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पंचांग

सोमवार का पंचांग || 21 अक्टूबर 2024 || : जानिए आज का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय..

October 21, 2024 07:50 AM

हिन्दू पंचांग, Hindu Panchang ) पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-

1:- तिथि (Tithi)

2:- वार (Day)

3:- नक्षत्र (Nakshatra)

4:- योग (Yog)

5:- करण (Karan)

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे ।

*शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

*वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। * नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।

* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है । *करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।

इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

हर सोमवार को महा मृत्युंजय मंत्र –

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।। का जाप अवश्य करें।

दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।

सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है। सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।

जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है।

सोमवार के दिन शिव पुराण के अचूक मन्त्र “श्री शिवाये नमस्तुभ्यम’ का अधिक से अधिक जाप करने से समस्त कष्ट दूर होते है. निश्चित ही मनवाँछित लाभ मिलता है।

विक्रम संवत् 2081

* शक संवत – 1945, *कलि संवत 5124* अयन – दक्षिणायन, * ऋतु – शरद ऋतु, * मास – कार्तिक माह, * पक्ष – कृष्ण पक्ष*चंद्र बल – मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर,

सोमवार को चन्द्रमा की होरा :-

प्रात: 6.25 AM से 7.22 AM तक

दोपहर 01.02 PM से 1.58 PM तक

रात्रि 7.51 PM से 8.55 PM तक

चन्द्रमा के मन्त्र

ॐ सों सोमाय नम:।

ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम: ।

  • तिथि (Tithi) – पंचमी 2.29 AM, 22 अक्टूबर तक

 

  • तिथि का स्वामी – पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता जी है ।

 

  • पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता है। पंचमी तिथि को नाग देवता की पूजा करने से काल सर्प दोष दूर होता है, नाग के काटने का भय नहीं रहता है ।

 

  • पंचमी तिथि के समय भगवान शिव का पूजन शुभ माना गया है, मान्यता है कि भगवान शिव कैलाश में निवास करते हैं।

 

  • पंचमी तिथि को शिवलिंग का जिस पर नाग बना हो दूध या पंचामृत से अभिषेक करने से नाग देवता प्रसन्न होते है।

 

  • पंचमी जब शनिवार के दिन होती है, तो वह मृत्युदा योग बनाती है। यह अशुभ योग माना गया है।

 

  • जब पंचमी तिथि गुरुवार के दिन होती है तो बहुत ही शुभ सिद्धिदा योग बनता है। शास्त्रों के अनुसार सिद्धिदा योग में किए गए कार्य श्रेष्ठ फल प्रदान करते है।

 

  • प्रत्येक पंचमी के दिन नागो के अति पवित्र और पुण्यदायक नामो 1. अनंत (शेषनाग ), 2. वासुकि, 3. तक्षक, 4. कर्कोटक, 5. पद्म, 6. महापद्म, 7. शंख, 8. कुलिक, 9. धृतराष्ट्र और 10. कालिया का उच्चारण करने से काल सर्प दोष दूर होता है, कोई भी भय निकट नहीं रहता है, बल और साहस की प्राप्ति होती है ।

 

  • पंचमी को नागो के पौराणिक नाम “अनंत, वासुकि, तक्षक, कर्कोटल, पिंगल” का कम से कम 11 बार उच्चारण अवश्य ही करें। 

 

  • हिन्दू पंचांग के अनुसार पंचमी  तिथि को  बसंत पंचमी,  रंग पंचमी, विवाह पंचमी, नाग पंचमी, ऋषि पंचमी, सौभाग्य पंचमी आदि कई शुभ पर्व आते है ।

 

  • पंचमी तिथि पूर्णा तिथियों की श्रेणी में आती है, इस तिथि में समस्त शुभ कार्य सिद्ध होते हैं, किन्तु पंचमी तिथि को कर्ज नहीं देना चाहिए।  

 

  • पंचमी को बेल खाना निषेध है, मान्यता है कि पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।  

 

नक्षत्र (Nakshatra) – रोहिणी 6.50 AM तक तत्पश्चात मृगशिरा

नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- मृगशिरा नक्षत्र के देवता ‘चंद्र देव’ एवं नक्षत्र स्वामी: ‘मंगळ देव’ जी है । 

नक्षत्रों के गणना क्रम में मृगशिरा नक्षत्र का स्थान पांचवां है। इस नक्षत्र का स्वामी मंगल होने के कारण इस नक्षत्र में जन्मे जातको पर मंगल का प्रभाव अधिक रहता है। यह नक्षत्र एक हिरण के सिर जैसा प्रतीत होता है।

इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष खैर तथा स्वाभाव शुभ माना जाता है। मृगशिरा नक्षत्र सितारा का लिंग तटस्थ है।

चन्द्रमा का असर होने के कारण इस राशि के जातक कल्पनाशील, भावुक, सौंदर्य प्रेमी, बुद्धिमान, परिश्रमी, उत्साहीऔर ज्ञानवान होते हैं।

लेकिन आप लोगो पर शक बहुत करते है, व्यापार में साझेदारी करने से इन्हे अधिकतर नुकसान ही उठाना पड़ता है । इस नक्षत्र में जन्मी स्त्रियाँ हंसमुख, धनवान, जीवन साथी के प्रति समर्पित लेकिन उस पर हावी रहती है ।

मृगशिरा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 9, भाग्यशाली रंग, चमकीला भूरा, कत्थई रंग,  भाग्यशाली दिन मंगलवार तथा गुरुवार का माना जाता है ।

मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ चन्द्रमसे नम:” मन्त्र की एक माला का जाप करना चाहिए ।

मॄगशिरा नक्षत्र के जातको को माँ पार्वती की आराधना अत्यंत शुभ फलदाई है ।  मॄगशिरा नक्षत्र के दिन चावल और दही के दान से भी इस नक्षत्र के अशुभ फलो को दूर किया जा सकता है ।

  • योग(Yog) – परिध 8.46 AM तक तत्पश्चात शिव
  • योग के स्वामी :-    परिध योग की स्वामी विश्वकर्मा जी एवं स्वभाव हानिकारक माना जाता है ।
  • प्रथम करण : – गर 13.52 PM तक
  • करण के स्वामी, स्वभाव :-    गर करण के स्वामी भूमि तथा स्वभाव सौम्य है ।
    • द्वितीय करण : – वणिज 1.28 AM, 22 अक्टूबर तक
    • करण के स्वामी, स्वभाव :- वणिज करण की स्वामी लक्ष्मी देवी और स्वभाव सौम्य है ।
    • गुलिक काल : – दोपहर 1:30 से 3 बजे तक ।
    • दिशाशूल (Dishashool)- सोमवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।
    • यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दर्पण देखकर, दूध पीकर जाएँ । 
      • राहुकाल (Rahukaal)-सुबह -7:30 से 9:00 तक।
      • * सूर्योदय – प्रातः 06:26
      • सूर्यास्त – सायं 17:44
      • विशेष – पंचमी तिथि को बेल का सेवन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि पंचमी को बेल का सेवन करने से अपयश मिलता है।
      • पंचमी तिथि को कर्ज भी नहीं देना चाहिए, पंचमी को कर्ज देने से धन डूब जाता है तथा धन के आगमन में भी रुकावटें आने लगती है ।

आज का शुभ मुहूर्त 21 अक्टूबर 2024 :ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 44 मिनट से 5 बजकर 35 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 59 मिनट से 2 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्‍यरात्रि रात में 11 बजकर 40 मिनट से से 12 बजकर 31 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 5 बजकर 45 मिनट से 6 बजकर 11 मिनट तक। अमृत काल सुबह 6 बजकर 25 मिनट से 7 बजकर 50 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 21 अक्टूबर 2024 :राहुकाल सुबह में 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक। वहीं, दोपहर में 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक गुलिक काल रहेगा। इसके अलावा सुबह में 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक यमगंड रहेगा। दुर्मुहूर्त काल दोपहर में 12 बजकर 28 मिनट से 1 बजकर 13 मिनट तक।

  • आज का उपाय : आज भगवान शिव को काले तिल मिलाकर जल अर्पित करें।
  • आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।

 

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