हर साल सुहागिन महिलाओं को करवा चौथ के पर्व का बेहद इंतजार रहता है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अधिक उत्साह (Karwa Chauth 2024 Celebration) के साथ मनाया जाता है। इस शुभ तिथि पर महिलाएं पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए करवा माता की विशेष पूजा-अर्चना करती हैं। अगर आप पहली बार इस व्रत को कर रही हैं, तो पर्व के आने से पहले ही जान लें कि करवा चौथ (Karwa Chauth 2024 Puja Vidhi) से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में..
शिमला: मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत सबसे पहले देवी पार्वती ने भगवान भोलेनाथ के लिए रखा था। इसके अलावा कहा जाता है कि द्रौपदी ने भी पांडवों को संकट से मुक्ति दिलाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। करवा चौथ का व्रत विवाह के 16 या 17 सालों तक करना अनिवार्य माना जाता है। करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और सेहत की कामना करने के लिए निर्जला व्रत रखती है। इसके अलावा कुंवारी कन्याएं भी सुयोग्य वर के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 20 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 46 मिनट से होगा तथा इसका समापन 21 अक्तूबर को सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024, रविवार के दिन रखा जाएगा।
करवा चौथ की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का समय..
करवा चौथ की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 46 मिनट से शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। करवा चौथ की पूजा के लिए महिलाओं को करीब 1 घंटा 16 मिनट का समय मिलेगा। करवा चौथ व्रत का समय सुबह 6 बजकर 25 मिनट से शाम 7 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।
चंद्रोदय का समय
पंचांग के अनुसार, 20 अक्टूबर को करवा चौथ का चांद निकलने का समय शाम 7 बजकर 44 मिनट से लेकर 54 मिनट के बीच कभी भी हो सकता है।
करवा चौथ के लिए किस दिन चूड़ियां खरीदना शुभ रहेगा
इस साल करवा चौथ में चूड़ियां खरीदने के लिए रविवार का दिन श्रेष्ठ है। आप श्रृंगार का बाकी सामान भी रविवार के दिन खरीदें। इस दिन आपको चूड़ियों के साथ-साथ बिंदी, बिछिया, सिंदूर, आलता, लिपस्टिक, मंगलसूत्र, नथ, गजरा, मांग टीका, अंगूठी आदि खरीदनी चाहिए। करवा चौथ की पूजा में मिट्टी के करवे का बहुत शुभ स्थान है। करवा चौथ के लिए करवा मंगलवार को छोड़कर किसी भी दिन खरीदा जा सकता है। करवा मंगलवार को नहीं खरीदना चाहिए।
करवा चौथ पूजन विधि और सामग्री
करवा चौथ के दिन स्नान आदि के बाद करवा चौथ व्रत और चौथ माता की पूजा का संकल्प लेते हैं। फिर अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत रखा जाता है। पूजा के लिए 16 श्रृंगार करते हैं। फिर पूजा के मुहूर्त में चौथ माता या मां गौरी और गणेश जी की विधि विधान से पूजा करते हैं। पूजा के समय उनको गंगाजल, नैवेद्य, धूप-दीप, अक्षत, रोली, फूल, पंचामृत आदि अर्पित करते हैं। दोनों को श्रद्धापूर्वक फल और हलवा-पूरी का भोग लगाते हैं। इसके बाद चंद्रमा के उदय होने पर अर्घ्य देते हैं और उसके बाद पति के हाथों जल ग्रहण करके व्रत का पारण करते हैं।
करवा चौथ कथा
करवा चौथ के व्रत पर करवा चौथ की कथा की अलग मान्यता होती है. ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ की कथा के बिना करवा चौथ का व्रत पूर्ण नहीं होता है. प्राचीन काल में एक साहूकार हुआ करते थे। साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। 1 दिन साहूकार की सातों बहू और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा। शाम को जब साहूकार और उसके बेटे खाना खाने आए तो उनसे अपनी बहन को भूखा नहीं देखा गया। उन्होंने अपनी बहन को भोजन करने के लिए बार-बार अनुरोध किया लेकिन बहन ने कहा कि मैं चंद्रमा को देखे बिना और उसकी पूजा किए बिना खाना नहीं खाऊंगी।
ऐसे में सातों भाई नगर से बाहर चले गए और दूर जाकर आग जला दी. वापस घर आकर उन्होंने अपनी बहन को बोला कि देखो चाँद निकल आया है, अब उसे देख कर अपना व्रत तोड़ दो। बहन ने अग्नि को चाँद मानकर अपना व्रत तोड़ दिया। हालांकि छल से तोड़े गए इस व्रत के चलते उसका पति बीमार हो गया और घर का सारा पैसा उसकी बीमारी में खर्च हो गया। कुछ समय बाद जब साहूकार की बेटी को अपने भाइयों का छल और अपनी गलती का एहसास हुआ तो उसने वापस से गणेश भगवान की पूजा विधि-विधान के साथ की, अनजाने में खुद से हुई भूल की क्षमा मांगी, जिससे उसका पति ठीक हो गया और घर में वापस धन-धान्य वापस आ गया।
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