हिमाचल बजट सत्र 2025: हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में बजट सत्र की शुरुआत मार्च के पहले या दूसरे हफ्ते में होगी। पहले दिन राज्यपाल की तरफ से दिए जाने वाले अभिभाषण पर चर्चा की जाएगी। अभिभाषण में मुख्य रुप से सरकार के 2 वर्ष के कार्यकाल की उपलब्धियों का लेखा-जोखा होगा। 13 फरवरी को मंत्रिमंडल की महत्वपूर्ण बैठक की जाएगी। पढ़ें विस्तार से..
शिमला: (HD News); मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में 13 फरवरी को मंत्रिमंडल की महत्वपूर्ण बैठक राज्य सचिवालय में 11 बजे होगी। बैठक में मार्च माह में होने वाले विधानसभा के बजट सत्र पर मुहर लगेगी। बजट सत्र का शुभारंभ मार्च के पहले या दूसरे सप्ताह में होगा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में कई अन्य अहम निर्णय भी लिए जा सकते हैं।
सत्र के पहले दिन राज्यपाल की तरफ से दिए जाने वाले अभिभाषण पर मंत्रिमंडल में चर्चा होगी। चर्चा के दौरान अभिभाषण को अंतिम रुप दिया जा सकता है। राज्यपाल के अभिभाषण में मुख्य रुप से सरकार के 2 वर्ष के कार्यकाल की उपलब्धियों का लेखा-जोखा होगा। साथ ही इसमें सरकार की तरफ से हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाए जाने की दिशा में लिए जाने वाले निर्णयों की झलक देखने को मिल सकती है।
सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण संशोधनों को सरकार की तरफ से लाया जाएगा, जिसको मंत्रिमंडल अपनी मंजूरी प्रदान कर सकती है। बैठक में सरकार विभिन्न विभागों में खाली पदों को भरने का निर्णय ले सकती है। इसी तरह से विभिन्न विभागों की तरफ से लाए जाने वाले प्रस्तावों के आधार पर निर्णय लिया जा सकता है।
विधानसभा के बजट सत्र से पहले ही पक्ष-विपक्ष के तेवर तीखे नजर आ रहे हैं। विधायक प्राथमिकता बैठक के दौरान दोनों पक्ष एक-दूसरे को घेरते नजर आए। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस दौरान भाजपा को 5 गुटों में बंटा हुआ कुनबा करार दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा विधायक दल नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की बातों को नहीं सुनता। उनका यह भी दावा किया है कि भाजपा के आधे विधायकों ने विधायक प्राथमिकता बैठक में आने की इच्छा जताई थी, लेकिन नेता प्रतिपक्ष के अडियल रवैये के कारण वह इसमें शामिल नहीं हो पाए।
उधर, नेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री विधायक प्राथमिकताओं के तहत स्वीकृत जिन योजनाओं को गिनवा रहे हैं, वह पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल की है। ऐसे में झूठ बोलकर वह विधायक की संस्था को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं।
ये किसी से छुपा नहीं रह गया है कि प्रदेश के वित्तीय संकट से बचने के लिए कर्मचारियों की वर्तमान सेवानिवृत आयु को अस्थायी तौर पर दो साल के लिए बढ़ाया जाना चाहिए। ऐसा करने से सरकार को कर्मचारियों की वित्तीय देनदारियां चुकाने के लिए कुछ समय राहत मिलेगी। एक अनुमान के अनुसार सेवानिवृति आयु सीमा 58 साल को बढ़ाकर 60 साल करने से 2500 करोड़ की देनदारियां चुकाने के लिए समय मिल जाएगा।
2026 में 16वां वित्तायोग की सिफारिशें लागू होने पर राज्य सरकार को कई तरह की धनराशि प्राप्त होगी। सरकार के कुछ एक मंत्रियों का कहना है कि मंत्रिमंडल की बैठक में अनौपचारिक तौर पर इस मामले पर चर्चा हुई थी, लेकिन बेरोजगार युवाओं की रोजगार को लेकर आस को देखते हुए इस चर्चा को समाप्त कर दिया गया।