हिमाचल प्रदेश में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अब तक का सबसे कड़ा रुख अख्तियार किया है। सीएम ने हड़ताल को पूरी तरह 'अनुचित' करार देते हुए डॉक्टरों को दोटूक अल्टीमेटम दिया है कि वे अपना 'अहंकार' त्यागें और सोमवार से तत्काल काम पर लौटें। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी है कि प्रदेश की 75 लाख जनता के स्वास्थ्य हितों से समझौता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यदि डॉक्टर जिद पर अड़े रहे, तो सरकार सख्त कदम उठाने के लिए बाध्य होगी। मुख्यमंत्री के इस सख्त संदेश के बाद डॉक्टरों को ने हड़ताल से वापसी ली या नही !! - पढ़े विस्तार से..
शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश में जारी रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को अनुचित करार देते हुए उन्हें अपना अहंकार त्याग कर सोमवार से तत्काल काम पर लौटने का कड़ा निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने दोटूक शब्दों में कहा कि यह हड़ताल एक गलत बात का समर्थन करने के लिए की जा रही है, जो किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार प्रदेश की 75 लाख जनता के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और स्वास्थ्य सेवाओं में किसी भी तरह का व्यवधान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
CM Sukhu on Doctors Strike: "अहंकार छोड़ो और काम पर लौटो!" | बड़ी चेतावनी | Himachal News..
मुख्यमंत्री ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्होंने स्वयं डॉक्टरों को मामले की निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया था, लेकिन इसके बावजूद डॉक्टरों का हड़ताल पर चले जाना उनके प्रशासनिक विश्वास की अवहेलना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि डॉक्टरों को मुख्यमंत्री के आश्वासन पर भरोसा करना चाहिए था। सुक्खू ने रेजिडेंट डॉक्टरों को नसीहत दी कि जिद छोड़कर उन्हें अपनी पेशेवर जिम्मेदारी समझनी चाहिए, क्योंकि मरीजों को संकट में छोड़ना उनकी नैतिकता के विरुद्ध है।

स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ने वाले प्रभाव पर गहरी चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल की जनता डॉक्टर को भगवान का रूप मानती है और बड़ी उम्मीद लेकर अस्पताल पहुँचती है। ऐसे में अगर डॉक्टरों का व्यवहार और रवैया नकारात्मक रहेगा, तो आम जनमानस का सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली से भरोसा उठ जाएगा। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि यदि डॉक्टर केवल प्यार से बात करें तो मरीज की आधी बीमारी वैसे ही ठीक हो जाती है, इसलिए उन्हें अपने 'अहम' को त्यागकर सेवाभाव को सर्वोपरि रखना चाहिए।
मामले के समाधान के लिए मुख्यमंत्री ने आगामी रणनीति साझा करते हुए बताया कि वे इस विषय पर वरिष्ठ डॉक्टरों के साथ अपने सरकारी आवास पर विस्तृत चर्चा करेंगे। उन्होंने पुनः आग्रह किया कि रेजिडेंट डॉक्टर सोमवार से अपनी ड्यूटी पर लौट आएं ताकि मरीजों को और अधिक परेशानी का सामना न करना पड़े। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट संदेश दिया कि डॉक्टर उनके परिवार की तरह हैं, लेकिन जनता की सेवा के मार्ग में आने वाली किसी भी बाधा को दूर करने के लिए सरकार सख्त कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी।

दो गुटों में बंटी स्वास्थ्य व्यवस्था
पहला गुट (आंदोलनकारी): इस गुट के डॉक्टरों ने IGMC के मुख्य गेट पर जोरदार प्रदर्शन किया। इनका साफ कहना है कि जब तक मांगे धरातल पर पूरी नहीं होतीं, वे हड़ताल जारी रखेंगे।
दूसरा गुट (सहमत पक्ष): इस गुट ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा दिए गए जांच के आश्वासन पर भरोसा जताते हुए हड़ताल खत्म करने और ड्यूटी पर लौटने का फैसला किया है।
RDA की एकता पर सवाल
संगठन के भीतर इस दोफाड़ (Split) ने न केवल डॉक्टरों की एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि प्रशासनिक बातचीत को भी मुश्किल बना दिया है। एक ही एसोसिएशन के दो अलग-अलग सुरों ने मरीजों और उनके तीमारदारों के बीच भारी भ्रम पैदा कर दिया है। जहाँ एक तरफ अस्पताल के कुछ हिस्सों में सेवाएं शुरू हुई हैं, वहीं गेट पर हो रहे प्रदर्शन ने तनाव का माहौल बना रखा है।
"रेजिडेंट डॉक्टरों के इस आपसी मतभेद और दो धड़ों में बंटी जिद के बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि आख़िरकार इस 'ईगो और न्याय' की लड़ाई में पिसती बेगुनाह जनता का क्या कसूर है?"
बड़ी राहत: CM सुक्खू के आश्वासन के बाद IGMC के रेजिडेंट डॉक्टरों ने खत्म की हड़ताल -
"अंततः, मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप और संवाद की सार्थकता के साथ आईजीएमसी शिमला में जारी स्वास्थ्य गतिरोध फिलहाल टल गया है। रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) ने डॉ. राघव नरुला की सेवाओं की समाप्ति के मामले में विस्तृत जांच और सकारात्मक समाधान के भरोसे के बाद अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल तत्काल प्रभाव से वापस लेने का निर्णय लिया है। हालांकि, डॉक्टरों ने स्पष्ट किया है कि जब तक टर्मिनेशन आदेश वापस नहीं होते, वे पूरी प्रक्रिया पर पैनी नजर रखेंगे और आगामी 3 जनवरी 2026 को होने वाली बैठक में अपनी भविष्य की रणनीति तय करेंगे। फिलहाल, मरीजों के लिए यह बड़ी राहत की खबर है कि 'देवभूमि के उपचारक' अपने कर्तव्य पथ पर लौट आए हैं।"
