हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के खेरा गांव में शराब ठेका खोलने को लेकर उपजा विवाद अब तूल पकड़ता जा रहा है। ग्रामीणों के भारी विरोध के बावजूद ठेका खुलने पर चेवड़ी पंचायत के सभी प्रतिनिधियों, महिला मंडलों और नशा निवारण कमेटी ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है।
शिमला: शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की चेवड़ी पंचायत के खेरा गांव में 23 मई को शराब ठेका खोले जाने के विरोध में सोमवार को पंचायत प्रधान, उप प्रधान, सभी वार्ड सदस्य, छह महिला मंडल और नशा निवारण कमेटी के सदस्यों ने अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया।
पंचायत प्रधान छविंद्र सिंह पाल ने जानकारी देते हुए बताया कि इस निर्णय के पीछे सरकार की उपेक्षा भरी नीति है। उन्होंने कहा कि शराब ठेके के खिलाफ ग्रामीण महिलाओं ने 12 दिन तक धरना दिया, लेकिन उनकी आवाज सुनने के बजाय उल्टा उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।

त्यागपत्र सौंपने वालों में प्रधान छविंद्र सिंह पाल, उप प्रधान देसराज, वार्ड मेंबर नरेश शर्मा, ओम प्रकाश, ज्योतिका, अचला वर्मा और कविता शर्मा शामिल हैं। महिला मंडलों ने एसडीएम को अपने त्यागपत्र सौंपे हैं।
छविंद्र ने सरकार की नशा मुक्ति नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो पंचायतें नशे के खिलाफ आवाज उठा रही हैं, उन्हें ही निशाना बनाया जा रहा है। यही कारण है कि सभी ने नैतिक आधार पर पद छोड़ने का फैसला किया।
इस मामले को लेकर जिला पंचायत अधिकारी सतीश जम्वाल से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। वहीं, पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है और वह जांच के बाद ही इस पर टिप्पणी कर पाएंगे।