आज (4 नवंबर) बड़ी दिवाली है. दिवाली या दीपावली हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, देवी सरस्वती, महाकाली की पूजा होती है। दिवाली हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। दिवाली पूजन प्रदोष काल में किया जाता है. कहते हैं जो व्यक्ति सच्चे मन से दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करता है उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं। यहां पर आप दिवाली की पूजा विधि विस्तार से जान सकते हैं।
दिवाली शुभ मुहूर्त
दिवाली: 4 नवंबर, 2021, बृहस्पतिवार, अमावस्या तिथि प्रारम्भ- 04 नवंबर 2021 को प्रात: 06:03 बजे से, अमावस्या तिथि समाप्त- 05 नवंबर 2021 को प्रात: 02:44 बजे तक
दिवाली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- शाम 6:09 मिनट से रात्रि 8:20 मिनट
अवधि- 1 घंटे 55 मिनट
चौघड़िया मुहूर्त का विवरण
शुभ चौघड़िया सुबह 6 बजकर 36 मिनट से लेकर 07 बजकर 58 तक इसके पश्चात चर चौघड़िया सुबह 10 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 4 मिनट तक, लाभ की चौघड़िया 12:04 से लेकर 1 बजकर 26 मिनट तक और अमृत की चौघड़िया 1बजकर 26 से 2 बजकर 48 मिनट तक एवं पुनः शुभ की चौघड़िया 4:10 से लेकर 5 बजकर 32 मिनट तक विद्यमान रहेगी। इसके बाद रात्रि की चौघड़िया 5 बजकर 32 मिनट से 7:11 तक अमृत की चौघड़िया तथा 7 बजकर 11 मिनट से 8:49 तक चर की चौघड़िया विद्यमान रहेगी। इन चौघड़िया कालों में भी मां भगवती लक्ष्मी , भगवान गणेश , कुबेर आदि का पूजन करना शुभ फलदायक माना जाता है।
विशेषकर रात्रि 8:52 से लेकर मध्य रात्रि 12:05 तक शुभ चौघड़िया नहीं है। इस कारण से विशेष पूजन आदि 8:52 से पहले ही कर लेना ज्यादा शुभ फलदायक रहेगा। अमृत व चर की चौघड़िया रहने से इस योग में ही दीपदान श्री महालक्ष्मी पूजन , कुबेर, गणेश बहीखाता पूजन , धार्मिक एवं गृह स्थलों पर दीप प्रज्वलित करना ब्राह्मणों तथा निआश्रितों को भेटँ मिष्ठान आदि बांटना शुभ होगा।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का महत्व
दिवाली वाले दिन शाम और रात के समय पूजा का विधान है। पुराणों के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या की रात को देवी लक्ष्मी स्वयं धरती पर आती हैं और प्रत्येक घर में विचरण करती हैं। इस दौरान जो घर साफ-सुथरा और प्रकाशवान होता है वहां देवी लक्ष्मी ठहर जाती हैं। इसलिए दिवाली से पहले ही घरों की साफ-सफाई का काम शुरू हो जाता है। जिससे देवी लक्ष्मी को प्रसन्न किया जा सके।
दिवाली के दिन शाम के समय मां लक्ष्मी और श्री गणेश के साथ ही कुबेर जी की भी पूजा की जाती है। जैसे मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है, उसी प्रकार कुबेर जी को धन का देवता कहा जाता है और जिस घर में ये दोनों निवास करते हैं। वहां पर धन की कभी कमी नहीं होती।