धर्मशाला: (HD News); हिमाचल प्रदेश विधान सभा द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ भारत क्षेत्र – जोन-2 का वार्षिक सम्मेलन मंगलवार को सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। सम्मेलन में आठ राज्यों की विधानसभाओं एवं तेलंगाना विधान परिषद के चेयरमैन सहित कुल 38 प्रतिनिधियों ने भाग लेकर दो महत्वपूर्ण विषयों – अनुच्छेद 102(2) और 101(2) की 10वीं अनुसूची के तहत दलबदल की अयोग्यता तथा विधानसभाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग पर गहन मंथन किया।
सत्र की अध्यक्षता करते हुए विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने सभी प्रतिनिधियों का खराब मौसम के बावजूद सम्मेलन में भाग लेने पर आभार जताया। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश डिजिटल अभियान में अग्रणी रहा है और देश की पहली ई-विधान प्रणाली की शुरुआत भी यहीं वर्ष 2014 में हुई थी। उन्होंने AI विषय पर प्रतिनिधियों की राय से सहमति जताई और कहा कि इस दिशा में प्रदेश पहले से ही प्रयासरत है।

दलबदल कानून पर बोलते हुए पठानियां ने जोर देकर कहा कि इस कानून को और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है ताकि जनप्रतिनिधि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करते हुए जनता के विश्वास को बनाए रखें। उन्होंने याद दिलाया कि उनके एक ऐतिहासिक निर्णय के कारण छह विधायकों की सदस्यता समाप्त हुई थी, जिसे उच्च न्यायालय ने भी मान्यता दी थी। उन्होंने बताया कि प्रदेश विधानसभा ने एक कानून पारित किया है, जिसके अनुसार यदि कोई सदस्य दलबदल के तहत अयोग्य ठहराया जाता है तो उसे सभी सुविधाओं, पेंशन से वंचित कर दिया जाएगा और वह आगामी छह वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ पाएगा।
पठानियां ने संसाधनों पर नियंत्रण न होने की समस्या पर भी चिंता जताई और कहा कि जब तक राज्यों के पास कानूनी अधिकार नहीं होंगे, तब तक विकास की गति बाधित होती रहेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि कानून बनाने का अधिकार भले ही विधानसभा और लोकसभा दोनों को है, परंतु लोकसभा द्वारा पारित कानून सर्वोपरि होता है।
यह सम्मेलन न केवल विधायी विमर्श के लिए एक मंच बना, बल्कि इसके माध्यम से भविष्य के लिए महत्वपूर्ण दिशानिर्देश भी तय किए गए, जो आने वाले समय में देश की संसदीय कार्यप्रणाली में दूरगामी प्रभाव डाल सकते हैं।