शिमला के KNH अस्पताल में शुक्रवार शाम एक अजीबो-ग़रीब वाकया सामने आया जिसने अस्पताल प्रशासन, मरीजों और मौजूद लोगों को हैरानी में डाल दिया। मंडी जिले की एक महिला ने अचानक दावा कर दिया कि उसने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है, लेकिन अस्पताल ने उसके नवजात बच्चों को 'गायब' कर दिया। मामला इतना गंभीर था कि अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई और पुलिस को मौके पर हस्तक्षेप करना पड़ा। हालांकि जांच और मेडिकल दस्तावेजों में जो तथ्य सामने आए, उन्होंने महिला के दावे को पूरी तरह झूठा साबित कर दिया, जिससे पूरे घटनाक्रम ने नया मोड़ ले लिया। पढ़ें पूरी खबर..
शिमला: (HD न्यूज़); हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े मातृ शिशु अस्पताल कमला नेहरू अस्पताल (KNH) में शुक्रवार शाम उस समय हड़कंप मच गया जब मंडी जिला के निहरी क्षेत्र की रहने वाली एक महिला निर्मला ने अस्पताल प्रशासन पर जुड़वा बच्चों को ‘गायब’ करने का सनसनीखेज आरोप लगाया।
महिला का दावा था कि उसने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है, लेकिन अस्पताल ने कथित तौर पर बच्चों को छिपा लिया। इस आरोप के साथ महिला ने अपने पति, सास, बहन और जीजा के साथ अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया, जिसके चलते पुलिस को मौके पर बुलाना पड़ा।

अस्पताल प्रशासन का पक्ष
KNH अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक (MS) डॉ. सुरेंद्र नेगी ने महिला के दावों को पूरी तरह गलत और भ्रामक बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि महिला लंबे समय से बांझपन की समस्या से जूझ रही है और वह अस्पताल में पिछले दो वर्षों से इसी समस्या का इलाज करवा रही है। डॉक्टरों के अनुसार, महिला की कोई गर्भावस्था नहीं हुई और उसकी सभी मेडिकल रिपोर्ट नेगेटिव रही हैं।
डॉ. नेगी ने कहा, “महिला मानसिक तनाव की स्थिति में हो सकती है, और कई बार ऐसी अवस्था में भ्रम उत्पन्न हो जाता है कि वह गर्भवती है। दुर्भाग्यपूर्ण यह रहा कि परिवार ने सच्चाई को स्वीकारने की बजाय महिला के साथ मिलकर अस्पताल पर गलत आरोप लगाने की कोशिश की, जिससे अस्पताल की छवि को नुकसान पहुंचा।”
सीसीटीवी और प्राथमिक जांच में सामने आए तथ्य
अस्पताल प्रशासन ने दावा किया है कि सीसीटीवी फुटेज की जांच से स्पष्ट हुआ कि महिला को अस्पताल में भर्ती या डिलीवरी संबंधी कोई प्रक्रिया नहीं हुई है। सभी तथ्य अस्पताल के दावे को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।
पुलिस की जांच जारी
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने मौके पर पहुंचकर महिला और उसके पति से पूछताछ की। दोनों का मेडिकल परीक्षण भी करवाया गया है, जिसकी रिपोर्ट आनी अभी बाकी है। पुलिस का कहना है कि प्राथमिक जांच में अस्पताल के दावे सही प्रतीत हो रहे हैं, लेकिन सभी पक्षों की जानकारी लेकर निष्पक्ष जांच की जा रही है।
समाज में चिंता और चर्चा
KNH जैसे प्रतिष्ठित संस्थान को लेकर इस तरह की झूठी जानकारी के फैलाव ने स्वास्थ्य सेवाओं की साख पर सवाल उठाए हैं। दूसरी ओर, मानसिक स्वास्थ्य और महिलाओं में तनावजनित भ्रम जैसी स्थितियों पर भी सामाजिक चर्चा जरूरी हो गई है।
KNH अस्पताल शिमला में हुए इस घटनाक्रम ने जहां एक ओर अस्पताल प्रशासन को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की, वहीं जांच में सामने आए तथ्यों ने पूरे मामले को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी एक गंभीर स्थिति के रूप में उजागर किया है। यह घटना न केवल चिकित्सा संस्थानों की साख को नुकसान पहुंचा सकती है, बल्कि समाज में अफवाह और भ्रम के खतरनाक परिणामों की ओर भी इशारा करती है। ऐसे मामलों में परिवारों की भूमिका भी बेहद अहम हो जाती है कि वे सच को समझें और मानसिक रूप से असंतुलन में चल रहे व्यक्ति का सहारा बनें, न कि झूठ में साथ देकर हालात को और बिगाड़ें। अब पुलिस जांच के निष्कर्ष और संभावित कानूनी कार्रवाई पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
डिस्क्लेमर : यह रिपोर्ट अस्पताल-प्रशासन, संबंधित पक्षों के बयान व प्रारम्भिक पुलिस जाँच पर आधारित है। मिथ्या गर्भधारण, बांझपन या किसी मानसिक-स्वास्थ्य स्थिति का उल्लेख केवल तथ्यात्मक सूचना हेतु किया गया है, किसी व्यक्ति-विशेष को ठेस पहुंचाना हमारा उद्देश्य नहीं है।