हिमाचल प्रदेश की राजनीति में भ्रष्टाचार का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार निशाने पर है एपीएमसी शिमला-किन्नौर घोटाला। भाजपा प्रवक्ता संदीपनी भारदवाज ने प्रेस वार्ता में चौंकाने वाला आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पास इस घोटाले के ठोस सबूत मौजूद हैं, जिसमें करोड़ों रुपये का हेरफेर हुआ है। भारदवाज ने सीएम को सीधी चुनौती देते हुए मांग की कि सरकार इस मामले में तुरंत और सख्त कार्रवाई करे। पढ़ें विस्तार से ..
शिमला: (HD News); हिमाचल प्रदेश की राजनीति एक बार फिर भ्रष्टाचार के दलदल में धंसती दिख रही है। एपीएमसी शिमला-किन्नौर में करोड़ों के घोटाले का खुलासा करते हुए भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संदीपनी भारदवाज ने प्रदेश की सुक्खू सरकार पर सीधा हमला बोला है। दावा—सबूत पुख्ता हैं, आरोप गंभीर हैं, लेकिन हैरानी ये कि एफआईआर कराने की हिम्मत किसी में नहीं!
“अली बाबा चालीस चोरों” की सरकार
भारद्वाज ने मंच से सीधा वार किया—“ये सरकार अली बाबा चालीस चोरों की है।” आरोप - भ्रष्टाचार खुलकर हो रहा है और सत्ता में बैठे लोग अपने रिश्तेदारों और चहेतों की झोली में सरकारी संपत्ति डाल रहे हैं।
जब पत्रकार ने सीधा सवाल किया - “इतने पुख्ता सबूत हैं तो FIR क्यों नहीं ?” तो भारद्वाज ने दस्तावेज़ को लहराते हुए मुख्यमंत्री को खुली चुनौती दे डाली कि - “एफआईआर दर्ज कराना प्रदेश के मुखिया का काम है। अगर वो ईमानदार हैं, तो ये रहे सबूत - अब कार्रवाई करके दिखाए ।”
“थानेदार भाई, चोर भाई” का तंज
कानूनी कार्रवाई से बचने पर घिरे तो भारद्वाज का तंज और भी धारदार हो गया - बोले “जब थानेदार खुद और उसका भाई चोर हो, तो कौन करेगा एफआईआर ? अगर इनका बस चलता तो ये कागजों में भी आग लगा देते।”
घोटाले के आरोप - औने-पौने में सरकारी संपत्ति : APMC नीलामी में ‘मित्रों को तोहफा’
शिलारू: दुकान नंबर 27, एपीएमसी सचिव के रिश्तेदार को।
पराला: 52 में से 18 आवेदन रद्द, बाकी 34 दुकानें ₹4, 500–₹4, 600 में लुटाईं जबकि भाजपा राज में यही दुकानें ₹20, 000–₹80, 000 में जाती थीं।
टूटू: 8 दुकानों के लिए 17 आवेदन, 9 रहस्यमयी तरीके से खारिज।
भारद्वाज का आरोप - टेंडर प्रक्रिया में खुला उल्लंघन, एपीएमसी अधिसूचना की धज्जियां उड़ाईं।
करोड़ों का सीए स्टोर – महज़ ₹1 लाख ऊपर में सौदा
पराला का सीए स्टोर ₹3.36 करोड़ में लीज पर, जबकि बेस प्राइस ₹3.35 करोड़ था। टेंडर की समय सीमा तीन बार बढ़ाई गई, और यह तक स्पष्ट नहीं कि 10% सिक्योरिटी मनी ली भी गई या नहीं।
डिजिटाइजेशन – भ्रष्टाचार का नया रास्ता
भारदवाज ने मंडियों के डिजिटाइजेशन पर भी सरकार को घेरा - “पूरा पैसा केंद्र से आना था, लेकिन सुक्खू सरकार ने इसे भी कमाई का जरिया बना लिया। केंद्र जांच न करे, इसलिए वे पैसा ले ही नहीं रहे।”
राजनीति में अब “इल्जाम लगाओ, और किनारे हो जाओ” की परंपरा -
हिमाचल की राजनीति में अब “इल्जाम लगाओ, और किनारे हो जाओ” की परंपरा गहरी जड़ें जमा चुकी है। सबूत और गंभीर आरोपों के बावजूद FIR दर्ज करने से दूरी ने भाजपा की भ्रष्टाचार विरोधी छवि पर भी गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। पूर्व उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर से लेकर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर तक, सभी ने आरोप तो लगाए, लेकिन विजिलेंस, लोकायुक्त या पुलिस—किसी भी जांच एजेंसी का दरवाजा खटखटाने की जहमत नहीं उठाई। यह रवैया साफ इशारा करता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई अब अदालतों में नहीं, बल्कि सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस और बयानबाजी में लड़ी जा रही है।
प्रदेश की जनता महंगाई, बेरोज़गारी और सरकारी लापरवाही से पहले ही त्रस्त है, ऐसे में करोड़ों के घोटाले का खुलासा गुस्सा और अविश्वास दोनों को बढ़ाता है। लेकिन जब आरोप लगाने वाला ही कानूनी मोर्चे से पीछे हट जाए, तो मामला महज़ चुनावी हथियार बनकर रह जाता है, जिसमें सच्चाई अक्सर दब जाती है। अब गेंद मुख्यमंत्री के पाले में है—क्या वे एपीएमसी घोटाले की निष्पक्ष जांच का आदेश देंगे, या यह मामला भी बाकी भ्रष्टाचार कांडों की तरह फाइलों के अंधेरे में गुम हो जाएगा? जनता को अब सिर्फ बयानबाजी नहीं, बल्कि ठोस और पारदर्शी कार्रवाई चाहिए।