीने की चीज़ों में तुलसी पत्र या कुश डालकर रखना चाहिए ताकि ग्रहण का दुष्प्रभाव न हो।
- जप-तप का लाभ – धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल में किया गया जप-तप और साधना सामान्य समय की तुलना में कई गुना अधिक फलदायी होता है।
7 सितंबर 2025 का यह खग्रास चंद्र ग्रहण न सिर्फ खगोलीय दृष्टि से खास है, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी रखता है। भारत में यह प्रत्यक्ष दिखाई देगा, इसलिए इसके सूतक काल का पालन करना आवश्यक है। सूतक काल के दौरान नियमों का पालन करने और ग्रहण समाप्ति के बाद शुद्धि, स्नान, पूजा-पाठ व दान करने से ग्रहण के दुष्प्रभाव दूर होते हैं और शुभ फल प्राप्त होते हैं। वहीं, गर्भवती महिलाओं, बच्चों और अस्वस्थ लोगों को विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण काल में किया गया मंत्र-जाप और साधना सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना फलदायी होती है। इसलिए यह चंद्र ग्रहण जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक उत्थान का अवसर भी प्रदान करता है।