पिंजौर-नालागढ़ के बीच बन रहे 32 किलोमीटर लंबे फोरलेन प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है। इस परियोजना का कार्यभार संभाल रही पटेल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने प्रोजेक्ट को बीच में ही छोड़ने का फैसला किया है। यह निर्णय एनएचएआई (NHAI) और कंपनी के बीच आपसी सहमति से लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक परियोजना में लगातार हो रही देरी, वित्तीय घाटा, भूमि अधिग्रहण की समस्या, और NHAI के साथ टकराव इसके पीछे प्रमुख कारण रहे। पढ़ें पूरी खबर..
पिंजौर-नालागढ़ फोरलेन निर्माण परियोजना को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। इस महत्वपूर्ण सड़क परियोजना का कार्यभार संभाल रही पटेल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने अब आधिकारिक तौर पर इस प्रोजेक्ट को छोड़ दिया है। इसके चलते अब भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को नए सिरे से टेंडर निकालना पड़ेगा, जिससे इस बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट में एक साल या उससे अधिक की देरी हो सकती है। जानकारी के अनुसार, पटेल इंफ्रा ने अप्रैल 2022 में इस 32 किलोमीटर लंबे फोरलेन प्रोजेक्ट का टेंडर 469 करोड़ रुपये में हासिल किया था और यह कार्य 30 महीनों के भीतर, यानी सितंबर 2024 तक पूरा किया जाना था।
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हालांकि अब तक केवल 45 से 50 प्रतिशत ही निर्माण कार्य हो पाया है। कंपनी का कहना है कि उन्हें हर महीने करीब एक करोड़ रुपये का खर्च उठाना पड़ रहा था, जबकि पर्याप्त भूमि उपलब्ध न होने और निर्माण सामग्री की कीमतों में वृद्धि के चलते लगातार घाटा हो रहा था। बताया गया है कि जब यह टेंडर लिया गया था, उस समय कंस्ट्रक्शन मैटीरियल की दरें मौजूदा दरों से 50 फीसदी कम थीं। पटेल इंफ्रा ने इस घाटे की भरपाई के लिए NHAI से राहत की मांग की थी, लेकिन उसका क्लेम खारिज कर दिया गया।
सूत्रों के अनुसार, परियोजना को बीच में छोड़ने के पीछे एक अन्य वजह NHAI अधिकारियों के साथ कथित रूप से गलत व्यवहार और संवाद की कमी भी रही है। हालांकि इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह बात जरूर सामने आई है कि कंपनी और एनएचएआई के बीच आपसी सहमति से अनुबंध को समाप्त किया गया है। कंपनी अब साइट से अपनी मशीनरी और स्टाफ को हटा रही है। साथ ही, आगामी कुछ समय तक वह यातायात व्यवस्था और मामूली मरम्मत का जिम्मा संभालेगी।
पटेल इंफ्रा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सत्येंद्र कुमार के मुताबिक, कंपनी ने अब तक लगभग 250 करोड़ रुपये का कार्य पूरा किया है, जो कि कुल कार्य का 42 फीसदी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह टेंडर कंपनी ने 37 प्रतिशत कम दरों पर लिया था, जबकि प्रोजेक्ट की असली लागत करीब 700 करोड़ रुपये आंकी गई थी।
अब NHAI इस अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए नया टेंडर जारी करेगा। नई कंपनी के चयन, मंजूरी और काम शुरू होने की प्रक्रिया में कम से कम एक वर्ष का समय लग सकता है। साथ ही, बचे हुए निर्माण कार्य के लिए अनुमानित खर्च 500 करोड़ रुपये तक हो सकता है। इससे इस क्षेत्र की जनता की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है, क्योंकि लोगों को उम्मीद थी कि यह फोरलेन इसी वर्ष के अंत तक पूरा हो जाएगा। फिलहाल इस प्रोजेक्ट का भविष्य अधर में लटका हुआ नजर आ रहा है और क्षेत्रवासियों को और अधिक इंतजार करना पड़ेगा।
पटेल इंफ्रा द्वारा कार्य छोड़ने के बाद अब इस परियोजना के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। नया टेंडर जारी करने, प्रक्रिया पूरी करने और कार्य शुरू करने में कम से कम एक वर्ष का समय लग सकता है, जिससे आम जनता को भारी परेशानी झेलनी पड़ेगी। जो फोरलेन सितंबर 2024 तक पूरा होना था, वह अब 2026 तक खिंच सकता है। साथ ही, शेष कार्य के लिए लगभग 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय अनुमानित है। पटेल इंफ्रा के हटने से इस अहम परियोजना पर गंभीर असर पड़ा है और लोगों की उम्मीदें फिलहाल धूमिल हो गई हैं।
डिस्क्लेमर: यह खबर विभिन्न मीडिया स्रोतों, अधिकारियों के बयानों एवं कंपनी के आधिकारिक वक्तव्यों के आधार पर तैयार की गई है। यदि भविष्य में कोई नई जानकारी अथवा सरकारी पुष्टि सामने आती है, तो उसके अनुसार खबर को संशोधित किया जाएगा।