हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला इन दिनों आवारा कुत्तों के आतंक से जूझ रही है। शहर के कई इलाकों से लगातार कुत्तों के हमलों की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे स्थानीय नागरिकों में भय का माहौल बना हुआ है। बीते बुधवार को एक ही दिन में दर्जनों लोग कुत्तों के शिकार बने, जिनमें महिलाएं, बच्चे और सरकारी कर्मचारी तक शामिल हैं। इस बढ़ते खतरे ने नगर निगम की कार्यशैली और प्रशासनिक लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला इन दिनों लावारिस कुत्तों के बढ़ते हमलों से दहशत में है। बुधवार को तो स्थिति और भी भयावह हो गई, जब शहर में एक ही दिन में कुछ लोगों को आवारा कुत्तों ने अपना शिकार बनाया। इन हमलों से शहर में हड़कंप मच गया है और लोग घरों से निकलने में भी डरने लगे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में बुधवार शाम 4 बजे तक 6 लोग कुत्तों के काटने के बाद इलाज के लिए पहुंचे, वहीं डीडीयू अस्पताल में भी 5 लोगों को उपचार दिया गया। इनमें से दो लोगों को कुत्तों ने इतनी बुरी तरह काटा है कि उनके घाव काफी गहरे हैं।

एक दर्दनाक घटना कार्टरोड पर सब्जी मंडी के पास हुई। स्कूल में शिक्षक सुरेश लखनपाल अपनी बेटी को स्कूल ले जा रहे थे। अचानक तीन-चार कुत्तों ने उनकी बेटी पर हमला कर दिया। लखनपाल ने बहादुरी दिखाते हुए अपनी बेटी को तो बचा लिया, लेकिन कुत्तों ने उनकी बाईं टांग पर गहरे घाव कर दिए। मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने लाठी-डंडों और पत्थरों से कुत्तों को भगाया। इसके बाद लखनपाल को तुरंत डीडीयू अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने बताया कि कुत्तों के दांत उनकी टांग की हड्डी तक पहुंच गए थे। उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया है और अब वे खतरे से बाहर हैं।
एक और घटना में, बीसीएस में विधानसभा में तैनात कर्मचारी उमेश शर्मा पर सुबह 9 बजे लावारिस कुत्तों ने हमला कर दिया। उनकी टांगों पर भी कुत्तों के काटने से गहरे घाव हुए हैं। स्थानीय पार्षद आशा शर्मा ने बताया कि ये वही कुत्ते हैं जिन्होंने दो दिन पहले भी दो बच्चों को काटा था। उन्होंने नगर निगम से इन कुत्तों को तुरंत पकड़ने की मांग की है ताकि लोगों को बचाया जा सके। शहर के पंथाघाटी, मैहली और टुटू जैसे अन्य इलाकों से भी कुत्तों के हमलों के मामले सामने आए हैं, जिससे यह समस्या एक व्यापक रूप ले चुकी है।

कुत्तों के हमले से घायल हुए शिक्षक सुरेश लखनपाल ने प्रशासन की निष्क्रियता पर गहरा रोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि शहर में लोग रोज कुत्तों के हमलों से लहूलुहान हो रहे हैं। आखिर कब तक यह सिलसिला चलेगा? उन्होंने नगर निगम पार्षदों से भी शिकायत की। उन्होंने यहां तक कहा कि अगर जल्द ही कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वह इस मामले को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
शिमला में आवारा कुत्तों के बढ़ते हमले अब एक गंभीर सार्वजनिक समस्या बन चुके हैं। इन घटनाओं से स्पष्ट है कि नगर निगम और प्रशासन इस मुद्दे को लेकर पूरी तरह असफल साबित हो रहे हैं। यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है। नागरिकों की सुरक्षा के लिए तत्काल रूप से कुत्तों की पहचान, पकड़ने और पुनर्वास की प्रभावी व्यवस्था जरूरी है। साथ ही, जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करना और स्थायी समाधान की दिशा में कार्य करना भी समय की मांग है।