नई दिल्ली: (HD News); जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह दो दिन बाद पद से इस्तीफा देना जा रहे हैं और जनता के फैसले के बाद वह दोबारा सीएम की कुर्सी पर बैठेंगे। बीजेपी ने इसे पीआर स्टंट बताया है। वहीं अरविंद केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि उनकी जगह आम आदमी पार्टी का ही कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री बनेगा। उन्होंने चुनाव आयोग से मांग की है कि दिल्ली में नवंबर में ही चुनाव करवा दिए जाएं। बता दें कि इससे पहले फरवरी 2020 में करवाए गए थे। ऐसे में छह महीने बाद दिल्ली में विधानसभा के चुनाव होने हैं।
अरविंद केजरीवाल के इस फैसले पर बीजेपी हमलावर है। बीजेपी का कहना है कि केजरीवाल को जमानत जरूर मिली लेकिन ना तो वह कुर्सी पर बैठ सकते हैं और ना ही फाइलों पर साइन कर सकते हैं। ऐसे में उनके पास इस्तीफा देने के अलावा कोई चारा नहीं था। वहीं आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल साबित करेंगे कि वह बेगुनाह हैं।
अरविंद केजरीवाल ने कहा, मैं दिल्ली और देश की जनता से पूछना चाहता हूं कि क्या केजरीवाल ईमानदार है। आज के दो दिन के बाद मैं सीएम की कुर्सी से इस्तीफा देने जा रहा हूं। मैं तब तक सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा जब तक जनता अपना फैसला ना सुना दे। मैं जनता के बीच जाऊंगा। गली-गली में जाऊंगा और घर-घर में जाऊंगा।
उन्होंने कहा, आज से कुछ महीने बाद दिल्ली में चुनाव हैं। मैं जनता से अपील करता हूं कि अगर आपको लगता है कि केजरीवाल ईमानदार है मुझे सपोर्ट करना। अगर आपको लगता है कि केजरीवाल गुनहगार है तो मुझे वोट मत देना। मैं चुनाव के बाद ही सीएम की कुर्सी पर बैठूंगा।
अरविंद केजरीवाल के बाद दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर चर्चाओं का बाजार गर्म है। आतिशी से लेकर सौरभ भारद्वाज तक के नाम सीएम पद की रेस में चल रहे हैं, लेकिन जाट होने की वजह से कैलाश गहलोत को फायदा मिल सकता है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा देने के ऐलान के बाद राष्ट्रीय राजधानी के अगले मुख्यमंत्री के नाम पर अटकलें लगने लगी हैं। दो दिनों के बाद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे, जिसके बाद आम आदमी पार्टी के एमएलए विधायक दल का नेता चुनेंगे जो अगला मुख्यमंत्री बनेगा। सीएम पद की रेस में फिलहाल आतिशी, सौरभ भारद्वाज जैसे बड़े नाम सबसे आगे चल रहे हैं, लेकिन एक ऐसे मंत्री का भी नाम सामने आया है, जिसपर आप दांव लगा सकती है। इसका कनेक्शन हरियाणा विधानसभा चुनाव से भी है। सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत भी सीएम पद की रेस में हैं और चूंकि वे जाट समुदाय से आते हैं, इसलिए माना जा रहा है कि उन पर दांव लगाकर आप एक तीर से दो निशाने साध सकती है।
दिल्ली के नजफगढ़ से विधायक कैलाश गहलोत का जन्म जाट परिवार में हुआ था। उनका क्षेत्र नजफगढ़ दिल्ली के बाहरी इलाकों में स्थित है और हरियाणा के गुरुग्राम और बहादुरगढ़ के साथ बॉर्डर शेयर करता है। कैलाश गहलोत के जाट होने की वजह से माना जा रहा है कि यदि आम आदमी पार्टी उन्हें नया मुख्यमंत्री बनाती है तो हरियाणा में अगले महीने होने वाले मतदान पर पार्टी को फायदा मिल सकता है। हरियाणा में पहले आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन की कोशिशें हुईं, लेकिन बात बन नहीं सकी, जिसके बाद दोनों दलों ने अकेले ही चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया। हरियाणा में जाट समुदाय का अच्छा खासा प्रभाव है और इसी को देखते हुए आम आदमी पार्टी भी कैलाश गहलोत के जरिए कुछ फायदा लेने की कोशिश कर सकती है। दिल्ली, पंजाब के बाद जहां आप को सबसे ज्यादा संभावनाएं दिखती हैं, वह हरियाणा ही है। इस बार पार्टी कुछ सीटें जीतकर जरूर राज्य में खाता खोलने या फिर किंगमेकर की भूमिका में आने की सोचेगी। दिल्ली में विधानसभा चुनाव में भी कुछ ही महीने बचे हुए हैं, इसलिए चंद समय के लिए गहलोत को जिम्मेदारी देकर हरियाणा भी आम आदमी पार्टी साध सकती है।
लेकिन इतनी भी आसान नहीं है राह!
कैलाश गहलोत को सीएम बनाए जाने की राह इतनी भी आसान नहीं है। दरअसल, केजरीवाल, सिसोदिया जैसे ही कैलाश गहलोत भी दिल्ली के कथित शराब घोटाले में फंसे हुए हैं। इस साल मार्च में ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गहलोत से मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पांच घंटे तक दफ्तर में पूछताछ की थी। ऐसे में यह भी संभव है कि दिल्ली चुनाव करीब होने की वजह से आम आदमी पार्टी ऐसे ही नेता पर दांव लगाए, जिसकी छवि दागदार नहीं हो, वरना कोई एक ऐक्शन भी पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। आतिशी, सौरभ, गहलोत के अलावा सीएम पद की रेस में गोपाल राय का भी नाम है। वे पार्टी से आंदोलन के समय से ही जुड़े हुए हैं और बिना किसी बड़े विवाद के लगातार मंत्रिपद पर काम भी कर रहे। उनकी साफ सुथरी छवि को देखते हुए गोपाल राय पर भी रेस में बने हुए हैं।