हिन्दू पंचांग पाँच अंगो के मिलने से बनता है, ये पाँच अंग इस प्रकार हैं :-
1:- तिथि (Tithi)
2:- वार (Day)
3:- नक्षत्र (Nakshatra)
4:- योग (Yog)
5:- करण (Karan)
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है इसीलिए भगवान श्रीराम भी पंचाग (panchang) का श्रवण करते थे ।
जानिए शनिवार का पंचांग
* शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
* वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
* नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
* योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
* करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
शनिवार का पंचांग
11 मार्च 2023 का पंचांग
शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।
शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।
शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की àएक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।
शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।
शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।
* विक्रम संवत् 2079, * शक संवत – 1944, * कलि संवत 5124, * अयन – उत्तरायण, * ऋतु – बसंत ऋतु, * मास – चैत्र माह, * पक्ष – कृष्ण पक्ष*चंद्र बल – मेष, वृषभ, सिंह, तुला, धनु, मकर,
तिथि (Tithi)- चतुर्थी 22.05 PM तक तत्पश्चात पंचमीतिथि का स्वामी – चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी और पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता जी है।
आज संकष्टी चतुर्थी है । प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहते है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना, विनायक चतुर्थी का व्रत सभी प्रकार के मनोरथ पूर्ण करता है।
अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी तो पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी का ब्रत रखने इस दिन भगवान श्री गणेश जी की पूजा करने से घोर से घोर संकट दूर होते है।
आज गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, लड्डुओं या गुड़ का भोग लगाकर, दूर्वा अर्पित करके “ॐ गण गणपतये नम:” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें। चतुर्थी को गणेश जी की आराधना से किसी भी कार्य में विघ्न नहीं आते है, कार्यो में श्रेष्ठ सफलता मिलती है ।
चतुर्थी को गणेश जी के परिवार के सदस्यों के नामो का स्मरण, उच्चारण करने से भाग्य चमकता है, शुभ समय आता है चतुर्थी तिथि को रिक्ता तिथि कहते है इस दिन शुभ कार्यो का प्रारम्भ शुभ नहीं समझा जाता है ।
नक्षत्र (Nakshatra)- चित्रा 7.11 AM तक तत्पश्चात स्वाति
नक्षत्र के स्वामी :- चित्रा नक्षत्र के देवता विश्वकर्मा जी एवं चित्रा नक्षत्र के स्वामी मंगल देव जी है ।
चित्रा नक्षत्र नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में 14 वां है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चित्रा नक्षत्र का शासक ग्रह चंद्रमा जी है। यह एक मोती या उज्ज्वल गहने की तरह है जो चमकते प्रकाश सा हमारे भीतर की आत्मा का प्रतीक है। चित्रा नक्षत्र कलात्मकता, रचनात्मकता का प्रतीक है, इसीलिए इस नक्षत्र के लोग अपने क्षेत्र में बहुत ही प्रवीण होते है वह साधारण चीज़ को भी और भी अधिक खूबसूरत, विशेष बनाते है, उसके मूल्य को बढ़ा देते हैं। इस नक्षत्र का आराध्य वृक्ष : बेल तथा स्वाभाव तीक्ष्ण माना गया है। चित्रा नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है। चित्रा नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 5, 6 और 9, भाग्यशाली रंग, काला, भाग्यशाली दिन रविवार और बुधवार माना जाता है । चित्रा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ चित्रायै नमः”l। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए।
योग (Yog) – ध्रुव 19.52 PM तक तत्पश्चात व्याघातयोग के स्वामी, स्वभाव :- ध्रुव योग की स्वामी भूमि एवं स्वभाव श्रेष्ठ माना जाता है ।
प्रथम करण : – बव 9.57 AM तक
करण के स्वामी, स्वभाव :- बव करण के स्वामी इंद्र देव और स्वभाव सौम्य है।
द्वितीय करण : – बालव 22.05 PM तक तत्पश्चात कौलव
करण के स्वामी, स्वभाव :- बालव करण के स्वामी ब्रह्म जी और स्वभाव सौम्य है।
गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः 6 से 7:30 बजे तक ।
दिशाशूल (Dishashool)- शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
राहुकाल (Rahukaal)-सुबह – 9:00 से 10:30 तक।
सूर्योदय – प्रातः 06:36 AM
सूर्यास्त – सायं 18:27 PM
विशेष :- चतुर्थी को मूली का सेवन नहीं करना चाहिए, चतुर्थी को मूली का सेवन करने से धन का नाश होता है।
आज का शुभ मुहूर्त 11 मार्च 2023 : अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से 3 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्यरात्रि 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7 बजकर 11 मिनट से अगले दिन 6 बजकर 35 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 6 बजकर 24 मिनट से 6 बजकर 49 मिनट तक। अमृत काल रात्रि 10 बजकर 54 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 33 मिनट तक।
आज का अशुभ मुहूर्त 11 मार्च 2023 : राहुकाल सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक। सुबह 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल रहेगा। दोपहर में 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक यमगंड रहेगा। दुर्मुहूर्त काल सुबह 6 बजकर 36 मिनट से 8 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
आज का उपाय : शनि स्तोत्र का पाठ करें और उड़द की दाल का दान करें।
“हे आज की तिथि (तिथि के स्वामी), आज के वार, आज के नक्षत्र ( नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी ), आज के योग और आज के करण, आप इस पंचांग को सुनने और पढ़ने वाले जातक पर अपनी कृपा बनाए रखे, इनको जीवन के समस्त क्षेत्रो में सदैव हीं श्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो “।
आप का आज का दिन अत्यंत मंगल दायक हो ।
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