हिमाचल प्रदेश की ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहराई तक पहुंच चुकी हैं कि अब योजनाएं सिर्फ कागजों में पूरी हो रही हैं और ज़मीन पर कुछ नहीं दिखता। जिस पंचायत प्रणाली को ग्रामीण विकास की रीढ़ माना जाता है, वहीं अब खुलेआम घोटालों का अड्डा बनती जा रही है। सड़क निर्माण से लेकर शौचालय और शमशान घाट तक - हर योजना में कागजी खेल चल रहा है। सबसे शर्मनाक बात यह है कि गरीबों के नाम पर आने वाला मनरेगा जैसा फंड भी अफसर-प्रधान-ठेकेदार की तिकड़ी की जेबों में जा रहा है। अब सवाल यह नहीं है कि भ्रष्टाचार हुआ या नहीं, बल्कि यह है कि इसे रोकने के लिए जनता कब आवाज़ उठाएगी ? पढ़ें विस्तार से..
मंडी/करसोग: (HD News); हिमाचल प्रदेश में पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार की एक हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है। मंडी जिले की करसोग की ठाकुरठाणा पंचायत की महिला प्रधान माला मेहता को सरकारी धन के दुरुपयोग, फर्जी बिलिंग और कामों को कागजों में दर्शाने जैसे गंभीर आरोपों के चलते तत्काल प्रभाव से पद से निलंबित कर दिया गया है।
स्कूटी बनी जेसीबी, कागजों में बनी सड़कें :
जांच में सामने आया है कि पंचायत में 10 से 15 साल पुरानी सड़कों को कागजों में दोबारा से बनवाया गया और इसके लिए लाखों रुपये खर्च भी दिखाए गए। सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जिन सड़कों पर जेसीबी मशीन से कार्य दर्शाया गया, उन कार्यों में स्कूटी (नंबर HP31C 6806) को ही जेसीबी मशीन बता दिया गया और 700 घंटे का भुगतान कर डाला गया। यह स्कूटी नंबर सुंदरनगर के एक व्यक्ति की बताई जा रही है।

सरकारी धन की खुली लूट, शौचालय भी सिर्फ कागजों में :
पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत 10 सार्वजनिक शौचालयों के लिए ₹3 लाख प्रति शौचालय के हिसाब से ₹30 लाख स्वीकृत हुए, लेकिन एक भी शौचालय जमीन पर नहीं बना। पुराने निजी शौचालयों को ही सरकारी योजना में दिखाकर फर्जी बिल बना दिए गए। इसके अलावा, दो शमशान घाटों के निर्माण के लिए ₹10 लाख मंजूर किए गए, लेकिन उनका भी निर्माण कार्य नहीं हुआ।
खेल मैदान में भी 1, 000 घंटे की जेसीबी – पर काम कहीं नहीं:
सुमाकोठी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के खेल मैदान के नाम पर 1, 000 घंटे की जेसीबी मशीन का भुगतान दिखाया गया, जबकि न तो वहां कोई कार्य हुआ, न ही स्कूल ने इसके लिए कोई अनुमति दी। खेल मैदान पहले से ही 25 साल पुराना है और इसके नाम पर भारी वित्तीय गड़बड़ी की गई है।
हाईकोर्ट का रुख करेंगे ग्रामीण:
आरटीआई कार्यकर्ता पन्ना लाल ठाकुर की शिकायत पर यह मामला उजागर हुआ है। उनका कहना है कि अब इस पूरे घोटाले को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा, ताकि दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो सके।
पंचायत प्रधान को कारण बताओ नोटिस के बाद सस्पेंशन :
जिला पंचायत अधिकारी अंचित डोगरा द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि 20 जून 2025 को प्रधान को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। उत्तर असंतोषजनक पाए जाने के बाद, पंचायत राज अधिनियम 1994 की धारा 145(1)(ग) और नियम 142(1)(क) के तहत माला मेहता को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है।
सवाल व्यवस्था पर :
हिमाचल जैसे शांत और विकासशील राज्य में जब पंचायतें ही भ्रष्टाचार का गढ़ बन जाएं, तो ग्राम विकास की कल्पना कैसे की जा सकती है? यह सिर्फ एक पंचायत की कहानी नहीं है, इससे पहले शिमला और चंबा जिलों में भी स्कूटी और खच्चरों से सरकारी कामों के फर्जी बिलिंग के मामले सामने आ चुके हैं।
जब देश ई-गवर्नेंस और पारदर्शिता की ओर बढ़ रहा है, तब पंचायत स्तर पर ऐसी लूट यह दिखाती है कि आज भी ज़मीन पर व्यवस्था में गंभीर सुधार की आवश्यकता है।
अब समय आ गया है कि पंचायतों को केवल चुनावी गणना का औज़ार नहीं, बल्कि ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रतीक के रूप में स्थापित किया जाए। यह घोटाला केवल एक पंचायत तक सीमित नहीं है—हिमाचल प्रदेश की दर्जनों पंचायतों में मनरेगा जैसी योजनाओं को लूट का जरिया बना दिया गया है। वहां गरीब मजदूरों के नाम पर फर्जी हाज़िरियाँ लगाई जा रही हैं और ठेकेदारों से काम करवाकर सरकारी धन का खुला बंदरबांट किया जा रहा है। अपने चहेतों को ठेकेदार बना कर योजनाओं को निजी कमाई का अड्डा बना दिया गया है। यह सीधे-सीधे गरीबों के अधिकारों की डकैती है और योजना की आत्मा की हत्या। अब ग्रामीणों को जागना होगा—RTI का हथियार उठाइए, जवाब मांगिए, और घोटालों की परतें खोलकर सड़ांध में छुपे चेहरों को बेनकाब कीजिए। नहीं तो यह भ्रष्ट तंत्र धीरे-धीरे गांव की आत्मा, उसकी जड़ों और भविष्य—सबको निगल जाएगा।