हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी (IGMC) में पिछले एक सप्ताह से चल रहा मारपीट का हाई-प्रोफाइल विवाद मंगलवार को आपसी समझौते के साथ समाप्त हो गया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के कड़े रुख और मध्यस्थता के बाद, डॉक्टर राघव और मरीज अर्जुन सिंह पंवार ने सचिवालय में एक-दूसरे से हाथ मिलाया और मीडिया के सामने गले लगकर इस विवाद को हमेशा के लिए विराम दे दिया। दोनों पक्षों ने अपनी गलतियां स्वीकार करते हुए भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न होने का आश्वासन दिया है। देखें पूरी खबर..
शिमला: (HD News): राजधानी शिमला के प्रतिष्ठित इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) में पिछले एक सप्ताह से चल रहा मारपीट का विवाद आखिरकार सुलझ गया है। मंगलवार को प्रदेश सचिवालय में एक सुखद मोड़ तब आया जब आरोपी और पीड़ित, दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से कड़वाहट को भुलाकर हाथ मिलाया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के हस्तक्षेप और मीडिया सलाहकार की मध्यस्थता के बाद यह गतिरोध समाप्त हुआ।

सचिवालय में बनी सुलह की रणनीति
बीते 22 दिसंबर को हुई घटना के बाद से आईजीएमसी में माहौल तनावपूर्ण बना हुआ था। इस विवाद को सुलझाने के लिए मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान के कार्यालय में एक विशेष बैठक बुलाई गई। बैठक में डॉक्टर राघव नरूला और मरीज अर्जुन सिंह पंवार अपने परिजनों के साथ उपस्थित हुए। गहन चर्चा के बाद दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि आवेश में लिया गया फैसला न केवल उनके निजी जीवन, बल्कि पूरे समाज और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा था।
डॉक्टर और मरीज ने मांगी सार्वजनिक माफी
समझौते के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए मरीज अर्जुन सिंह पंवार ने परिपक्वता का परिचय दिया। उन्होंने कहा, "डॉक्टर साहब ने बड़प्पन दिखाते हुए मुझे सॉरी कहा है। मैंने भी अपनी गलती मानी है। हमारी निजी लड़ाई की वजह से हिमाचल की जनता को जो परेशानी हुई, उसके लिए मैं सार्वजनिक तौर पर माफी मांगता हूं।" वहीं, डॉक्टर राघव नरूला ने अर्जुन को गले लगाकर पुरानी बातों को भुलाने का संदेश दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि विवाद के कारण जो पुलिस मामले दर्ज हुए थे, उन्हें अब दोनों पक्ष आपसी सहमति से वापस लेंगे।

परिजनों ने जताया आभार, कहा- "दोनों हमारे बच्चे"
इस सुलह प्रक्रिया में दोनों के माता-पिता की भूमिका सराहनीय रही। डॉक्टर राघव की मां ने भावुक होते हुए कहा कि उस दिन जो हुआ वह एक भूल थी और अब दोनों ही उनके लिए अपने बच्चों की तरह हैं। वहीं, अर्जुन के पिता ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का विशेष आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की सक्रियता के कारण ही उनके बेटे को न्याय और सम्मान, दोनों मिल सके हैं।
CM सुक्खू की सख्ती और सहानुभूति लाई रंग
गौरतलब है कि सोमवार को मुख्यमंत्री ने इस मामले पर उच्च स्तरीय बैठक की थी। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री के साथ समीक्षा करते हुए एक नई जांच कमेटी गठित करने के आदेश दिए थे। मुख्यमंत्री के इस सख्त रुख और न्यायपूर्ण रवैये ने ही दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर आने के लिए प्रेरित किया। सरकार की इस पहल से न केवल एक कानूनी लड़ाई खत्म हुई, बल्कि प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में काम का माहौल भी सामान्य हो गया है।

आईजीएमसी का यह प्रकरण केवल एक विवाद का अंत नहीं है, बल्कि यह संदेश है कि संवाद के जरिए बड़े से बड़े गतिरोध को सुलझाया जा सकता है। जहाँ एक ओर डॉक्टरों की सुरक्षा सर्वोपरि है, वहीं मरीजों का सम्मान भी तंत्र की जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री की सक्रियता से हुए इस समझौते ने न केवल दो युवाओं का भविष्य बचाया है, बल्कि अस्पताल में ठप पड़ी स्वास्थ्य सेवाओं को पुनः सुचारू करने का मार्ग भी प्रशस्त किया है।