हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं:
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।
जानिए रविवार का पंचांग
* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
25 अगस्त 2024
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
।। आज का दिन अत्यंत मंगलमय हो ।।
दिन (वार) रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
*विक्रम संवत् 2081, * शक संवत – 1945, *कलि संवत 5124* अयन – दक्षिणायन, * ऋतु – वर्षा ऋतु, * मास – भाद्रपद माह* पक्ष – कृष्ण पक्ष* चंद्र बल – मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुम्भ,
रविवार को सूर्य देव की होरा :-
प्रात: 5.55 AM से 7.00 AM तक
दोपहर 01.27 PM से 2.31 PM तक
रात्रि 20.40 PM से 9.36 PM तक
रविवार को सूर्य की होरा में अधिक से अधिक अनामिका उंगली / रिंग फिंगर पर थोड़ा सा घी लगाकर मसाज करते हुए सूर्य देव के मंत्रो का जाप करें ।
सुख समृद्धि, मान सम्मान, सरकारी कार्यो, नौकरी, साहसिक कार्यो, राजनीती, कोर्ट – कचहरी आदि कार्यो में सफलता के लिए रविवार की होरा अति उत्तम मानी जाती है ।
रविवार के दिन सूर्य देव की होरा में सूर्य देव के मंत्रो का जाप करने से कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होते है, पूरे दिन शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
इस वर्ष 2024 के रक्षा बंधन के दिन इस मुहूर्त में बहने भाइयों को बांधे रक्षा सूत्र ( राखी ), लेकिन भूल कर भी ना करें ये गलती
सूर्य देव के मन्त्र :-
ॐ भास्कराय नमः।।
अथवा
ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
तिथि (Tithi) – सप्तमी पूर्ण रात्रि तक
तिथि के स्वामी :- सप्तमी तिथि के स्वामी भगवान सूर्य देव जी है ।
आज रविवारी सप्तमी है। रविवारी सप्तमी के दिन किया गया जप, तप, दान अनंत गुना फलदायी होता है । होली, दीवाली , जन्माष्टमी, और शिवरात्रि के दिन में जप, तप, दान करने का जितना फल मिलता है है उतना ही फल रविवारी सप्तमी के दिन भी मिलता है ।
रविवारीय सप्तमी के दिन अधिक से अधिक पूजा – पाठ, जप का अक्षय पुण्य मिलता है, आने वाली पीढ़ियां भी सुख भोगती है ।
रविवारीय सप्तमी के दिन क्रोध बिलकुल भी ना करें, इस दिन सूर्य भगवान का पूजन अवश्य ही करे और मीठा भोजन करें अथवा दोपहर तक नमक ना खाएं । इस दिन आदित्यह्रदय स्रोत्र का पाठ अवश्य करें ।
सप्तमी के दिन भगवान सूर्य देव के मन्त्र “ॐ सूर्याय नम:”।। की एक माला का जाप करने से पुण्य बढ़ते है ।। इस दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल या पुष्प और गुड़ अर्पित करे ।
सप्तमी का विशेष नाम ‘मित्रपदा’ है। सप्तमी को काले, नीले वस्त्रो को धारण नहीं करना चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का भी दिन माना जाता है, जो समस्त संकटों का नाश करने वाली हैं। अत: इस दिन माँ काली की आराधना, स्मरण अवश्य करें ।
सप्तमी के दिन माँ काली जी के मन्त्र “ॐ क्रीं काल्यै नमः” का जाप करने से समस्त भय और संकट दूर होते है।
रविवारी सप्तमी के दिन गुड़ का दान करने से सफलता और परिवारिक सुखो की प्राप्ति होती है ।
चतुर्थी को गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है
नक्षत्र (Nakshatra) – भरणी 16.45 PM तक तत्पश्चात कृतिका
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- भरणी नक्षत्र के देवता यमराज जी और नक्षत्र के स्वामी शुक्र जी है ।
भरणी नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से दूसरा नक्षत्र है और त्रिकोण का प्रतीक है। यह नक्षत्र प्रकृति के स्त्री वाले पहलू को इंगित करता है।
भरणी नक्षत्र बलिदान, ईर्ष्या, सहनशीलता और शुद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। यह संयम का एक सितारा माना जाता है और गर्भ का प्रतिनिधित्व करता है। भरणी नक्षत्र सितारा का लिंग मादा है।
भरणी नक्षत्र का आराध्य वृक्ष आँवला और नक्षत्र स्वभाव क्रूर माना गया है ।
भरणी नक्षत्र में पैदा होने वाले एक बड़े दिल वाले व्यक्ति माने जाते हैं, यह लोगो की बातो का बुरा नहीं मानते है। आपकी ताकत आपकी मुस्कुराहट है आप हमेशा शांत और प्रसन्न रहते हैं। आप ईमानदार है और सकारात्मक रहते है। इनका पारिवारिक जीवन सुखमय रहता है ।
भरणी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9, 3 और 12, भाग्यशाली रंग पीला, लाल, और हरा एवं भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार माना जाता है ।
भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को तथा सभी मनुष्यों को जिस दिन भारणी नक्षत्र हो उस दिन नक्षत्र देवता नाममंत्र:- “ॐ यमाय् नमः” l मन्त्र की एक माला का जप करना चाहिए, इससे भारणी नक्षत्र के शुभ फल मिलते है ।
भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको को भगवान शंकर जी की आराधना परम फलदाई है, इन्हे इस नक्षत्र के दिन महा मृत्युंजय मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
योग (Yog) – ध्रुव 00.27 AM, 26 अगस्त तक
योग के स्वामी :- ध्रुव योग की स्वामी भूमि एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
प्रथम करण : – विष्टि 16.33 PM तक
करण के स्वामी, स्वभाव :- विष्टि करण के स्वामी यम और स्वभाव क्रूर है ।
द्वितीय करण : – बव 3.41 AM, 26 अगस्त तक
करण के स्वामी, स्वभाव :- बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है ।
गुलिक काल : – अपराह्न – 3:00 से 4:30 तक ।
दिशाशूल (Dishashool)- रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
सूर्योदय – प्रातः 05:55
सूर्यास्त – सायं 18:49
विशेष – रविवार को बिल्ब के वृक्ष / पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए इससे समस्त पापो का नाश होता है, पुण्य बढ़ते है।
रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को आक का फूल अर्पण करना किसी भी यज्ञ के फल से कम नहीं है, इससे सूर्य देव की सदैव कृपा बनी रहती है ।
रविवार को अदरक और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए । त्रियोदशी को बैगन नहीं खाना चाहिए , त्रियोदशी को बैगन खाने से पुत्र को कष्ट मिलता है । चतुर्दशी, श्राद्ध और व्रत के दिन काँसे के बर्तन में भोजन करना, तिल का तेल का सेवन करना, सहवास करना निषिद्ध है। पर्व त्यौहार-
आज का शुभ मुहूर्त 24 अगस्त 2024 :
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 27 मिनट से 5 बजकर 11 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 32 मिनट से 3 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्यरात्रि रात में 12 बजकर 1 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 6 बजकर 51 मिनट से 7 बजकर 13 मिनट तक। अमृत काल सुबह 7 बजकर 32 मिनट से 9 बजकर 9 मिनट तक।
आज का अशुभ मुहूर्त 24 अगस्त 2024 :
राहुकाल सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक। सुबह 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल। दोपहर में 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजकर 30 मिनट तक यमगंड। दुर्मुहूर्त काल सुबह 5 बजकर 55 मिनट से 6 बजकर 47 मिनट तक।आज का उपाय : आज हलषष्ठी होने के कारण दूध से बनी चीजों का सेवन न करना ही उत्तम रहेगा।
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत शुभ फलो वाला हो ।